आईवीएलपी प्रतिभागी सुरुचि सिंह अपने उपक्रम के माध्यम से शिल्पकारों और महिला उद्यमियों की मदद कर रही हैं।
जून 2023
सुरुचि सिंह की करिज्मेटिक क्रैयॉंज शिल्पकारों को अपने पर्यावरण अनुकूल इकाइयां स्थापित करने और उन्हें चलाने में मदद करती है। इसके अलावा उन्हें अपने उत्पादों को बेचने के लिए ऑनलाइन मंच भी उपलब्ध कराए जाते हैं। (फोटोग्राफ साभारः सुरुचि सिंह)
प्रसव अवकाश के बाद जब सुरुचि सिंह काम पर लौटने के लिए तैयार हुईं, तो उन्हें नौकरी तालशने में कठिनाई हुई। “उन्हें मैं उपयुक्त उम्मीदवार नहीं लगी, क्योंकि मैंने एक साल का अवकाश ले लिया था।” वह प्रशिक्षित पत्रकार हैं और उन्हें कॉरपोरेट सेक्टर में 10 साल का अनुभव है। लेकिन इससे वह हताश नहीं हुईं। “मैंने स्थिति को खुद अपने नियंत्रण में लेने का फैसला किया और हस्तशिल्प कारीगरों की मदद के लिए एक उपक्रम शुरू किया।”
सिंह ने करिज्मेटिक क्रैयॉंज की शुरुआत की जो हस्तशिल्प कारीगरों के कौशल विकास और उन्हें बढ़ावा देने वाला संगठन है। यह संगठन 450 कारीगरों के साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, झारखंड, बिहार और तेलंगाना में काम कर रहा है।
सिंह ने शी4हर पहल का नेतृत्व भी किया जो महिलाओं में उद्यमिता और निर्णय क्षमता के कौशल को बढ़ाने के अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और उनकी आय बेहतर बन सके, यह सुनिश्चित करने में मदद करने का काम भी किया।
उन्होंने वर्ष 2021 में महिला और उद्यमिता पर इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (आईवीएलपी) में सहभागिता की। आईवीएलपी अमेरिकी विदेश विभाग का प्रतिष्ठित प्रोफेशनल एक्सचेंज प्रोग्राम है। अप्रैल 2023 में उन्होंने एक और आईवीएलपी प्रोग्राम में हिस्सा लिया जो उद्यमिता और छोटे कारोबारों के विकास से संबंधित था। यहां विभिन्न समूहों ने अमेरिका में छोटे व्यवसायों के प्रभाव, और उसमें सरकारी, गैरसरकारी, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की साझेदारी, विश्वविद्यालयों, निगमों, और जमीनी संगठनों के रोजगार सृजन और उसके विकास पर पड़ने वाले असर को समझने का प्रयास किया। सिंह कहती हैं, ‘‘इस कार्यक्रम से सहभागी उद्यमियों की नेटवर्किंग और साझेदारी में मदद मिलने के साथ, विचारों के आदान-प्रदान, सहयोग और संभावित कारोबारी अवसरों को तलशने में भी सहायता मिली।’’
प्रस्तुत हैं उनसे साक्षात्कार के अंश
आपने अपने संगठन करिज्मेटिक क्रैयॉंज को कैसे शुरू किया, और इस क्षेत्र में आपका प्रशिक्षण कैसा रहा?
एक शिल्प उत्साही के रूप में, मेरी हमेशा से हस्तशिल्प में दिलचस्पी रही है और कारीगरों से मिलने के लिए मैंने देश भर में यात्राएं कीं। 2014 में, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश में एक कारीगर से मेरी मुलाकात हुई जो कांच के उत्पाद तैयार किया करता था। उसके हाथों में जगह-जगह जलने के निशान थे। पूछने पर, मुझे पता चला कि अपने उत्पाद तैयार करने के लिए ब्लास्ट फरनेस में उसे घंटों बैठना होता है और उसकी कमाई सिर्फ 10 से 20 रुपए हो पाती है। लेकिन इसमें उसके पूरे परिवार का पालन-पोषण नहीं हो पाता है और उसे यहां-वहां दूसरे काम भी करने पड़ते हैं। मैंने उसकी मदद करने का निर्णय किया।
मैंने उसके कांच के उत्पाद उसके मनचाहे दाम पर खरीद लिए और उसे अपने परिवार और मित्रों को बेच दिया। मैंने इस उद्योग के बारे में और ज्यादा जानकारी ली और एक साल तक उनकी मदद के रास्ते तलाश लिए। अब वे शिल्पकार एक छोटी इकाई चलाते हैं और उसमें 25 दूसरे शिल्पकार काम कर रहे हैं। उस मुकाम पर, मैंने अपने संस्थान का पंजीकरण कराया और अपने उद्यमिता सफर की शुरुआत की।
करिज्मेटिक क्रैयॉंज की मुख्य गतिविधियां क्या हैं?
हम शिल्पकारों का प्रशिक्षण प्राथमिक वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता और उद्यमिता की बुनियाद पर करते हैं। उद्यम इकाइयों की स्थापना और उसे सदाजीवी उद्यम बनाने में हम उनकी मदद करते हैं, हम उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए ऑनलाइन मंच भी उपलब्ध कराते हैं। सभी उत्पादों में शिल्पकार की दास्तां भी शामिल की जाती है, जिससे कि उस उत्पाद के पीछे के लोगों के बारे में खरीदार को पता चल सके।
ग्राहकों की तरफ से इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली है?
जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। हम हर महीने 30 से 40 उत्पाद बेच लेते हैं और त्यौहारी मौसम में तो बिक्री और बढ़ जाती है। हमारा मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन शिल्पकारों को उनके शहरी समकक्षों के समान लाभ मिल सकें।
शी4हर किस तरह से ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार सृजन का काम करता है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
शी4हर, महिला शिल्पकारों और घर से उद्यम चलाने वाली महिलाओं की मदद की दृष्टि से एक महत्वाकांक्षी प्रोग्राम है और यह उनमें उद्यमिता और निर्णय लेने के कौशल को बढ़ाता है। हम ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साधन तैयार करते हैं, यह सुनिश्चित करते हैं कि महिला को बढि़या पैसा मिल सके और अपने हालात को बदलने में उनकी खुद की आवाज मायने रखे।
यह प्रोग्राम ऐसे संसाधन उपलब्ध कराता है जिससे कि वे अपने कौशल को सदाजीवी कारोबारी मॉडल में बदल सकें। इसके लिए यह ऐसी वर्कशॉप भी मुहय्या कराता है जहां नवोन्मेष पर जोर रहता है। हमारी योजना शिल्पकारों, घर से उद्यम चलाने वालों, कृषि उद्यमियों, शिक्षा उद्यमियों और उत्पादन क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के साथ विशेष सत्र आयोजित करने की हैं। उन्हें अपने कारोबार के ग्राहक बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ई-कॉमर्स वेबसाइट का मंच भी उपलब्ध कराया जाएगा।
क्या आप हमें हालिया आईवीएलपी के अनुभवों के बारे में कुछ बता सकती हैं?
यह प्रोग्राम जानकारियों को उपलब्ध कराने और व्यावहारिक कौशल के मामले में हमारी उम्मीदों से कहीं आगे का था। इसके अलावा, समान विचार वाले लोगों के नेटवर्क के साथ निश्चित रूप से यह हमारी उद्यमिता की यात्रा को आकार देने का काम करेगा।
हमने वॉशिंगटन, डी.सी. में शुरुआत की, जहां हमने देखा कि किस तरह से स्टार्ट-अप इकोसिस्टम पूरी तरह से वेंचर कैपिटल और मेंटॉरशिप सपोर्ट पर केंद्रित है। हमने जाना कि वहां स्मॉल बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन किस तरह से उद्यमिता के लिए एक सपोर्ट सिस्टम को बढ़ावा दे रहा है जिसके बारे में मेरा बहुत मजबूती से मानना है कि उसे दूसरे देशों में भी अपनाया जाना चाहिए।
हम मिशीगन के एक छोटे से शहर कलामाजू गए जहां छोटे व्यवसायों और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जाता है। हमने वहां समुदाय चालित पहल के जरिए एक दूसरे की मदद और नए स्टार्ट-अप की सहायता का अनोखा रास्ता देखा। यूटा में, यह कार्यक्रम उद्यमिता और निवेश के इकोसिस्टम को समझने पर केंद्रित था और साथ ही यहां यह जानने की कोशिश भी की गई कि किस तरह से विश्वविद्यालय उद्यमी इकोसिस्टम के साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
हमारा एक्सचेंज प्रोग्राम सैन फ्रांसिस्को में खत्म हुआ। हमने सिलिकॉन वैली की यात्रा की और बहुत से स्टार्ट-अप्स के साथ संवाद किया। हमारे वक्ता अनुभवी विशेषज्ञ थे जिनके व्यावहारिक अनुभव और उद्योग विशिष्ट ज्ञान के खजाने के साथ सत्रों को आकर्षक, गतिशील और अत्यधिक प्रभावशाली बनाने में मदद मिली।
संक्षेप में, आईवीएलपी का मेरा अनुभव परिवर्तनकारी, सशक्त करने वाला और अनमोल रहा।
मेगन मैक्ड्रू यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया , सांता क्रूज और हार्टनेल कॉलेज में समाज शास्त्र की प्रोफ़ेसर हैं। वह मोंटेरे, कैलिफोर्निया में रहती हैं।
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