विज्ञान-तकनीक शिक्षा में बदलाव

इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम की प्रतिभागी मोनिका यादव का स्टार्ट-अप युवा विद्यार्थियों को प्रायोगिक शिक्षण उपायों के माध्यम से आगे बढ़ने में मदद कर रहा है।

रंजीता बिस्वास

जुलाई 2024

विज्ञान-तकनीक शिक्षा में बदलाव

रेस्पायर एक्सपेरिमेंटल लर्निंग एक स्टार्ट-अप है और व्यावहारिक शिक्षण उपकरणों के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए व्यापक तौर पर स्टेम शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करने का काम करता है।( फोटोग्राफ साभारः मोनिका यादव)

जैव प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग के एक विद्यार्थी के रूप में मोनिका यादव ने ग्रेजुएट को सैद्धांतिक ज्ञान को अमल में लाते समय संघर्ष करते देखा। इसने उन्हें स्कूली विद्यार्थियों के लिए वर्कशॉप के आयोजन के लिए प्रेरित किया जहां उन्होंने अपने शैक्षिक कॅरियर की शुरुआत में सिद्धांत को अभ्यास से जोड़ने और क्रिटिकल थिंकिंग विकसित करने के लिए व्यावहारिक गतिविधियों और मॉडल निर्माण के माध्यम से वैज्ञानिक सिद्धांतों की पड़ताल की। उनकी रुचि ने उन्हें रेस्पायर एक्सपेरिमेंटल लर्निंग (आरईएल) शुरू करने के लिए प्रेरित किया जो एक स्टार्ट-अप है और व्यावहारिक शिक्षण उपकरणों के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए व्यापक तौर पर स्टेम (साइंस, टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग और मैथ्स) शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करने का काम करता है।

यादव बताती हैं, ‘‘पिछले नौ वर्षों में मैंने स्टेम और रोबोटिक्स किट विकसित की है और शहरी और ग्रामीण, दोनों ही जगह के स्कूलों में किफायती टिंकरिंग लैब स्थापित की है। इसके अलावा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महिलाओं के मुखर पैरोकार के रूप में मैं युवा लड़कियों को स्टेम क्षेत्र में आगे बढ़ने को प्रेरित करने के लिए गर्ल्स डू साइंस इनीशिएटिव का नेतृत्व करती हूं।’’

भारत के 11 राज्यों में 900 से अधिक नवाचार प्रयोगशालाओं के साथ, अहमदाबाद स्थित स्टार्ट-अप 800,000 विद्यार्थियों तक अपनी पहुंच बना चुका है।

यादव इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (आईवीएलपी) की पूर्व प्रतिभागी हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इस प्रमुख पेशेवर एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत पेशेवरों को अल्पकालिक यात्राओं के माध्यम से अमेरिका में उनके समकक्षों के साथ जोड़ा जाता है। उन्होंने ‘‘हिडेन नो मोर वीमेन इन एसटीईएम’’ 2023 समूह में भाग लिया। फिल्म ‘‘हिडेन फिगर्स’’ से प्रेरित यह आईवीएलपी अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और शिक्षण, नेतृत्व एवं सार्वजनिक नीति निर्माण के माध्यम से स्टेम क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को परखता है।

प्रस्तुत हैं उनसे साक्षात्कार के अंश :

स्कूली शिक्षा की शुरुआत में ही समग्र एसटीईएम शिक्षा समाधान को प्रस्तुत करना क्यों महत्वपूर्ण है?

स्कूल में शुरुआती दौर में एसटीईएम शिक्षा शुरू करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आजीवन सीखने की आदतें, निर्णय लेने, तर्क और अनुशासन जैसे जरूरी कौशल विकसित करती है। अपनी प्रारंभिक कार्यशालाओं के दौरान मैंने पाया कि जब विद्यार्थियों को खोज करने या सृजन करने का अवसर दिया जाता है तो वे कैसे प्रगति करते हैं और व्यावहारिक तौर पर सीखने के महत्व पर जोर देते हैं। जब हमने पारंपरिक विज्ञान प्रयोगशालाओं को इंटरएक्टिव डू-इट-योरसेल्फ किट और प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ गतिशील स्टेम प्रयोगशालाओं में बदल दिया तो विद्यार्थियों पर इसका गहरा असर दिखाई दिया। यादगार बदलाव खनन क्षेत्र के एक सुदूर गांव के स्कूल में देखने को मिला। यहां जिन लड़कियों के पास पहले सीमित शैक्षिक संसाधन थे, वे हमारी स्टेम प्रयोगशालाओं में नवीकरणीय ऊर्जा, रोबोटिक्स और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के बारे में सीख रही थीं। सोलर पैनल किट और सरल रोबोट बनाने में उनके उत्साह को देखना एक अविस्मरणीय अनुभव था।

आपने अपने इन तरीकों का परिचय समुदायों से किस प्रकार से कराया है?

हमने भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, रोबोटिक्स और कोडिंग जैसे क्षेत्रों में 150 से अधिक इंटरएक्टिव अनुभवों के माध्यम से अपनी स्टेम प्रयोगशालाओं को समुदायों तक विस्तार दिया है। हमारा मकसद विद्यार्थियों के बीच तार्किक सोच और अवधारणाओं के व्यावहारिक इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।

हमारी प्रयोगशालाएं मोबाइल, टिकाऊ और समावेशन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न आयु समूहों में आसान सेट-अप के लिए डिजाइन की गई हैं। हम इंटरएक्टिव बोर्ड गेम और दूसरी गतिविधियों के माध्यम से एसडीजी, पोषण और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों को उठाते हैं। हम व्यापक पहुंच बनाने के नजरिए से सरकार और उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ताओं के साथ भी सहयोग करते हैं।

क्या आप हमें अपने इन तरीकों के बारे में और अधिक जानकारी देंगी? उन्हें किस तरह से डिजाइन किया गया है?

हमारे स्टेम टूल्स स्कूलों और समुदायों की विशिष्ट शिक्षण जरूरतों को देखते हुए डिजाइन किए गए हैं। हम खास शिक्षण जरूरतों को समझने के लिए प्रारंभिक बुनियादी सर्वेक्षण से शुरुआत करते हैं जो हमें अपने टूल्स और संसाधनों को प्रभावी ढंग से तैयार करने में मदद करते हैं। हम स्थानीय भाषाओं में भी सामग्री उपलब्ध कराते हैं जिससे सीखना आसान हो जाता है।

कृपया आईवीएलपी के दौरान हुए अपने अनुभवों के बारे में हमें बताएं। एक स्टेम शिक्षक के रूप में सहभागिता से आपको किस तरह की मदद मिली?

स्टेम के क्षेत्र में महिलाओं को अक्सर आत्मविश्वास और अलगाव से संबंधित चुनौतियों से दो-चार होना पड़ता है। आईवीएलपी ने समान जुनून वाली और समान चुनौतियों को झेलने वाली महिलाओं को एकसाथ लाकर, उनमें सामुदायिक और सहायता की भावना को बढ़ावा देकर इस तरह के मसलों से निपटने की कोशिश की। कार्यक्रम ने कार्यबल में महिलाओं के लिए बेहतर पहुंच और समान भागीदारी की जरूरत पर भी बल दिया।

इस कार्यक्रम में भाग लेना एक समृद्ध अनुभव था- इससे मुझे दुनिया भर के विभिन्न स्टेम क्षेत्रों की 39 अन्य महिलाओं के साथ नेटवर्क बनाने और अपने अनुभव को साझा करने में मदद मिली जो अविश्वसनीय रूप से प्रेरणादायक रहा।

स्टेम क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के मकसद से अमेरिकी सरकार की सशक्त नीतियों और कार्यक्षेत्रों को देखना आंखे खोलने वाला था। इसने समावेशिता और पहुंच पर ध्यान देने के साथ हमारे आरईएल कार्यक्रमों को डिजाइन करने के मेरे नजरिए को बदल कर रख दिया। हमारे टूल्स में महिला वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और गृहणियों का उचित प्रतिनिधित्व भी शामिल है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि लड़कियां खुद को उन भूमिकाओं में देख सकें।

रंजीता बिस्वास पत्रकार हैं और कोलकाता में रहती हैं। वह कथा साहित्य के अनुवाद के अलावा लघु कहानियां भी लिखती हैं।


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