शब्दों में अनुभवों के रंग

रचनात्मक उद्देश्यों और आपसी साझीदारी के इरादे से आयोवा यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय लेखन प्रोग्राम में जुटते हैं भारत और अन्य देशों के लेखक और कवि।

जैसन चियांग

जनवरी 2019

शब्दों में अनुभवों के रंग

आयोवा यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल राइंटिग प्रोग्राम फॉल रेजिडेंसी  2018 में भागीदारी करने वाले चंद्रमोहन सत्यनाथन (मध्य में) यूनिवर्सिटी ऑफ़ आयोवा में एक पैनल चर्चा के दौरान।  फोटोग्राफ: साभार चंद्रमोहन सत्यनाथन 

आयोवा यूनिवर्सिटी का 10 ह़फ्ते का आवासीय इंटरनेशनल राइंटिग प्रोग्राम दुनिया का सबसे पुराना और बड़ा बहुसांस्कृतिक आवासीय लेखन कार्यक्रम है। वर्ष 1967 से ही दुनिया भर के स्थापित और उभरते नए लेखक आयोवा यूनिवर्सिटी के इस अनूठे लेखन कार्यक्रम में सहभागिता के लिए आते रहे हैं। इसका लक्ष्य लेखकों को ऐसा माहौल मुहैया कराना है, जहां वे सांस्कृतिक आदान-प्रदान कर सकें और उन्हें लिखने-पढ़ने, अनुवाद करने और यूनिवर्सिटी के साहित्यिक-अकादमिक समुदाय का हिस्सा बनने का मौका मिल सके। इस कार्यक्रम को अमेरिकी विदेश विभाग का सहयोग हासिल है।

हरेक शरद ऋतु में दुनिया भर के 25 से 40 लेखक आयोवा सिटी में लगभग 10 ह़फ्ते के निवास के लिए एकत्र होते हैं, ताकि वे अपने प्रोजेक्ट पर काम कर सकें, पाठ प्रस्तुत कर सकें और लेक्चर दे सकें और पूरे अमेरिका के साहित्यिक समुदायों और श्रोताओं के साथ संवाद कायम कर सकें।

वर्ष 2018 के कार्यक्रम के लिए केरल के कवि चंद्रमोहन सत्यनाथन को भारतीय भागीदार के तौर पर चुना गया था। चंद्रमोहन की कविताएं हाशिये पर जीते लोगों, श्रमिक वर्ग और दुनिया भर के खानाबदोशों के सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों को स्वर देती हैं। उनके साथ इंटरव्यू के प्रमुख अंश:

आपको कब यह अहसास हुआ कि काव्य लेखन ही वह क्षेत्र था, जिसे आप अपने कॅरियर के तौर पर अपनाना चाहते थे? आपके शुरुआती प्रेरणादायक कौन थे?

थॉमस ट्रांसट्रोमर की रचनाओं को पढ़ते हुए कविता से मेरी पहली पहचान एक लाइब्रेरी में हुई। कुछ स्थानीय बडे़ कवियों द्वारा मेरी कुछ रचनाओं को सराहने और मुझे प्रोत्साहित किए जाने के बाद मुझे लगा कि यही वह क्षेत्र है, जिसमें मैं खुद को देखना चाहता था। फिर एक पढ़ने के अभ्यास के तौर पर मेरे एक साथी ने मुझे राल्फ एलिसन की किताब ‘‘इनविजिबल मैन’’ पढ़ने को कहा। इस पुस्तक ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी।

मुझे मलयालम कवि के. सच्चिदानंदन ने काफी प्रभावित किया है। मैं एमी सीजायर और डेरेक वालकॉट की रचनाओं का लंबे वक्त से प्रशंसक रहा हूं। समकालीन कवियों में लेसेहो रैम्पोलोकेंग, नथैनियल मैकी, टेरेन्स हेज़ और कमाउ ब्रेथवेट से भी प्रभावित रहा हूं।

आप आयोवा यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल राइंटिग प्रोग्राम फॉल रेजिडेंसी से कैसे जुडे?

भारत में अमेरिकी कांसुलेट इस प्रोग्राम के लिए लेखकों को नामांकित करता है। चेन्नई दूतावास ने मुझे नामांकित किया और मैंने काफी उत्सुकता के साथ इसे स्वीकार किया।

एक भारतीय शिक्षण संस्थान की तुलना में आयोवा यूनिवर्सिटी में अकादमिक और सांस्कृतिक रूप से आपको जो फर्क दिखा, उनमें से कुछ सबसे खास अंतर क्या थे?

सबसे पहला अंतर तो मैंने यह देखा कि मेरे अपने देश के मुकाबले वहां सिस्टम काफी निपुणता से काम करता है। अमेरिकी अकादमिक जगत हर एक व्यक्ति का सम्मान करता प्रतीत होता है। हालांकि मैं अमेरिकी जीवनशैली के बारे में काफी जानता था, मगर सांस्कृतिक रूप से एक हद तक अचंभित जरूर हुआ।

वक्त की जिस पाबंदी के साथ वहां प्रत्येक कार्यक्रम शुरू होता, और शैक्षिक स्टाफ के प्रत्येक सदस्य में अपने पेशे के प्रति जो प्रतिबद्धता मुझे वहां दिखी, वह सचमुच प्रेरणादायी था। एक प्रतिबद्ध कलाकार को आत्मोन्नति के लिए अमेरिका काफी अनुकूल निवास मुहैया कराता है।

आयोवा यूनिवर्सिटी से जो कुछ खास सीख आप साथ लेकर आए, कृपया उनमें से कुछ हमसे साझा कीजिए।

जो खास विचार मैं वहां से अपने साथ लेकर आया, उनमें कुछ यह था कि अपने आप पर यकीन रखो और वह आवाज बनो, जो कोई और नहीं बन सकता। एक ऐसा रचनाकार बनने का प्रयास करो, जो अनूठे जीवनानुभवों को शब्दों में पिरो सकने में समर्थ हो, क्योंकि हम जिस संस्कृति से आते हैं, ये अनुभव उसकी नुमाइंदगी करते हैं।

कवि या लेखक बनने को उत्सुक लोगों को आप क्या सलाह देना चाहेंगे?

लेखक बनने की चाहत रखने वालों को मैं एक ही सलाह दूंगा कि जितना ज्यादा पढ़ सकते हो, पढ़ो। आपके हाथ जिस तरह का साहित्य आए, आप हर विधा, हर तरह के साहित्य को पढि़ए। इसके अलावा, खुद को अन्य कला रूपों, जैसे पेंटिंग, सिनेमा और संगीत से भी जोडि़ए। एक लेखक को अपने विशेषाधिकारों के प्रति सजग होना चाहिए और उसे अपने इर्द-गिर्द पसरी सभी कलाओं का लाभ उठाना चाहिए।

भविष्य के लिए आपने क्या बड़े लक्ष्य तय किए हैं?

फिलहाल मेरा मुख्य फोकस मलयालम दलित काव्य को पढ़ने और उसके अंग्रेजी अनुवाद पर है। साथ ही एक ऐसा मंच तैयार करने पर है, जो दलित लेखकों और अफ्रीकी-अमेरिकी लेखकों के बीच संवाद सेतु बन सके।

इन दिनों मैं शेन बुक, साफिया सिनक्लेयर, एन विंटर्स, व्लादिमीर लुसियन, इशियन हचिनसन, नताशा त्रेथेवी और क्रिस अबानी के रचना संसार को परख रहा हूं। मैं इन रचनाकारों के अनुरूप अपने लेखन के साथ प्रयोग करने को प्रेरित हूं।

जैसन चियांग स्वतंत्र लेखक हैं। वह सिल्वर लेक, लॉस एंजिलीस में रहते हैं।


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