अमेरिका-भारत की टीमों द्वारा विकसित आईब्रेस्टएग्जाम स्तन कैंसर का शुरुआती स्तर पर ही पता लगाता है और यह लोगों की पहुंच में होने के साथ ही कम खर्चीला और बिना दर्द वाला तरीका है।
मार्च 2020
आईब्रेस्टएग्जाम बिना तार वाला हाथों में संचालित उपकरण है, जिससे स्तन कैंसर की शुरुआत में ही जांच हो सकती है। फोटोग्राफ साभारः यूई लाइफ़साइंसेज
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर में सबसे आम है स्तन कैंसर। साल 2018 के आंकड़ों के हिसाब से महिलाओं में होने वाले कैंसर के नए मामलों में से 28 फीसदी स्तन कैंसर के हैं। यही नहीं दूसरे देशों के मुकाबले भारत में इस रोग से मरने वाले मरीजों की दर कहीं ज्यादा है। इसकी वजह कुछ हद तक इस मर्ज के बारे में जागरूकता और शिक्षा की कमी है।
स्तन कैंसर की रोकथाम और इलाज में अशिक्षा, धार्मिक मान्यताएं, जेंडर और आय में असमानताओं के अलावा शर्म की भावना जैसी बातें आम बाधाएं हैं। भारत में कुछ महिलाएं इसके इलाज में देरी करती हैं या फिर इसको पूरी तरह से ही नकार देती हैं। लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि शुरुआती स्तर पर इसकी पहचान से स्तन कैंसर के फैलाव को लगाम लगाई जा सकती है। अमेरिका और भारत की टीमों द्वारा विकसित उपकरण से स्थिति बेहतर हो सकती है।
यू ई लाइफसाइंसेज़ के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिहिर शाह के अनुसार, ‘‘हालांकि दुनिया भर में महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसर में स्तन कैंसर आम है लेकिन इनमें अधिकतर मामलों का देर से पता चलता है और उनके निदान की कम गुंजाइश रहती है।’’
कंपनी के फिलाडेल्फिया, मुंबई, बेंगलुरु, नई दिल्ली और कुआलालंपुर में कार्यालय है और यह स्तन कैंसर को शुरुआती दौर में पता लगाने के अभिनव उपायों पर काम कर रही है। बहुत ही हल्का, वायरलेस और हाथ में पकड़ने योग्य आईब्रेस्टएग्जाम उपकरण से दुनिया भर में हजारों महिलाओं को सेहत से जुड़ी अहम जानकारी हासिल हो पाई है। इस उपकरण को ले जाने में आसानी और कम कीमत काफी अहम है क्योंकि इस बीमारी में मृत्यु दर का भूगोल से बहुत ताल्लुक है। बहुत संभव है कि दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाएं पारंपरिक मेमोग्राम के लिए शहर आ पाने में सक्षम नहीं हों।
शाह के अनुसार, ‘‘स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्राथमिक प्रशिक्षण के बाद इस वायरलेस, बैटरीचालित उपकरण से बिना किसी दर्द या विकिरण के कुछ ही मिनट के अंदर और मेमोग्राम के मुकाबले मामूली खर्च में ही स्तन के अंदर छोटी गांठ का भी पता चल जाता है। इस तरह की शुरुआती जांच तक महिलाओं की पहुंच से हम बहुत से जीवन बचा पाने की उम्मीद कर सकते हैं अन्यथा इलाज योग्य कैंसर भी लाइलाज बन जाता।’’
अब तक मरीजों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से जो फीडबैक मिला है वह बेहद सकारात्मक है। कंपनी ने भी 7500 पंजीकृत महिलाओं के साथ कई अंतरराष्ट्रीय क्लीनिक अध्ययन कराए हैं। शाह ने आईब्रेस्टएग्जाम के बारे में बताया कि यह एक ‘‘आरामदायक और सस्ता समाधान है जो महिलाओं को डराता नहीं है।’’ क्योंकि यह दर्दरहित है और विकिरण मुक्त है। यह उन तमाम महिलाओं के लिए एक विकल्प है जिन्हें पारंपरिक मेमोग्राम नहीं सुहाता हो।
स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता थोड़े-से प्रशिक्षण के बाद आईब्रेस्टएग्जाम से जांच कर सकते हैं। साभारः यूई लाइफ़साइंसेज
साल 2017 में हैदराबाद में हुए वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन में सैकड़ों नवाचारों में से नीति आयोग ने आईब्रेस्टएग्जाम का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति की सलाहकार और प्रथम पुत्री इवांका ट्रंप के समक्ष प्रजेंटेशन के लिए किया। ‘‘आईब्रेस्टएग्जाम को विशेष फीचर का स्थान दिया गया और यह हम सबके लिए एक शानदार अनुभव था।’’
इस उत्पाद को अमेरिका और भारत की टीमों के आपसी सहयोग से विकसित किया गया। शाह का कहना है, ‘‘आईब्रेस्टएग्जाम भारत- अमेरिका की मिलीजुली खोज है जिसकी जड़ें तो अमेरिका में हैं लेकिन इसका विकास भारत में हुआ।’’ वह बताते हैं, ‘‘हमने इसका विकास पेन्सिलवैनिया के स्वास्थ्य विभाग के क्योर (कॉमनवेल्थ यूनिवर्सल रिसर्च इनहैंसमेंट) अनुदान के तहत मिले लगभग 10 लाख डॉलर के साथ शुरू किया। उसके बाद, यूनिवर्सिटी सिटी साइंस सेंटर से डिजिटल हेल्थ एक्सीलेरेटर ग्रांट हासिल हुई। एकबार जब हमने क्रियाशील फ्रोटोटाइप तैयार कर लिया तो उसके बाद हमने उस तकनीक को क्लीनिकल मान्यता और उत्पादन के लिए भारत को हस्तांतरित कर दिया।’’ पेटेंट की हुई टेक्टाइल सेंसर तकनीक को ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी, फिलाडेल्फिया के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने मिलकर खोजा था। शाह बताते हैं, ‘‘यह सब कुछ अमेरिकी-भारतीय टीमों और तमाम अलग-अलग क्षेत्रों के सहभागियों की बदौलत संभव हो पाया।’’
बहुत-सी महिलाओं को इस उपकरण की मदद से पता चला कि उन्हें स्तन कैंसर है और उन्होंने इलाज के बाद सराहना के लिए कंपनी से संपर्क किया। शाह का कहना है, ‘‘वे अपने जीवन की रक्षा के लिए हमें धन्यवाद देना चाहती हैं जबकि हम उन्हें इस बात के लिए शुक्रिया कहना चाहते हैं कि उन्होंने हौसले के साथ अपनी जांच कराई और फौरन अपना इलाज कराया। स्तन कैंसर की शुरुआती जांच महिला के इस हौसले के साथ होती है कि स्तन कैंसर कोई मृत्युदंड नहीं है।’’
शाह और उनकी कंपनी के भविष्य को लेकर बड़े इरादे हैं। वे भारत की 20 करोड़ और विश्व स्तर पर एक अरब महिलाओं तक अपनी पहुंच बनाना चाहते है। शाह का कहना है, ‘‘हम चाहते हैं कि आईब्रेस्टएग्जाम भारत की ज्यादा से ज्याद महिलाओं तक पहंच पाए। हम सरकारी निकायों, कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यालयों, गैर सरकारी संगठनों और निजी स्वास्थ्य सेवाओं के साथ सहयोग की उम्मीद करते हैं ताकि यह काम संभव हो पाए। आज तक हमने 10 लाख से ज्यादा स्कैन कि ए हैं। हमें आशा है कि और ज्यादा लोग, डॉक्टर, स्वास्थ्य संबंधी नीतियां बनाने वाले इस अविष्कार पर ध्यान देंगे और इसका बेहतर इस्तेमाल करने में मददगार बनेंगे ताकि हम समय पर स्तन कैंसर की जांच के वादे को साकार कर सकें।’’
कैनडिस याकोनो पत्रिकाओं और समाचारपत्रों के लिए लिखती हैं। वह सदर्न कैलिफ़ोर्निया में रहती हैं।
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