सशक्त साइबर सुरक्षा

अमेरिकी कांसुलेट जनरल कोलकाता के साइबरसेफ ईस्ट कार्यक्रम ने उद्यमियों को डिजिटल दुनिया के लिए मूल्यवान सुरक्षा कौशल हासिल करने में मदद की।

माइकल गलांट

जुलाई 2024

सशक्त साइबर सुरक्षा

दीमापुर और आइज़ोल में आयोजित कार्यशालाओं में प्रभावी साइबर सुरक्षा के उपायों को सीखने के लिए 80 से अधिक भारतीय उद्यमियों ने भागीदारी की, जिनमें से अधिकतर महिलाएं थीं। (फोटोग्राफ साभारः अमेरिकी कांसुलेट जनरल कोलकाता)

बड़े देशों से लेकर छोटी निजी कंपनियों तक, सभी के लिए डिजिटल सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है। ऑनलाइन अपराधी किसी की पहचान चुरा सकते हैं, बैंक खातों को खाली कर सकते हैं, मूल्यवान निजी डेटा निकाल सकते हैं, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बाधित कर सकते हैं और इसके अलावा और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। लेकिन सही जानकारियों के साथ लोग इन खतरों से निपटने के लिए अपनी ऑनलाइन सुरक्षा में काफी सुधार कर सकते हैं।

सेंटर फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स एंड एनवायर्नमेंट (सीआईटीईई) के साथ साझेदारी में अमेरिकी कांसुलेट जनरल कोलकाता द्वारा आयोजित कार्यक्रम साइबरसेफ ईस्ट का खास मकसद डिजिटल सुरक्षा के बारे में लोगों को शिक्षित करना था। इस कार्यक्रम को यूथनेट नगालैंड, सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवास कंप्यूटिंग (सी-डैक) इंडिया और भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से भी समर्थन हासिल था।

दीमापुर और आइज़ोल में आयोजित कार्यशालाओं में प्रभावी साइबर सुरक्षा के उपायों को सीखने के लिए 80 से अधिक भारतीय उद्यमियों ने भागीदारी की, जिनमें से अधिकतर महिलाएं थीं।

कार्यशाला के सत्रों में प्रतिभागियों और उनके व्यवसायों की ऑनलाइन सुरक्षा के मकसद से इस विषय से संबंधित तमाम पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई। यहां प्रतिभागियों ने ऐसे ईमेल अटैचमेंट के बारे में जाना जिनमें कंप्यटर वायरस और दूसरे नुकसानदायक प्रोग्राम हो सकते हैं। प्रशिक्षकों ने सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करने के जोखिमों पर भी चर्चा की क्योंकि हैकर्स द्वारा उपकरणों तक अवैध पहुंच बनाने के लिए उनको जरिया बनाया जा सकता है। इसके अलावा, प्रतिभागियों ने मज़बूत पासवर्ड के चयन और उसके सुरक्षित संग्रहण के साथ-साथ टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के महत्व को भी समझा।

ऑनलाइन खतरों से मुकाबला

दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल से आने वाली उद्यमी कृतिका प्रधान, एक गैर लाभकारी संगठन गोरखा महिला कल्याण मंच की महासचिव हैं। उनका संगठन घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद के लिए समर्पित है। उन्होंने साइबरसेफ ईस्ट को ‘‘आम जनता और खासकर युवा लड़कियों और बुजुर्गों के लिए विभिन्न तरह के साइबर अपराधों के बारे में शिक्षित करने में मददगार पाया जो बहुत ही महत्वपूर्ण है,’’ क्योंकि ये लोग साइबर अपराधियों और हैकर्स द्वारा शोषण को लेकर ज्यादा जोखिम में हो सकते हैं।

आर्टिस्टिक नगा टच प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक ओनेन नेंटी ने साइबरसेफ ईंस्ट कार्यशालाओं को खासतौर पर मूल्यवान पाया। कंटेट क्रिएटर और उद्यमी नेंटी कोहिमा में एक व्यापारिक ब्रांड और होमस्टे का काम संभालती हैं और वे खुद को ‘‘अपने व्यवसाय के लिए ऑनलाइन नेटवर्किंग और सोशल मीडिया में मजबूती के साथ लगे कर्मी के रूप में परिभाषित करती हैं।’’

वह बताती हैं,‘‘साइबरसेफ ईस्ट में मेरा पसंदीदा सत्र साइबर सुरक्षा के सर्वश्रेष्ठ उपायों के बारे में सीखना था।’’

वह कहती हैं, ‘‘एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो नेटवर्किंग और सेशल मीडिया के लिए अक्सर ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों का उपयोग करता है, मुझे हमेशा हैक होने और अपने खातों के लिए चिंता सताती रहती है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के कारण साइबर सुरक्षा से जुड़ी बुनियादी जानकारियों से आगे मेरे ज्ञान का दायरा बढ़ा जिसके चलते मुझे ईमेल अटैचमेंट को लेकर सावधानी बरतने, सार्वजनिक वाई-फाई के इस्तेमाल से बचने और टू-फैक्टकर ऑथेंटिकेशन के इस्तेमाल के महत्व के बारे में जानकारी मिली।’’

नए व्यवसाय की सुरक्षा

क्यूरियस बी डिजाइन की संस्थापक और निदेशक प्रतिभा राज ने साथी उद्यमियों से साइबरसेफ ईस्ट के बारे में जाना और निर्णय लिया कि इसमें शामिल होना उनके व्यवसाय की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। बिहार की यह डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग फर्म मानसिक सेहत के लिए खास तौर पर तैयार रिक्रिएशनल किट उपलब्ध कराती है।

वह कहती हैं, ‘‘मैं ऐसे नवीनतम तकनीकी खतरों के बारे में जानकारी रखना चाहती हूं जो छोटे व्यवसायों को खतरे में डालते हैं। साइबर सुरक्षा समस्याएं मेरे व्यवसाय पर गहरा असर डाल सकती है क्योंकि देखा जाए तो ये अभी एकदम शुरुआती चरण में ही हैं।’’

राज को साइबरसेफ ईस्ट की कार्यशालाएं ज्ञानवर्धक होने के साथ दिलचस्प भी लगीं। वह बताती हैं, ‘‘कार्यशाला में खास जानकारियां उदाहरणों के साथ दी गई थीं जिससे प्रतिभागियों को उनको गहराई को समझने में मदद करने के लिए तैयार किया जा सके। यह मुझे बहुत पसंद आया, ताकि वे उन पर मंडरा रहे खतरों को महसूस कर सकें।’’ वह इस तरफ भी ध्यान दिलाती हैं कि कार्यक्रम को निजी तौर प्रतिभागियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किस तरह से ढाला गया था। वह कहती हैं, ‘‘कार्यक्रम ने मुझे उन हालात के बारे में सिखाया जहां मुझे डिजिटल खतरे का सामना करना पड़ सकता है। मैंने इन सीखों को खुद पर आजमाने के साथ-साथ कई व्यवसायों में भी लागू किया।’’ राज सभी के लिए डिजिटल सुरक्षा के महत्व पर जोर देती हैं, खासकर पुरानी पीढ़ी के लिए जो तकनीक को लेकर थोड़ी कम उत्साहित होती है। वह बताती हैं, ‘‘हमारे माता-पिता को ऑनलाइन धोखा मिलने का खतरा कहीं ज्यादा है।’’

राज का कहना है कि नवीनतम सुरक्षा उपायों और खतरों के बारे में जागरूक रहना बहुत महत्वपूर्ण है। वह साइबर अपराध के बारे में जानकारियों के अधिक से अधिक प्रसार और इससे निपटने के तरीकों के महत्व पर भी जोर देती है। उनके अनुसार, ‘‘अपडेट रहना साइबर सुरक्षा की कुंजी है। साइबर सुरक्षा से जुड़ी इन आदतों का अभ्यास एक समुदाय के तौर पर किया जाना चाहिए।’’

माइकल गलांट लेखक, संगीतकार और उद्यमी हैं। वह न्यू यॉर्क सिटी में रहते हैं।


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