वैश्विक कॅरियर की तैयारी

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अत्याधुनिक पाठ्यक्रमों, विभिन्न संस्कृतियों से साक्षात्कार और नेटवर्किंग के अवसरों से विद्यार्थियों को वैश्विक कॅरियर के निर्माण के लिए एक मंच तैयार करने में सहायता मिलती है।

कैनडिस याकोनो

अप्रैल 2022

वैश्विक कॅरियर की तैयारी

सुधा एम. राघवन थियेटर नामक ऑगमेंटेड रीएलिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा थीं, जो कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ ड्रामा और एंटरटेनमेंट टेक्‍ नोलॉजी सेंटर के बीच गठजोड़ था। फोटोग्राफः साभार सुधा एम. राघवन 

किसी अमेरिकी विश्वविद्यालय में दाखिला लेने को सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय डिग्री हासिल करने के लिहाज से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि यह बात उससे कहीं आगे की है। अमेरिका में 4000 से ज्यादा मान्यता प्राप्त कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं और हर संस्थान अपने विद्यार्थियों को कुछ न कुछ विशेष अनुभव देने का प्रस्ताव करता है।

अत्याधुनिक और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी शैक्षणिक माहौल में एक उच्च अमेरिकी शिक्षा संस्थान में अध्ययन करना एक अन्य महत्वपूर्ण कारण है। युनाइटेड स्टेट्स-इंडिया एजुकेशनल फाउंडेशन में एजुकेशनयूएसए की सलाहकार अपर्णा चंद्रशेखरन के अनुसार, “अमेरिकी शिक्षा में सबसे मूल्यवान अनुभव अमेरिकी विद्यार्थियों के साथ-साथ वहां अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के साथ भी अध्ययन करने का अवसर मिलना है। यह विभिन्न संस्कृतियों को समझने और नेटवर्किंग की दृष्टि से अनमोल है और इससे विद्यार्थी के वैश्विक कॅरियर के निर्माण के  लिहाज से एक मंच तैयार होता है।”

ऐसे बेजोड़ फायदों के कारण चेन्नई के अरविंद नटराजन और सुधा एम. राघवन अमेरिका में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित हुए। नटराजन ने 2019 में न्यू यॉर्क में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। वे अब कैलिफोर्र्निया में स्टैनफर्ड विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं। राघवन कैलिफोर्निया के बे एरिया में रहती हैं और उन्होंने 2019 में पेंसिल्वैनिया के कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री हासिल की है।

प्रस्तुत है नटराजन और राघवन से अमेरिकी विश्वविद्यालों के लिए आवेदन प्रकिया और उनके शैक्षिक अनुभवों के बारें में साक्षात्कार के मुख्य अंश:

आपने एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में दाखिला लेना क्यों चुना?

नटराजन: अपने डॉक्टरल प्रोग्राम के लिए मैंने उन अवसरों की तलाश को प्राथमिकता दी जो बैक्टीरियल जेनेटिक्स में मेरी दिलचस्पी के अनुरूप हों। मैंने जिन प्रोग्रामों के लिए आवेदन किया, उनमें से कॉर्नेल विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी विभाग से तीन शानदार शोध समूहों का प्रस्ताव मुझे मिला जो मेरी दिलचस्पी से भी मेल खाता था। इसके अलावा, इन समूहों का नेतृत्व करने वाली फैकल्टी ने मेरी दिलचस्पी को देखते हुए ईमेल और वीडियो चैट के जरिए लगातार मुझसे संवाद बनाए रखा और संभावित प्रोजेक्ट, जिन पर मैं काम कर सकता था, उसके बारे में चर्चा को जारी रखा।

अपने पोस्टडॉक्टरल प्रशिक्षण के लिए, मैंने सिर्फ अमेरिका में उपलब्ध प्रोग्रामों के लिए ही आवेदन किया क्योंकि मैं अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में सहज महसूस करने लगा था।

राघवन: अपने बचपन से ही, मैं ऐसे कॅरियर को अपनाना चाहती थी जो कला और तकनीक का मिश्रण हो। तमाम संभावनाओं को तलाशने के बाद मैंनेऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी तकनीक के साथ कंप्यूटर ग्राफिक्स के अध्ययन पर फोकस करने का निर्णय लिया। अमेरिका में ऐसे कई सारे संस्थान हैं जो ग्राफिक्स रिसर्च और विजुअल कंप्यूटिंग तकनीक के अध्ययन की दृष्टि से काफी उत्कृष्ट हैं। इसके अलावा, मनोरंजन उद्योग के एक केंद्र के रूप में वहां प्रसिद्घ संगठनों और कंपनियों के साथ मानकों के आधार पर समझौता भी था जिसके कारण मुझे उस क्षेत्र के विशेषज्ञों के  साथ जुड़ने और व्यावहारिक अनुभव भी हासिल होने का फायदा अलग से था।

आवेदन प्रक्रिया किस तरह की थी?

नटराजन: मेरे डॉक्टरेट प्रोग्राम के लिए आवेदन प्रक्रिया बहुत ही जटिल और थकाऊ थी। लेकिन हर चीज़ स्पष्ट होने के कारण मुझे बेहतर फैसला लेने में मदद मिली। मैंने कुछ महीने अपने स्टेटमेंट ऑफ परपज़ पर काम किया। मेरे लेखन में मेरे अभिभावकों, दोस्तों और मेंटर की सलाह के अनुरूप कई बार फेरबदल भी हुआ। इसके बाद मैंने ऐसा एप्लीकेशन पैकेज तैयार करने पर काम किया जिसके प्रोग्रामों में मेरी निजी दिलचस्पी के हर पहलू शामिल थे। थोड़ा रिसर्च भी हुआ क्योंकि मुझे संकाय और प्रोग्रामों के मूल उद्देश्यों को समझना था और इस बात का भी आकलन करना था कि मैं उसमें कैसे योगदान कर पाऊंगा। फिर मैंने हर प्रोग्राम के लिए संस्तुति पत्रों की छंटाई का काम शुरू किया। अंत में, मैंने अपने आवेदन में हर प्रोग्राम की समयसीमा को बनाए रखते हुए सबसे ऊपर वहां प्रवास की समयावधि का उल्लेख किया।

पोस्टडॉक्टरल ट्रेनिंग के आवेदन के समय मैं पहले से बेहतर तैयार था। कई फैकल्टी सदस्यों तक पहुंचने और विज्ञान पर चर्चा का मजेदार मौका भी मिला। हालांकि यह प्रक्रिया थोड़ी थकाऊ भी थी क्योंकि मुझे डिग्री लेने से पहले अपना स्थान सुरक्षित करना था और साथ ही प्रयोगों को जारी रखते हुए अपने शोध प्रबंध को भी लिखना था।

राघवन: मैंने तेजी के साथ अपने अंकों और प्रतिलेखों से संबंधित तैयरियों को निपटा लिया था और उनकी स्कैन और सत्यापित प्रतिलिपियों को अपने पास सुरक्षित कर लिया था। इससे मेरे आवेदन की प्रक्रिया में तेजी आ गई। मैंने एक स्प्रेडशीट के साथ शुरुआत की क्योंकि प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए समयसीमा और प्रोग्राम की जरूरतों का ध्यान इसके बिना मुश्किल था।

चूंकि मेरी दिलचस्पी विजुअल आर्ट में थी, इसलिए जिन पाठ्यक्रमों को मैने चुना उनमें से अधिकांश में आवेदन के  एक हिस्से के रूप में मुझे ऑनलाइन पोर्टफोलियो या असाइनमेंट जमा करने की अतिरिक्त आवश्कता थी। मैंने अपना पोर्टफोलियो बनाने में मदद के लिए अपने कॉलेज प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप पर ध्यान देना शुरू किया। असाइनमेंट या पोर्टफोलियो तैयार करते समय मुझे इस बात का पहली बार अहसास हुआ कि अगर कोई खास रास्ता चुना जाए तो किन बातों की उम्मीद की जानी चाहिए। इससे मुझे अपने लिए विश्वविद्यालय के चुनाव में मदद मिली।

एक नए देश में जाना और फिर वहां अध्ययन शुरू करना, आपको कैसा लगा?

नटराजन: मैं न्यूयॉर्क के इथाका में आवास विकल्पों की तलाश के तमाम अनजान पहलुओं से अभिभूत था। मैं कुछ तय नहीं कर पा रहा था कि किसी अपार्टमेंट में किन सुविधाओं की तलाश की जाए, सुरक्षित और सुविधाजनक स्थानों की पहचान कैसे की जाए या फिर लीज़ एग्रीमेंट की सावधानीपूर्वक जांच कैसे की जाए। इसीलिए मैंने परिसर में रहने का अपेक्षाकृत सुरक्षित विकल्प चुना। हालांकि यह शहर में मिल रहे कुछ विकल्पों से थोड़ा महंगा जरूर था लेकिन यह शानदार चुनाव साबित हुआ। इससे न केवल मेरा आना-जाना निर्बाध रहा बल्कि मुझे विश्वविद्यालय के सहपाठियों के साथ एक समुदाय बनाने का अवसर भी मिला।

शुरुआत से ही कक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने की चिंता ने उत्साह के साथ घबराहट को भी जन्म दिया। अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में मिली अतुलनीय स्वतंत्रता ने कई तरह के विकल्पों के अवसर भी दिए। यहां माइक्रोबायोलॉजी विभाग की फैकल्टी के साथ सहपाठियों और मेंटर का भी बहुत महत्व था। एक बार जब मुझे यह समझ में आ गया कि सिस्टम कैसे काम करता है तो इसके लचीलेपन का मैं मुरीद हो गया। उदाहरण के लिए, मैंने अपने शोध के मुख्य विषय जीव विज्ञान की कक्षाएं तो ली हीं, साथ ही अर्जेंटाइन टैंगो पर भी कक्षाएं लीं।

राघवन:  एक बार जब मैंने दूसरे विद्यार्थियों के साथ बातचीत शुरू की तो बहुत-से दूसरे संसाधन भी दिखाई दिए। मैंने अपनी रूममेट को उस फेसबुक ग्रुप के जरिए पाया जो कार्नेगी मेलन में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के लिए बनाया गया था। हमने इस तरह से योजना बनाई थी कि हम पिट्सबर्ग एक तारीख पर पहुंच सकें। ओरिएंटेशन प्रोग्राम के तुरंत बाद हमारी कक्षाएं शुरू हो गईं। पहले दिन से ही चुनौतियां सामने आने लगीं लेकिन हमने हर पल का लुफ्त उठाया क्योंकि हमारे पास बोर होने का वक्त था ही नहीं।

क्या अमेरिका में आपने नए दोस्त बनाए? क्या वहां ऐसे क्लब और संगठन थे जिसमें आपका आना-जाना था?

नटराजन: ग्रेजुएट स्कूल के समय के दौरान मैंने बहुत से ऐसे दोस्त बनाए जो जीवन के विभिन्न वर्गों से आते थे और उनमें से बहुतों का असर आज भी हमारे बहुत से कामों पर दिखाई देता है। जो मित्र हमने बनाए, उनकी पहली खेप उन लोगों की थी जो मेरे साथ भारत से वहां गए थे। उसके बाद, माइक्रोबायोलॉजी प्रोग्राम के सहपाठियों की बारी थी जिन्होंने राशन खरीदने में मेरी मदद की क्योंकि मेरे पास कार नहीं थी और उनके साथ हमने अमेरिकी संस्कृति को समझने में काफी वक्त बिताया। जहां मैं रहता था, उस परिसर में रहने वाले लोगों से भी मेरी दोस्ती थी। इसके अलावा विद्यार्थी गतिविधियों और क्लबों में आने वाले सदस्य और कॉर्नेल से बाहर तमाम सामाजिक आयोजनों में मिले लोगों से भी मेरी खूब दोस्ती रही।

फोटोग्राफः साभार अरविंद नटराजन 

राघवन: मेरे दोस्तों में अधिकतर वे हैं जो मेरे ग्रेजुएट स्कूल के साथी हैं। मेरे रूममेट विभिन्न पाठ्यक्रमों के विद्यार्थी हैं और हम हमेशा ग्रुप स्टडी और मूवी नाइट्स के लिए अपने दोस्तों को निमंत्रित करते थे। इससे हमें तमाम नए लोगों से मिलने का मौका मिलता था। अधिकतर विभाग भी सामाजिक और कॅरियर नेटवर्किंग आयोजन किया करते थे जिससे विद्यार्थियों को एक दूसरे को निमंत्रित करने का मौका मिलता था। इससे हमें अपने सामाजिक और पेशेवर दायरे को बढ़ाने में मदद मिली। स्कूली जीवन से जुड़े अनुभवों में पेशेवरों संबंधों को बनाना बहुत महत्वपूर्ण बात थी।

क्या हकीकत में सब कुछ वैसा ही था, जैसी आपने उम्मीद की थी? आपको क्या किसी बात बात पर अचंभा भी हुआ?

नटराजन: ग्रेजुएट स्कूल में मेरा अनुभव रोजाना मेरी उम्मीदों से भी बढ़ कर था। एकेडमिक्स में मैंने सिर्फ माइक्रोबायोलॉजी में ही आधुनिकतम प्रगति के बारे में नहीं पढ़ा, बल्कि परिसर में ही आयोजित वार्ताओं के जरिए विश्व राजनीति और व्यावहारिक अर्थशास्त्र जैसे अलग-अलग क्षेत्रों के बारे में जाना-समझा। मैंने न्यू यॉर्क के ऊपरी हिस्से में कड़कड़ाती ठंड और इथाका जैसे छोटे से कस्बे में विश्व संस्कृति के छोटे से अंश को महसूस किया। मैंने नृत्य की विधाओं को सीखा, पहली बार इथियोपियन खाना खाया और बेली हॉल में दुनिया के कुछ बेहतरीन कलाकारों को प्रदर्शन करते देखा।

चुनौतियां भी मेरी उम्मीदों से परे थीं। मैं बमुश्किल हर दूसरे साल अपने घर जा पाता था और परिवार और दोस्तों को बहुत याद करता था। दुनिया के इस हिस्से में चीजें कैसे काम करती हैं, इस बारे में मेरा ज्ञान बहुत सीमित था। एक सेल फोन प्लान कैसे लिया जाना है, आयकर कैसे जमा होना है और विभिन्न सामाजिक तौर-तरीकों को समझ पाना मेरे लिए रोज एक नई चिंता का कारण बनता था।

राघवन:  चुनौतीपूर्ण पाठ्यक्रम जरूर मेरी उम्मीदों से मेल खाता था। मुझे इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ कि शिक्षण और परीक्षण पद्घति को लेकर भारत में हमने जो कुछ सीखा था, अमेरिका में स्थितियां उससे कितनी अलग थीं। मैंने विभिन्न पूरक संसाधनों से कॉन्सेप्ट को सीखा, टीचिंग असिस्टेंट के साथ अध्ययन समूहों में भाग लिया और साथियों के साथ संपर्कों को बढ़ाया। मेरा कोर्सवर्क भी बहुत कुछ प्रोजेक्ट आधारित ही था। पहले ह़फ्ते से ही किसी कार्य के साथ जुड़ जाना एक बेहतरीन अनुभव था।

पाठ्यक्रम के बारे में हालांकि मुझे पता था लेकिन दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोगों के साथ एक टीम की तरह से काम करना कितना अलग होता है, यह मेरे लिए आश्चर्य से कम नहीं था। हमने टीमवर्क के महत्व और संघर्ष से सीखा और यह समझ पाया कि विविधता किस तरह से किसी परियोजना के अंतिम परिणाम में बड़ा फर्क ला सकती है। मुझे इतनी सारी राष्ट्रीयताओं के विद्यार्थियों से किसी दूसरी जगह पर मिलने का मौका कभी न मिलता और ग्रेजुएट स्कूल उन चुनिंदा स्थानों में से एक हैं जो इस तरह के बेहतरीन अवसर उपलब्ध करा सकते हैं।

आप उन लोगों को क्या बताएंगे जो अमेरिका में उच्च शिक्षा लेने के बारे में सोच रहे हैं?

नटराजन: मैं उन्हें अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत उत्साहित करूंगा। मैं सलाह दूंगा कि यहां मिले तमाम तरह के अनुभवों का इस्तेमाल अपनी वैश्विक दृष्टि के विस्तार और एक सफल अनुभव के लिए जरूरी संसाधनों की पहचान के अवसर के रूप में करें। अंत में, खुद में विश्वास करें। आखिर, यह भी तो सोचें कि संस्थान ने आपको सबसे पहले भर्ती के लिए क्यों चुना है?

राघवन: मेरी सबसे पहली सलाह तो यही होगी कि जितनी जल्दी हो सके, इस बारे में जानकारियां लेना शुरू कर दें। कब मानक टेस्ट देना है और कब आवेदन प्रकि या शुरू होनी है, इस बारे में जानकारी बहुत जरूरी है। एक बार जब इससे संबंधित योजना पर काम शुरू हो गया तो आपके पास पर्याप्त समय होगा कि आप अपने आवेदन को इस तरह से तैयार कर सकें जो आपकी पसंदीदी यूनिवर्सिटी की अपेक्षाओं से मेल खाती हो।

एडमिशन कमेटी आपको सिर्फ आपके उन दस्तावेजों के जरिए ही पहचानती है जो आपने उन्हें सौंपे हैं, इसलिए यह सुनिश्चित कर लें कि आपका आवेदन जितना संभव हो सके, उतना स्पष्ट और आकर्षक हो। इसमें यह भी शामिल है कि आवेदक यह समझ सके कि विश्वविद्यालय को उससे क्या अपेक्षाएं है। अधिकतकर विश्वविद्यालय अपने पूर्व विद्यार्थियों के बारे में जानकारियों को प्रदर्शित करते हैं जिससे पृष्ठभूमि और आवश्यकताओं के अनुरूप स्कूल की आपसे अपेक्षाओं के बारे में भी अंदाजा लगाया जा सकता है।

कैनडिस याकोनो पत्रिकाओं और अखबारों के लिए लिखती हैं। वह सदर्न कैलिफ़ोर्निया में रहती हैं।



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