स्टेम विषयों के रास्ते सशक्तिकरण

आईवीएलपी की पूर्व प्रतिभागी मालिनी नागुलापल्ली, अमेरिकी विदेश मंत्रालय समर्थित पहल के माध्यम से स्टेम विषयों से जुड़े करियर और उद्यमिता के क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बना रही हैं।

पारोमिता पेन

अगस्त 2024

स्टेम विषयों के रास्ते सशक्तिकरण

स्टेम विषयों में डिग्री लेने के बावजूद स्टेम कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी कम है। बहुत-सी महिलाएं करियर बीच में ही छोड़ देती हैं। मालिनी नागुलापल्ली का आईवीएलपी इम्पैक्ट अवार्ड प्रोजेक्ट महिलाओं को स्टेम करियर बने रहने और आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाता है। (फोटोग्राफ: गॉर्डोनकॉफ/Shutterstock.com)

विश्व स्तर पर भारत में महिला स्टेम ग्रेजुएट की संख्या सबसे अधिक है। हालांकि, स्टेम क्षेत्र से जुड़े कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी कम है। जो महिलाएं स्टेम डिग्री हासिल करती हैं, उनके इन क्षेत्रों में करियर बनाने की संभावना कम होती है और वे अपने पुरुष समकक्षों के मुकाबले इन करियर को पहले ही छोड़ देती हैं।

मालिनी नागुलापल्ली, 2022 में प्रमोटिंग बायोमेडिकल इनोवेशन एंड ऑंट्रेप्रिन्योरशिप विषय पर इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (आईवीएलपी) में प्रतिभागी रहीं। वह इस वक्त स्टेम विषय क्षेत्रों से जुड़े करियर में महिलाओं के रिटेंशन को बढ़ावा देने एवं युवा महिलाओं में उद्यमिता के विकास का काम कर रही हैं। आईवीएलपी अमेरिकी विदेश विभाग का एक प्रमुख पेशेवर एक्सचेंज प्रोग्राम है। इसके तहत, अमेरिका की अल्पकालिक यात्रा में भाग लेकर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े मौजूदा और उभरते नेतृत्वकर्ता अमेरिका का प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं एवं अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ स्थायी संबंध विकसित करते हैं।

एक वैज्ञानिक और पब्लिक पॉलिसी रिसर्चर, नागुलापल्ली का काम शिक्षा जगत से लेकर सार्वजनिक नीति तक विस्तारित है जहां वह चिकित्सा उपकरण इकोसिस्टम में मौजूद चुनौतियों का हल तलाशती हैं। 2023 में उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता के क्षेत्र में अवसरों के बारे में महिलाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए आईवीएलपी इंपैक्ट अवार्ड दिया गया।

आईवीएलपी इंपेक्ट अवार्ड्स इनीशिएटिव हाल के आईवीएलपी प्रतिभागियों को उनके एक्सचेंज अनुभव के दौरान हासिल ज्ञान और कनेक्शन का लाभ उठाने और उसे साझा करने में मदद करने के लिए सहायता प्रदान करता है। यह समर्थन उन्हें अपने घरेलू समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों के नए समाधान डिजाइन करने और उन्हें कार्यान्वित करने में सक्षम बनाता है।

आईवीएलपी अनुभव

2022 में आईवीएलपी के दौरान, नागुलापल्ली ने, अमेरिकी हेल्थ केयर उद्योग के भीतर विभिन्न उद्यमिता और प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण मॉडलों की खोज की। समूह ने हेल्थ केयर प्रणालियों में नवाचारों का मूल्यांकन और विकास करने के लिए प्रबंधन और विपणन रणनीतियों के साथ-साथ संगठनात्मक, कानूनी और रेगुलेटरी ढांचे का भी विश्लेषण किया। तीन हफ्ते की अवधि में, समूह ने वॉशिंगटन डीसी., फिलाडेल्फिया, एक्रोन, कलामजू और सेन डिएगो की यात्रा की और सार्वजनिक, निजी और गैर लाभकारी क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से मुलाकात की। उन्होंने अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय, क्लीवलैंड क्लीनिक, बायोटेक्नोलॉजी इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन, विभिन्न इनक्यूबेटरों, विश्वविद्यालयों, स्ट्राइकर जैसी कंपनियों और स्टार्ट-अप जैसे संगठनों से जुड़े लोगों से संवाद किया।

नागुलापल्ली को अपने सहकर्मियों से संवाद में शामिल होने का मौका मिला जो ज्ञान को साझा करने और अनुभवों को बांटने का शानदार मंच था। वह बताती हैं कि, “इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम ने संग्रहालयों के दौरे, स्थानीय लोगों द्वारा आयोजित डिनर, लाइव शोज़ और काफी कुछ दूसरी गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति को जानने का अवसर प्रदान किया। यह वास्तव में समृद्ध और सारगर्भित यात्रा थी।”

स्टेम क्षेत्र में महिलाओं को प्रोत्साहन

नागुलापल्ली के आईवीएलपी इंपेक्ट अवार्ड प्रोजेक्ट जिसे ऑसम्स (एडवासिंग वुमेन इन ऑट्रेप्रिन्योरशिप एंड स्टेम थ्रू अपॉर्चुनिटीज़ एंड मेंटर शोकेसिंग) में प्रतिभागियों को स्टेम करियर से जुड़ी संभावनाओं और नौकरी एवं उद्यमिता के बारे में मार्गदर्शन दिया जाता है। इसका लक्ष्य महिलाओं को दूसरी प्रतिबद्धताओं के बावजूद अपनी पेशेवर यात्रा में आगे बढऩे के लिए सशक्त बनाना है। ऑसम्स एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल नागुलापल्ली अक्सर अपनी बेटियों के साथ तब किया करती हैं जब वह किसी समस्या का समाधान ढूंढ़ रही होती हैं। उनके अनुसार, “मैं आसान और आकर्षक संक्षिप्त शब्दों के साथ खेल रही थी जो हमारे समाज में महिलाओं की क्षमता को भी परिभाषित कर सकेगा। मुझे यह सही और बहुत सटीक लगा।”

परियोजना को तीन मॉड्यूल में व्यवस्थित किया गया है जिसमें छह महीने की अवधि में पांच कॉलेजों में चार कार्यशालाओं का आयोजन शामिल है। यह सात मेंटर्स द्वारा अनुमोदित संरचित 3-4-5-6-7 योजना है। नागुलापल्ली का कहना है कि, “सात सहकर्मियों एवं मित्रों, अपने क्षेत्र में महारथी सभी महिला विशेषज्ञों ने, हेल्थ टेक्नोलॉजी असेसमेंट, इंटलेक्चुवल प्रॉपर्टी राइट्स, साइंस कम्युनिकेशन, पॉलिसी, रिसर्च मैनेजमेंट, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और उद्यमिता के क्षेत्र में मास्टर्स और पीएचडी करने वाले करने वाले छात्रों के मार्गदर्शन में मेरे साथ सहयोग किया।” वह कहती हैं कि, “हमारे प्रयास लगभग 1400 लोगों तक पहुंचे, जिसमें निजी तौर पर 600 महिलाएं और सोशल मीडिया के माध्यम से लगभग 800 के करीब व्यक्ति शामिल हैं।” इसके अलावा, तीन संस्थानों और 10 विद्यार्थियों ने इसमें निरंतर सहयोग और मार्गदर्शन में दिलचस्पी दिखाई। यह समाज पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर करता है।

परियोजना के छह महीने पूरे होने के पड़ाव पर जनवरी 2024 में अमेरिकन सेंटर नई दिल्ली में जश्न मनाया गया। कार्यशालाओं में प्रतिभागियों में जबरदस्त उत्साह देखा गया और उपस्थित लोगों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं उद्यमिता के क्षेत्र में करियर को लेकर विभिन्न सवाल पूछे। उन्होंने उन संस्थानों और अनुदानों के बारे में पूछताछ की जो इन क्षेत्रों में करियर के लिए क्षमता निर्माण या तैयारी में सहायक हैं। इसके अलावा, पाठ्यक्रमों की उपलब्धता और मेंटर्स से यह जानने की कोशिश भी की गई कि उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में आने वाली बाधाओं से कैसे पार पाया और इस मुकाम तक कैसे पहुंच पाए।

करियर बदलाव में संतुलन

नागुलापल्ली, स्ट्रक्चरल बायोलॉजी में पीएचडी हैं। उनका कहना है कि, उन्हें हमेशा से ऐसे पेशे को अपनाने का शौक रहा है जिसमें जीवन का बचाव और उसका संवर्धन हो। वह कहती हैं कि, “हांलाकि शुरुवाती तौर पर हेल्थ केयर मुझे स्वाभाविक विकल्प लगता था लेकिन जल्द ही अहसास हुआ कि मुझे अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को दूसरी रुचियों के साथ संतुलित करने में संघर्ष करना पड़ सकता है। मैंने खुद को तमाम एप्लीकेशंस के लिए कंप्यूटेशनल प्रोग्रामिंग की तरफ भी आकृष्ट पाया।”

इसने उन्हें बायोटेक्नोलॉजी और बायोइंफार्मेटिक्स में बैचलर और फिर मास्टर्स डिग्री के लिए प्रेरित किया। वह मौजूदा वक्त में भारत में चिकित्सा उपकरणों के विस्तार से जुड़ी चुनौतियों को समझने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इससे जो भी नतीजे निकलेंगे, उससे विभिन्न स्टेकहोल्डरों को चिकित्सा उपकरणों के नवाचार इकोसिस्टम के सामने आ रही चुनौतियों और कमियों के समाधान के लिए संसाधनों के उचित इस्तेमाल में सहायता मिल सकेगी।

पारोमिता पेन नेवाडा यूनिवर्सिटी, रेनो में ग्लोबल मीडिया स्टडीज़ विषय की एसोसिएट प्रोफेसर हैं।


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