नेक्सस के पूर्व प्रतिभागी और उद्यमी संजय मौर्य से जानिए कि हम स्वच्छ हवा के लिए किस तरह अपना योगदान दे सकते हैं।
जुलाई 2023
संजय मौर्य (दाएं से दूसरे) यूब्रीद की अपनी टीम के साथ। (फोटोग्राफ: साभार संजय मौर्य )
भारत में वायु प्रदूषण लोक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। द लेंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2019 में वायु प्रदूषण के कारण 16 लाख 70 हजार मौतें हुईं। इनमें से अधिकतर मौतों की वजह वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर यानी धूल-प्रदूषण के कण और घरेलू वायु प्रदूषण रहा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के 2022 में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, परिवेशीय वायु प्रदूषण और घरेलू वायु प्रदूषण को मिला दिया जाए, तो इनकी वजह से दुनिया भर में सालाना 67 लाख समय पूर्व मौतें होती हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
मानव स्वास्थ्य पर ख्रराब गुणवत्ता वाली हवा के असर को कम करके नहीं आंका जा सकता। लंबे समय तक प्रदूषित हवा के बीच रहने के कारण शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के गंभीर खतरे हो सकते हैं। प्रदूषित हवा के परिवेशी कण फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं, जिससे सांस की समस्या पैदा होती है, फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी असर पड़ता है।
हवा में मौजूद सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों जैसे जहरीले प्रदूषक हृदय की सेहत पर हानिकारक असर डालते हैं। अध्ययन से यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा, फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और दूसरी सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों, बुजुर्गो और पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे लोगों की सेहत पर इसका ज्यादा असर होता है।
आप ये काम कर सकते हैं
लोग वायु प्रदूषण से निपटने और स्वास्थ्यपरक पर्यावरण को विकसित करने के लिए कई उपाय कर सकते हैं। सबसे पहले, कारपूल, साइकिल या सार्वजनिक या सदाजीवी परिवहन के साधन चुनें। इससे वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है। वाहन खरीदते समय इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड विकल्प का चुनाव करें और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए उनका नियमित रखरखाव करें।
घर पर सदाजीवी तरीकों को अपनाना एक और महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। ऊर्जा कुशल बिजली उपकरणों को लगाएं, एलईडी प्रकाश व्यवस्था का उपयोग करें और जब भी संभव हो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को चुनें। घर में इंसुनेशन के ज़रिये अत्यधिक हीटिंग या कूलिंग की ज़रूरत से बचने की कोशिश करें ताकि ऊर्जा को संरक्षित किया जा सके।
घर के अंदर भी प्रदूषण कम से कम हो, इस बात को ध्यान रखना चाहिए। प्रदूषकों को छोड़ने वाले कीटनाशकों और सफाई वाले रसायनों के उपयोग से बचें। घर को हवादार रखें और दूषित पदार्थों को फिल्टर करने और हवा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए वायु शोधकों का इस्तेमाल करने पर विचार करें।
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ज़िम्मेदारी के साथ कचरे का प्रबंधन करना एक ज़रूरी पहलू है। कचरे का ज़िम्मेदारी के साथ निस्तारण करें और रिसाइक्लिंग लायक कचरे को अलग रखें। खुले में कचरा जलाने से बचें और कंपोस्टिंग करने पर भी विचार किया जा सकता है।
हरित पहलों का समर्थन करें, हरित स्थानों के निर्माण और शहरी बागवानी की पहल को प्रोत्साहित करें। पेड़ प्राकृतिक वायु शोधक के रूप में कार्य करते हैं और प्रदूषण फैलाने वाले पदार्थों को सोख लेते हैं जबकि हरे-भरे स्थान शहरी वातावरण में खुल कर सांस लेने की जगह का काम करते हैं।
दीर्घकालिक सुधारों के लिए परिवर्तन की पैरवी करना महत्वपूर्ण है। स्वच्छ हवा के महत्व और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके असर के बारे में जगरूकता बढ़ा कर कोई भी व्यक्ति दूसरो को कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है। स्थानीय समुदायों को साथ जोड़ना, नागरिकों के नेतृत्व वाली पहलों में हिस्सा लेना, और वायु गुणवत्ता में सुधार को प्राथमिकता देने के लिए नीति निर्माताओं पर दबाव बनाना, बदलाव लाने और सभी के लिए एक स्वस्थ भविष्य को सुरक्षित करने के प्रभावी तरीके हैं।
प्रकृति से सीख
यूब्रीद की ब्रीदिंग रूट्स तकनीक पौधों की प्राकृतिक वायु शोधन प्रक्रिया का उपयोग करती है। इस तकनीक से बने एयर प्यूरीफायर का डिजाइन अनोखा है जो एक सेंट्रि़फ्यूगल फैन की मदद से पौधों की फाइटोरेमेडिएशन प्रक्रिया को लगभग 500 गुणा बढ़ा देता है। फाइटोरेमेडिएशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रदूषित मिट्टी, पानी और हवा के उपचार के लिए पौधों का उपयोग करती है। पंखे के कारण मिट्टी के जड़ क्षेत्र में हवा की मात्रा बढ़ जाती है जिससे कि जड़ क्षेत्र हवा के संपर्क के साथ अधिक वायु को शुद्ध करने में सक्षम हो जाता है।
बाज़ार में मौजूदा वक्त में जो मैकेनिकल फिल्टर उपलब्ध हैं, वे त्वरित तो हैं लेकिन अपरिष्कृत हैं, विघटन में लंबा समय लेते हैं और उनमें कार्बन उत्सर्जन ज्यादा होता है। यूब्रीद का वनस्पति-आधारित प्राकृतिक शोधक हवा की गुणवत्ता पर समग्रता में असर डालता है और कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं करता।
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