बदलाव की अनूठी मिसाल

प्रेरणा, महिलाओं और बच्चों को मानव तस्करी के खतरे से बचाने के लिए उनके अधिकारों, उनकी शिक्षा और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा के साथ उनके लिए मुखर होने का प्रयास करता है।

स्टीव फ़ॉक्स

दिसंबर 2021

बदलाव की अनूठी मिसाल

प्रेरणा के नाइट केयर सेंटर रेडलाइट एरिया में रहने वाले बच्चों की सुरक्षा और विकास के लिए शुरू किए गए। इस प्रोग्राम की शुरुआत सेक्स ट्रेड वाली महिलाओं की रात के समय अपने बच्चों की सुरक्षा की ज़रूरत को ध्यान में रखकर की गई। स्क्रीनशॉट साभार: https://preranaantitrafficking.org/

‘‘मैंने हमेशा अपने जीवन को सम्मान के साथ जीना चाहा, और यह ऐसी बात है जो हाल फिलहाल के पहले तक मैं इसके लिए सक्षम नहीं थी।’’ यह कहना है मंगला का। वह कहती हैं, ‘‘मैं अब सेक्स कारोबार से अलग हो चुकी हूं और यहां से जितनी दूर हो सके, वैसे जीवन को चाहती हूं। मैं एक नर्स के रूप में काम कर रही हूं और मैं वृद्ध महिलाओं की देखभाल करती हूं, ऐसा काम जो मैं करना भी चाहती हूं।’’

मंगला ने आग्रह किया कि उसके वास्तविक नाम का इस्तेमाल नहीं किया जाए, क्योंकि वह सेक्स कारोबार में मेरी पहचान था और वह मुंबई में मेरे मिलने वाले एक दोस्त की देन था जिससे मैं 15 साल की उम्र में तब मिली थी जब मैं घर से भाग कर आई थी।

इसी तरह से आशा ने भी अपने वास्तविक नाम का इस्तेमाल नहीं करने को कहा। उसे भी घर से भागने के बाद धोखा मिला। उसका कहना है, ‘‘मुझे करीब 20 साल पहले मुंबई में काम दिलाने का भरोसा देकर लाया गया था, लेकिन मुझे सेक्स कारोबार के लिए बेच दिया गया। उसके बाद, जब मैंने  भागने की कोशिश की तो असफल रही क्योंकि मुझे किसी ने खरीद रखा था, मेरे पास कोई विकल्प नहीं था सिवाए इसके मैं वहीं रहती रहूं।’’

मंगला और आशा को प्रेरणा ने मुक्त कराया। यह एक सिविस सोसायटी संगठन है जो 1986 से मुंबई के रेडलाइट इलाके में काम कर रहा है।  लेकिन मंगला और आशा जैसी तमाम दूसरी लड़कियां इतनी किस्मती नहीं हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग की ट्रेफिकिंग इन पर्सन्स रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भारत में इस धंधे के कारोबारी सेक्स व्यवसाय में लाखों महिलाओं का शोषण करते हैं।’’ मानव तस्कर देश के भीतर महिलाओं और लड़कियों पर निगाह रखते हैं लेकिन वे सीमा पार से भी भारी तादाद में महिलाओं और लड़कियों को इस धंधे के लिए लाते हैं।

मानव तस्करी का खतरा सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर नहीं होता बल्कि परिवारों और समुदायों के भी इसकी चपेट में आने का खतरा रहता है। मंगला और आशा दोनों  ही बच्चेदार हैं, लिहाजा वे अपने बच्चों को इस सेक्स कारोबार से बचाने को लेकर बहुत सतर्क हैं और खासतौर पर रात के समय। वे अपने बच्चों को प्रेरणा के चार में से एक नाइट सेंटर पर लाती हैं जहां बच्चे रात में रह सकते हैं। वहां उन्हें पौष्टिक आहार के साथ सुरक्षित खेल, साफसफाई के विकल्प, शैक्षिक सहायता, हेल्थ केयर और दूसरी सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

बच्चों को मानव तस्कर अपना शिकार बना लें, इस बात का खतरा काफी ज्यादा होता है। यह बात 2020 में प्रेरणा के एक अध्ययन में भी सामने आई जो मुंबई के सेक्स कारोबार से मुक्त कराई गई 109 लड़कियों के सोशल प्रोफाइल से जाहिर हुई है। इस अध्ययन में कई चिंताजनक तथ्य उभर कर सामने आए हैं- उनमें से 52 प्रतिशत लड़कियां 16 से 18 वर्ष के आयु वर्ग की हैं, जबकि बाकी 16 साल से कम उम्र की हैं। इनमें से कुछ तो 6 से 12 साल के बीच हैं। 26 प्रतिशत ऐसी लड़कियां हैं जो कभी भी स्कूल नहीं गई, जबकि 71 प्रतिशत लड़कियों ने कक्षा 4 से लेकर कक्षा 10 तक पढ़ाई की है।

प्रेरणा एक हिंदी और संस्कृत शब्द है जिसका अंग्रेजी में मतलब होता है इंस्पिरेशन। इस संस्था के सह-संस्थापक प्रवीण पाटकर हैं जो एक फुलब्राइट फेलो होने के साथ एक शिक्षाविद भी हैं। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में पीएच.डी. डिग्री भी हासिल की है। उनकी पत्नी प्रीति ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ से सोशल वर्क में मास्टर्स किया है। इन दोनों ने मिलकर ही पिछले 30 सालों से प्रेरणा को राह दिखाई है और आज यह संस्था लंबे समय से चली आ रही मानव तस्करी की समस्या के खिलाफ जंग लड़ने वाली अग्रणी संस्था बन गई हैं।

पाटकर के अनुसार, ‘‘हमने अपने मूल काम को विस्तार दिया है जो स्थानीय स्तर पर इंटरनरेशनल सेक्स ट्रेफिकिंग को रोकने का था। अब हम भारत के कुछ समुदायों में जारी नुकसानदायक सेक्स परंपराओं के खिलाफ भी काम कर रहे हैं।’’ उनका कहना है, ‘‘अमेरिकी विदेश विभाग की मदद और  प्रोत्साहन से हमने एक एंटी ट्रेफिकिंग सेंटर को भी तैयार किया है जिस पर विशेषज्ञों और हितधारकों का काफी भरोसा है।’’

सीधे तौर पर सेक्स ट्रेफिकिंग से पीडि़तों की मदद के अलावा प्रेरणा इस मामले में कानून को लेकर जागरूकता के लिए भी काम कर रहा है। इसके तहत समय-समय पर ट्रैफिंकिंग रोधी छापेमारी और मौजूदा कानूनों पर सख्ती से अमल जैसे उपाय शामिल हैं।

उनका कहना है, ‘‘हम सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें अदालत में चुनौती भी देते हैं। हमने जनहित याचिकाओं के माध्यम से मानव तस्करी रोधी न्यायिक व्यवस्था को कहीं बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है।’’ पाटकर बताते हैं, ‘‘कानूनी लिहाज से अब आज विधि का शासन कहीं ज्यादा मजबूत है और निर्दिष्ट कानून पहले से ज्यादा अमल में लाए जा रहे हैं। व्यवस्था मजबूत हो रही है और दखल से दूरगामी फायदों की उम्मीद भी बढ़ी है।’’

वक्त बीतने के साथ, प्रेरणा ने सेक्स व्यवसाय से मुक्त कराई कराई गई महिलाओं की मदद के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए। पाटकर स्पष्ट करते हैं, ‘‘सेक्स व्यवसाय से मुक्त कराई गई पीडि़तों का फि र से स्थापन एक अंधेरी सुरंग जैसा है जहां असफलताओं की भरमार हैं और सफलता की कहानियों की शिद्दत से दरकार है।’’ उनका कहना है, ‘‘प्रेरणा ने पीडि़तों और उत्पीड़न के बारे में एक उचित दृष्टिकोण को तैयार किया है और उसके बारे में सामाजिक सोच को बदला है। हमने, राज्य और सिविल सोसायटी, सभी ने मिलकर उस रोशनी को दिखाने का काम किया है जिससे उस सुरंग के अंत का संकेत मिल रहा है।

हालांकि, मानव तस्करी एक गंभीर समस्या बनी हुई  है लेकिन पाटकर इसकी रोकथाम के लिए प्रयासों के तेज होने से उत्साहित हैं। उनका कहना है, ‘‘मानव तस्करी के बारे में अब तस्वीर थोड़ी ज्यादा साफ है, इस बारे में सामाजिक सक्रियता भी बढ़ी है और अब यह एकीकृत कार्यक्रमों की जगह विस्तृत सामाजिक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।’’ उनका कहना है, ‘‘बहुत-से और सिविल सोसायटी संगठनों ने मानव तस्करी रोधी मुहिम में मदद का हाथ आगे बढ़ाया है और घरेलू कानून और अंतरराष्ट्रीय संहिताओं में बेहतर तालमेल भी बना है। हमारा मंत्र है- हर किसी का महत्व है और हर किसी की अपनी भूमिका है- उच्च न्यायिक संस्थानों से लेकर ऑटोरिक्शा चालक तक, अंतरराष्ट्रीय संगठनों से लेकर स्थानीय और जमीन पर देखभाल करने वालों तक, सभी की अपनी जगह है और अपना महत्व भी।’’

स्टीव फ़ॉक्स स्वतंत्र लेखक हैं। वह अखबार के प्रकाशक और रिपोर्टर रहे हैं। वह वेंचुरा, कैलिफोर्निया में रहते हैं।


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