अमेरिकी विश्वविद्यालयों में खुद को व्यवस्थित करने के लिए सबसे ज़रूरी चीजें हैं दोस्त बनाना और शैक्षिक रूप से बेहतरीन प्रदर्शन करना।
मई 2024
अमेरिका के शैक्षिक परिसरों में नए जीवन और अकादमिक प्रणाली से तालमेल बनाने में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए सपोर्ट नेटवर्क मददगार साबित होते हैं। (जॉन एम. चेज/Shutterstock.com)
अमेरिका में पढ़ाई करना एक रोमांचक और संतुष्टिदायक अनुभव हो सकता है। हालांकि, किसी भी दूसरे देश में जाना पहले-पहल थोड़ा कष्टकारी लग सकता है। विद्यार्थी अपने कैंपस के बारे में अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करके और उपयोगी संपर्कों को बना कर इस परिवर्तनकारी समय में आने वाले बदलाव के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं।
सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में कम्युनिकेशन मैनेजमेंट की ग्रेजुएट विद्यार्थी मानसी चंदू को अपने कैं पस का विशाल आकार बड़ा ज़बरदस्त लगा। वह कहती हैं, ‘‘मुंबई से आने के कारण, जहां अधिकांश कैंपस जगह की कमी के कारण आकार में छोटे होते हैं, मुझे यह आश्चर्यपूर्ण लगा कि कैंपस की विशालता के कारण कक्षा में पहुंचने में देर हो सकती है।’’ वह कहती हैं, ‘‘यहां तक कि पहले दो ह़फ्तों के दौरान होने वाली गतिविधियों की संख्या, चाहे वह नए क्लबों में शामिल होना हो या फिर विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक बैठकों के लिए समान विचारधारा वाले लोगों के साथ एकत्र होने की बात हो, सभी बहुत मुश्किल लगे।’’
इस परेशानी से बचने की एक रणनीति तो यह हो सकती है कि पूरे भारत में अमेरिकी दूतावास और कांसुलेट जनरल में एजुकेशन यूएसए सलाहकारों और पूर्व विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सेमिनारों और प्रेजेंटेशन के माध्यम से नए कैंपस, शहर, शैक्षणिक पाठ्यक्रम और संस्कृति के बारे में समझते हुए खुद को उससे परिचित करा लें। इससे विद्यार्थियों की चिंता कम करने और उन्हें वहां बेहतर तरीके से व्यवस्थित होने में मदद मिल सकती है।
विभिन्न तौरतरीकों के बारे में जानना
पर्ड्यू विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान के ग्रेजुएट विद्यार्थी रुद्रनील सिन्हा के लिए भोजन को लेकर सांस्कृतिक भिन्नता थोड़ी आश्चर्यजनक थी। वह कहते हैं, ‘‘हालांकि मुझे उम्मीद थी कि खाना अलग होगा, लेकिन हर बार खाने के लिए बाहर जाना थोड़ा परेशान करने वाला था। मुझे लगता है कि यह सामान्य तौर पर सिर्फ कॉलेज जीवन है, जब तक कि आप कहीं अलग अपार्टमेंट में नहीं रहते। अलग-अलग आहार के लिए खुद को तैयार करना निश्चित रूप से सबसे कठिन काम था।’’
पैदल चलने और ट्रैफिक नियमों के पालन जैसी रोजमर्रा की गतिविधियों की आदत डालने में भी कुछ समय लग सकता है। उदाहरण के लिए सिन्हा बताते हैं, ‘‘वे फुटपाथ पर लोगों से टकराते रहते थे, लेकिन इसकी वजह नहीं समझ पाते थे। पता चला कि अमेरिका में लोग दाहिनी ओर गाड़ी चलाते हैं और पैदल भी फुटपाथ पर दाहिनी ओर ही चलते हैं। तापमान के लिए फारेनहाइट स्केल और अमेरिकी फुटबॉल भी ऐसी चीजें थीं जिनसे पहले मेरा वास्ता नहीं पड़ा था।’’
किताबें और उससे आगे
अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को पढ़ाई के पहले महीने में सीखने में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें नई कक्षाओं में सहपाठियों के साथ तालमेल बैठाने से लेकर एक अलग तरह की शिक्षा प्रणाली से अध्ययन जैसी चीजें शामिल हैं। जैसा कि सिन्हा बताते हैं, ‘‘इस दौरान एकेडमिक अपेक्षाओं को समझना कठिन हो सकता है। अक्सर कोर्स होमवर्क जमा करने के लिए विभिन्न प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल किया जाता है और ऐसे ही हाजिरी लेने के लिए भी विभिन्न तरीकों का उपयोग होता है। कॉलेज में अपनी पूरी पढ़़ाई के दौरान आपको ऐसे नए प्लेटफॉर्मों के साथ खुद को ढालने के लिए तैयार करना होगा। मुझे लगता है कि पहले महीने के दौरान यह सबसे कठिन होता है क्योंकि यह सब कुछ आपकी सोच के हिसाब से बहुत नया होता है।’’
चंदू के लिए अपना पेपर लिखना सबसे कठिन काम था। वह कहती हैं, ‘‘मेरे प्रोग्राम में मुझसे एपीए फॉर्मेट में एकेडमिक पेपर लिखने की अपेक्षा थी जो मेरे लिए एकदम नई चीज थी। इसमें पारंगत होने के लिए कुछ कोशिशें करनी पड़ीं, शायद कुछ ए माइनस और बी प्लस लेकिन आखिरकार आप इसे हासिल कर ही लेते हैं।’’
अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को भी अपनी रिहाइश की जगह को ऐसा रखना चाहिए जो पढ़ाई करने और दोस्त बनाने के लिए अनुकूल हो। चंदू बताती हैं, ‘‘कक्षाओं के साथ-साथ अपना कमरा और घर व्यवस्थित करना एक मुश्किल काम हो सकता है। अपना बिस्तर, सोफा और टेबल से लेकर इंटरनेट, पानी, बिजली और गैस जैसी सुविधाओं को व्यवस्थित करना परेशानी भरा हो सकता है।’’ वह कहती हैं, ‘‘सोशल सिक्योरिटी नंबर के बिना एक अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी के रूप में किसी भी चीज़ का वेरिफिकेशन एक कॉल पर नहीं किया सकता है, इसलिए कक्षाओं के बीच में यह सब व्यवस्थित करने में परेशानी तो होती ही है। फिर भी, अखिरकार हर कोई यह सब कर ही लेता है।’’
संपर्क बनाना
अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को किसी नए देश में दोस्त बनाने के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक बाधाओं को भी पार करना पड़ सकता है। सिन्हा स्पष्ट करते हैं, ‘‘हालांकि ओरियंटेशन सप्ताह नए लोगों से मिलने के बारे में है। आपको तुरंत अहसास होता है कि दोस्त बनाने के लिए आपको एक सक्रिय प्रयास करना होगा। कुछ लोगों के लिए अपने दोस्तों का समूह तैयार करने और एक स्वस्थ सामाजिक जीवन की तलाश में पूरा साल भी लग सकता है।’’
विद्यार्थी ऐसे संबंधों की तलाश में कैंपस में अन्य भारतीय विद्यार्थी क्लबों और व्हाट्स-अप समूहों से जुड़ सकते हैं। चंदू ने विश्वविद्यालय के फेसबुक समूह से अपने मौजूदा रूममेट को पाया और विश्वविद्यालय में भारतीय विद्यार्थियों के एक समूह में शामिल होकर उन्हें संभावित सब लीज़, फर्नीचर बिक्री और मोबाइल प्लान्स के कोड के बारे में जानकारी मिली।
सिन्हा के अनुसार, ‘‘अपने गृह देश से दोस्तों को ढूंढ़ना बहुत अहमियत रखता है, क्योंकि वे आपकी पहले की रिहाइश को भलीभांति समझते हैं और यह भी समझते हैं कि आप कहां और कैसे बड़े हुए हैं।’’ इसके साथ ही, ग्लोबलाइज़ यूनिवर्सिटी के फायदों का अनुभव करने के लिए अन्य देशों के विद्यार्थियों से दोस्ती करना भी बहुत महत्व रखता है।
धीरज से काम लें
शुरुआती महीने में इन बदलावों को संभाल पाना असंभव भी नहीं है और कई अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी एकेडमिक और व्यक्तिगत रूप से सफल भी होते हैं।
सिन्हा के अनुसार, ‘‘मेरी सलाह है कि क्रेडिट की संख्या के हिसाब से हल्का सेमेस्टर लें। शैक्षणिक स्तर पर पुरजोर प्रयास का समय भी आएगा, आपके पास सिर्फ एक ही सेमेस्टर नहीं है। इसे आसान बनाएं, अपने परिवेश का आंनद लेना सीखें और अपने लिए एक ऐसा जीवन बनाएं जिसे जीने से आप संतुष्ट हों।’’
चंदू भी इस तरह की भावना से सहमत हैं लेकिन साथ ही वह यह भी कहती हैं कि इसका तरीका ऐसा होना चाहिए कि यह शैक्षिक अनुभव का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सके। उनका कहना है, ‘‘खुले दिमाग वाला बनें और जितना बन पड़े, उतना लोगों से बातचीत करें। गलत बात को गलत कहने से हिचको मत, हर कोई सीख रहा है और आपके जैसे ही विद्यार्थी हैं। अंत में आपको अपनी जगह हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता, खासकर तब जबकि आपके पास इतने सारे संसाधनों का खजाना हो।’’
नतासा मिलास स्वतंत्र लेखिका हैं और न्यू यॉर्क सिटी में रहती हैं।
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