हिंद-प्रशांतः अमेरिकी समर्थन

अमेरिका स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत के पक्ष में है और इस क्षेत्र में समृद्धि को बढ़ाने, जलवायु बदलाव का मुकाबला और लोकतंत्र का साथ देने के लिए कार्यरत है।

ली हार्टमैन

फ़रवरी 2022

हिंद-प्रशांतः अमेरिकी समर्थन
1 फरवरी 2021 को बर्मा में हुए तख्तापलट के विरोध में प्रदर्शनकारी थ्री-फिंगर सैल्यूट करते हुए।

अमेरिका ऐसे स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समर्थन में है, जहां राष्ट्र और उनके लोग अपना भविष्य खुद तय कर सकें।

जकार्ता, इंडोनेशिया में 14 दिसंबर, 2021 को अपने भाषण में सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट एंटनी ब्लिंकेन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अमेरिकी दृष्टि की रूपरेखा सामने रखी, जहां विभिन्न देश उचित नियमों के अनुरूप अपना रास्ता तय करें और भागीदारी बनाएं और व्यापार एवं सुरक्षा को बढ़ावा दें। ये सिद्धांत वैयक्तिक स्तर पर भी लागू होते हैं। ब्लिंकेन ने कहा, ‘‘जब हम कहते हैं कि हम स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत चाहते हैं, तो हमारा अर्थ है कि …. लोग अपने दैनिक जीवन में स्वतंत्र होंगे और मुक्त समाज में रह रहे होंगे।’’

यहां ऐसे कुछ तरीकों का उल्लेख किया जा रहा है, जिनके माध्यम से अमेरिका स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत का साथ देता है।

निवेश और मूलभूत सुविधाएं

अमेरिका के निजी क्षेत्र ने हिंद-प्रशांत देशों में लगभग 1,000 अरब अरब डॉलर का निवेश किया है। बाइडन-हैरिस प्रशासन और निवेश का समर्थन करना जारी रखे हुए है और उच्च स्तर की बुनियादी सुविधाओं पर बल दिया जा रहा है।

दिसंबर 2021 में नवीनतम साझा प्रोजेक्ट के तहत अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान ने समुद्र के अंदर केबल सिस्टम तैयार करने के लिए फंडिंग उपलब्ध कराने की योजना की घोषणा की। इससे माइक्रोनेशिया, किरिबाती और नौरू में इंटरनेट सुविधाएं बेहतर होंगीं और लोगों को रोजगार मिलेंगे।

अक्टूबर 2021 में अमेरिका और भारत ने इंडो-पैसेफिक बिज़नेस फ़ोरम की साझा मेज़बानी की और इसमें 7 अरब डॉलर के निजी क्षेत्र के नए प्रोजेक्टों को शोकेस किया गया। ये प्रयास अमेरिका के जून 2021 की उस घोषणा के पश्चात है जिसमें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पारदर्शी और टिकाऊ इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के प्रोजेक्टों में निजी क्षेत्र के निवेश को जुटाने के लिए बेहतर वैश्विक पहल की बात कही गई थी।

स्वास्थ्य और पर्यावरण

अमेरिका और उसके अंतरराष्ट्रीय भागीदार कोविड-10 महामारी के खत्मे और जलवायु संकट को टालने के लिए काम कर रहे हैं। अमेरिका 110 से अधिक देशों को 1.2 अरब डॉलर की कोविड-19 वैक्सीन खुराक मुहैया करा रहा है और हिंद-प्रशांत देशों को पहले ही 14 करोड़ 40 लाख खुराक प्रदान कर चुका है। क्वाड भागीदार आस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका भारत में एक अरब कोविड-19 खुराक का उत्पादन कर रहे हैं जिसे पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र और हिंन्द महासागर क्षेत्र में इस्तेमाल में लाया जाएगा।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र का सुरक्षित और समृद्ध भविष्य इस बात पर भी निर्भर करता है कि भागीदार देश कार्रवाई के लिए अहम इस दशक में जलवायु संकट से कैसे निपटते हैं। राष्ट्रपति बाइडन ऐसे बदलावों को आगे बढ़ा रहे हैं जिससे 2030 में अमेरिकी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 50 से 52 प्रतिशत तक कम हो जाए।

अमेरिकी सरकार इस बात को सुनिश्चित करने के लिए भी काम कर रही है कि जलवायु बदलाव के भीषण खतरों को कम करने के लिए वर्ष 2050 तक विशुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य के लिए वैश्विक प्रयास उसके अनुरूप हों। राष्ट्रपति बाइडन का इरादा जलवायु बदलाव के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अमेरिकी वित्तीय योगदान को वर्ष 2024 तक चार गुना कर 11.4 अरब डॉलर प्रतिवर्ष करने का है। उनका इरादा वित्तीय सहायता के मद को बढ़ाकर वर्ष 2024 तक 3 अरब डॉलर करने का है जिससे कि विकासशील देश जलवायु प्रभावों के अनुरूप खुद को ढाल सकें।

प्रेस की आज़ादी और लोकतंत्र

राष्ट्रपति बाइडन स्वतंत्र प्रेस को ‘‘लोकतंत्र का आधार’’ मानते हैं। लोकतंत्र के लिए दिसंबर 2021 के सम्मेलन में राष्ट्रपति बाइडन ने विश्वभर में स्वतंत्र पत्रकारिता के समर्थन के लिए 4 करोड़ डॉलर की मदद की घोषणा की जिससे कि लोगों को सूचनाएं मिल सकें और सरकारों को उत्तरदायी बनाया जा सके।

अमेरिका स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों में मतदान के अधिकार का भी समर्थन करता है। अन्य देशों के समन्वयन में अमेरिका बर्मा में लोकतंत्र की बहाली के लिए काम कर रहा है और 1 फरवरी 2021 के सैन्य तखतापलट और बर्मा के लोगों पर हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बनाने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं।

सुरक्षा और आवाजाही की स्वतंत्रता

अमेरिका और भागीदार देश आवाजाही की स्वतंत्रता को भी बढ़ावा देते हैं और हिंद-प्रशांत में अवैध, बिना बताए और नियम विरुद्ध मछली पकड़ने की रोकथाम करते हैं, जहां से हर साल 3,000 अरब डॉलर के व्यापार की आवाजाही है। हर साल, आस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका संयुक्त मलाबार नौसेना अभ्यास करते हैं जिससे कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र समुद्री परिवहन के लिए सुरक्षित बना रहे।

3 फरवरी को अमेरिकी नौसेना और जापान के समुद्री बलों ने आवाजाही की स्वतंत्रता के लिए फिलिपीन सागर में नोबेल ़फ्यूजन नामक साझा अभ्यास किया।

अगस्त 2021 के आखिर में अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने फिलिपीन कोस्ट गार्ड और ब्यूरो ऑफ़ फिशरीज एंड एक्वैटिक रिसॉर्सेज के साथ समुद्र में साझा गतिविधियां कीं। इसमें तलाशी और बचाव, संचार, छोटी नौकाओं का संचालन और आपात कार्रवाई ड्रिल शामिल थीं।

अमेरिकी विदेश विभाग ने दिसंबर 2021 के जानकारी पत्र में कहा, ‘‘अमेरिका इस बात को पहचानता है कि हमारे ग्रह का भविष्य काफी हद तक हिंद-प्रशांत से तय होगा।’’ ‘‘इस क्षेत्र के प्रति हमारी लगातार प्रतिबद्धता और साथियों और भागीदारों के साथ गठबंधन सभी के लिए स्वतंत्र और मुक्त, आपस में जुड़े, समृद्ध और सुरक्षित क्षेत्र को बनाने में मदद करेंगे।’’

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