अमेरिकी वाटर टेक्नोलॉजी कंपनी जाइलम न केवल पानी के टिकाऊ इस्तेमाल को संभव बनाती है, बल्कि जल प्रदूषण को दूर करते हुए सबके लिए स्वच्छ पेयजल मुहैया कराती है।
मई 2019
अपने कॉरपोरेट सिटिज़नशिप प्रोग्राम वाटरमार्क के तहत जाइलम इंडिया बेंगलुरु में विद्यार्थियों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराती है और उन्हें पानी को के बारे में स्वच्छता का प्रशिक्षण भी देती है। फोटोग्राफ: साभार जाइलम इंडिया
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट, 2018 कहती है कि जनसंख्या में वृद्धि, आर्थिक विकास और उपभोग के बदलते तरीकों के कारण पिछले एक दशक से पानी की मांग हर साल एक प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। रिपोर्ट कहती है कि ‘‘भविष्य में पानी की यह मांग बढ़ती रहेगी। पानी की मांग में ज्यादा बढ़ोतरी उन देशों में होगी, जो विकासशील हैं या जो उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं।’’
इस परिदृश्य में उपलब्ध पानी का ज्यादा प्रभावी इस्तेमाल आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसकी बर्बादी न हो। ऐसे में, दुनिया भर में विभिन्न संगठनों और शोधकर्ओं के बीच पानी से संबंधित स्मार्ट टेक्नोलॉजी पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। जाइलम ऐसी ही स्मार्ट टेक्नोलॉजी मुहैया करने वाली कंपनी है, जिसका मुख्यालय न्यू यॉर्क में है। यह दुनिया भर में उपभोक्ताओं को पानी को एक से दूसरी जगह ले जाने, उसके ट्रीटमेंट और जांच में मदद करती है।
दुनिया के जिन 150 से अधिक देशों में जाइलम स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के अलावा जल प्रबंधन से जुड़ी अन्य समस्याएं हल करती है, उनमें भारत भी एक है। जाइलम वाटर सॉल्युशन्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना 2011 में हुई। जाइलम इंडिया के प्रबंध निदेशक एच. बालासुब्रह्मण्यम कहते हैं, ‘‘भारत में पानी से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना जाइलम की मुख्य प्राथमिकता है। इस समय जाइलम इंडिया के टेक्नोलॉजी सेंटर कैंपस वडोदरा और बेंगलुरु में हैं। वडोदरा में आधुनिक तकनीक वाली असेंबली और टेस्टिंग फैसिलिटी है, जबकि इसके बिक्री कार्यालय बेंगलुरु के अलावा नोएडा, थाने और पुणे में हैं।’’
बालासुब्रह्मण्यम कहते हैं कि कंपनी के उत्पाद और सेवाएं पानी के स्रोत से लेकर जन उपयोग तक उसके हर चरण में फैली हैं, और ये इस्तेमाल हो चुकने के बाद पानी को वापस उसके स्रोत तक पहुंचाती हैं। ‘‘हम पानी को एक से दूसरी जगह तक ले जाते हैं, उसका ट्रीटमेंट करते हैं, उसकी गुणवत्ता का विश्लेषण करते हैं, उस पर नजर रखते हैं, और अंत में उसे पर्यावरण को लौटा देते हैं। इस तरह, हम जन उपयोग, औद्योगिक, आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों तक अपनी सेवाएं देते हैं।’’ वह कहते हैं, ‘‘हमारी नवाचार भरी तकनीकें, उपकरण और विशेषज्ञता के कारण वाटर ऑपरेटर जल प्रबंधन के मोर्चे पर ज्यादा प्रभावी ढंग से काम कर पाते हैं। इसके कारण पानी की उपलब्धता ज्यादा किफायती रूप में, अपेक्षाकृत आसानी से संभव होती है और विभिन्न समुदाय पानी के मामले में ज्यादा सुरक्षित होते हैं।’’
जाइलम की स्मार्ट टेक्नोलॉजी से पानी से बिजली भी बनाई जा सकती है। बालासुब्रह्मण्यम कहते हैं, ‘‘जाइलम पिछले 35 साल से अपने सबमर्सिबल टरबाइन्स के जरिये दुनिया भर में ग्रीन और नवीनीकृत हाइड्रो पावर का समर्थन करती आई है। छोटे हाइड्रो प्लांट के लिए डिजाइन किए गए हमारे टरबाइन कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में काम करते हैं। इसके लिए शुरुआत में बहुत अधिक निवेश नहीं करना पड़ता। ये लंबे समय तक चलते हैं, इनकी विश्वसनीयता भी है, और इनके लिए बहुत अधिक निर्माण की भी जरूरत नहीं पड़ती।’’
जाइलम और इससे जुड़ा गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) प्लैनेट वाटर फाउंडेशन स्वच्छ पेयजल तक पहुंच बनाने और देश के अलग-अलग हिस्सों के स्कूलों, समुदायों और परिवारों में साफ-सफाई के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मिल-जुलकर काम करते हैं। दोनों ने मिलकर 1,16,000 लोगों के बीच लोकल वाटर सिस्टम्स लगाए हैं, जिनसे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होता है।
अपने कॉरपोरेट सिटिजनशिप प्रोग्राम के तहत, जिसे इसने वाटरमार्क नाम दिया है, मैनचेस्टर सिटी फुटबॉल क्लब और प्लैनेट वाटर फाउंडेशन के साथ मिलकर जाइलम ने बेंगलुरु के दो सरकारी प्राइमरी स्कूलों में क्लीन वाटर फिल्ट्रेशन फैसिलिटी स्थापित करने में मदद की है। ‘‘इससे आसपास के लोगों को भी लंबे समय तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होगा।’’ बालासुब्रह्मण्यम आगे कहते हैं, ‘‘पूरे सप्ताह तक ये सभी संगठन स्थानीय नागरिकों के साथ मिलकर युवाओं को बताते हैं कि किस तरह फुटबॉल के जरिये भी युवाओं को साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया जा सकता है।’’
जाइलम पश्चिम बंगाल में अपने पार्टनर ‘वाटर फॉर पीपल’ के साथ मिलकर जरूरतमंद समुदायों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले पेयजल और साफ-सफाई के लिए जरूरी सेवाएं मुहैया कराती हैं। जाइलम और वाटरमार्क की आर्थिक मदद और उनके वॉलंटियर की सहायता से वाटर फॉर पीपल ने राज्य के 4,00,000 लोगों के लिए साफ पानी की व्यवस्था की है।
रंजीता बिस्वास पत्रकार हैं और वह उपन्यासों का अनुवाद करने के अलावा लघु कहानियां भी लिखती हैं। वह कोलकाता में रहती हैं।
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