विषाक्त कचरे का निपटारा

नेक्सस के पूर्व प्रतिभागी मिहिर दीक्षित का स्टार्ट-अप कचरा निपटाने वाली ऐसी कुशल और किफायती मशीनें बनाता हैं जो रिसाइक्लिंग न होने वाले कचरे को लैंडफिल से बाहर रखने में मदद करती हैं।

बर्टन बोलाग

जुलाई 2024

विषाक्त कचरे का निपटारा

नेक्सस प्रतिभागी मिहिर दीक्षित का स्टार्ट-अप ऐसी कचरा निपटान मशीनें बनाता है जो प्लास्टिक जैसे रिसाइक्लिंग
न होने वाले कचरे को सुरक्षित तरीके से जलाकर उसका अधिकतर हिस्सा हवा में बदल देती हैं। (jittawit21/Shutterstock.com)

आज के तेजी से होते औद्योगीकृत समुदायों के समक्ष आने वाली चुनौतियों में कचरे की बढ़ती मात्रा तो है ही, साथ ही यह भी कि जहरीले कचरे का निपटान किस तरह से किया जाए। नेक्सस के पूर्व प्रतिभागी मिहिर दीक्षित का मानना है कि उन्हें इस समस्या का समाधान मिल गया है।

दीक्षित और ध्रुव चौहान ने 2021 में मल्हारी प्रोजेक्ट्स की स्थापना की। अहमदाबाद स्थित यह स्टार्ट-अप किफायती अपशिष्ट निपटान मशीनें बनाता है जो साइट पर ही जहरीले कचरे को जलाने के लिए पेटेंट तकनीक पर काम करती हैं। केमिकल, फार्मास्यूटिकल और इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां वर्तमान में या तो अपने गैर रिसाइक्लिंग योग्य कचरे को लैंडफिल में डलवा देती हैं या फिर सीमेंट का उत्पादन करने के लिए भट्टियों में कचरे को जला देती हैं। प्लास्टिक कचरे को आमतौर पर जला दिया जाता है क्योंकि यह अच्छी तरह से जलता है और सीमेंट बनाने के लिए जरूरी उच्च तापमान तक पहुंच जाता है। हालांकि, माना जाता है कि यह लैंडफिल से प्लास्टिक हटाने का एक सुरक्षित तरीका है लेकिन आलोचकों का दावा है कि यह विधि जहरीले उत्पाद पैदा करती है जो वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं।

मल्हारी की तकनीक को दोनों ही तरीकों के बेहतरीन पारिस्थितिकी विकल्प के रूप में प्रचारित किया जाता है। दीक्षित के अनुसार, इसकी अपशिष्ट निपटान मशीनें इन्फ्रारेड पायरोलिसिस पर आधारित तकनीक का इस्तेमाल करती हैं जो कचरे को सुरक्षित रूप से जला देती है और इसके अधिकांश हिस्से को हवा में बदल देती है और अवशेष के रूप में थोड़ी सी राख या धातु बच जाती है। इस अवशेष का फिर से इस्तेमाल या सुरक्षित निपटान किया जा सकता है।

किफायती नवप्रवर्तन  

दीक्षित और उनकी टीम ने मल्हारी की अपशिष्ट निपटान मशीनों में उपयोग की जाने वाली पेटेंट तकनीक को विकसित करने में तीन साल का समय लगाया और जनवरी 2024 में उनका उत्पादन शुरू किया। मशीनों का निर्माण अहमदाबाद में स्थित स्टार्ट-अप  की वर्कशॉप में किया जाता है और इसकी लागत 25 लाख रुपए प्रति मशीन आती है जो कि पारंपरिक पायरोलिसिस मशीनों की कीमत के मुकाबले लगभग एक तिहाई है। प्रत्येक मशीन रोजाना 1000 किलोग्राम कचरे का निपटान कर सकती है।

मिहिर दीक्षित और उनकी टीम ने जनवरी 2024 में कचरा निपटान मशीनों का उत्पादन शुरू किया। (फोटोग्राफः साभार मिहिर दीक्षित)

दीक्षित बताते हैं कि, खतरनाक कचरे को एक बॉक्स या मशीन चैंबर में डाल दिया जाता है और स्क्रू से बंद कर दिया जाता है। फिर कचरे को इंफ्रारेड रेडियेशन के इस्तेमाल से ऑक्सीजनमुक्त वातावरण में 600 से 700 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर जला दिया जाता है। दीक्षित बताते हैं, ‘‘हमारा उत्पाद सामान्य से कम तापमान का इस्तेमाल करते हुए पूरे कक्ष को गर्म करने के बजाए केवल कक्ष की सामग्री पर विकिरण को केंद्रित करता है। हम कम लागत पर और जो कुछ एकसाथ जलाया जा सकता है, उसे अलग किए बिना कचरे का निपटान करते हैं।’’ कचरे का निपटान साइट पर भी किया जाता है जिससे इसे लैंडफिल या जलाव स्थल तक ले जाने की लागत कम हो जाती है। उनके अनुसार, ‘‘हमारी मशीन किसी कंपनी के परिसर में स्थापित की जा सकती है और समूचे अपशिष्ट निपटान चैनल की आवश्यकता को खत्म कर देती है।’’

नेक्सस बूट कैंप 

दीक्षित ने 2017 में गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की उपाधि हासिल की और 2022 में अमेरिकन सेंटर नई दिल्ली में नेक्सस स्टार्ट-अप हब में भागीदारी की। नेक्सस, अमेरिकी दूतावास, नई  दिल्ली और एलायंस फॉर कमर्शियलाइजेशन एंड इनोवेशन रिसर्च (एसीआईआर) के बीच एक साझेदारी है जिसका मकसद भारतीय स्टार्ट-अप्स को पोषित और सफल बनाने में मदद करना है। यह तीन महीने का पूर्णकालिक कार्यक्रम है जिसमें औपचारिक कक्षाओं और व्याख्यान के अलावा प्रतिभागियों को उद्योग और शिक्षा जगत के दिग्गजों के साथ जोड़ा जाता है।

प्रशिक्षण में शामिल एक महत्वपूर्ण क्षेत्र संचार का था। दीक्षित बताते हैं, ‘‘हम जो कह रहे हैं और लोग जो समझते हैं, उसके बीच अंतर हमें समझ आ गया है। उन्होंने हमें उन कमियों को दूर करने का रास्ता सुझाया।’’

दीक्षित का कहना है कि उन्होंने नेक्सस कार्यक्रम के माध्यम से एक मेंटर के साथ मजबूत कामकाजी रिश्ते बना लिए जिसने उन्हें स्टार्ट-अप के मार्केटिंग दृष्टिकोण को बेहतर बनाने में मदद की और पहले से जारी व्यावसायिक मसलों पर उनका मार्गदर्शन करना जारी रखा। दीक्षित के अनुसार, उनके मेंटर एक नया दृष्टिकोण लेकर आए। वह कहते हैं, ‘‘हमारा नजरिया ग्राहक केंद्रित था। मेंटर ने समाधान केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया। अपने प्रोजेक्ट के लिए सेल्समैन होने के बजाए उन्होंने एक दर्दनिवारक की तरह से काम करने की सलाह दी जो किसी कंपनी को उसकी अपशिष्ट निपटान समस्या (सिरदर्द) से निपटने में मदद कर सके।’’

मल्हारी प्रोजेक्ट्स ने पहले ही गुजरात में एक नगरपालिका कचरा निपटान कंपनी और एक केमिकल कंपनी के लिए अपनी मशीनें स्थापित कर दी हैं। स्टार्ट-अप और अधिक संभावित ग्राहकों के साथ चर्चा कर रहा है। दीक्षित को उम्मीद है कि अपशिष्ट प्रबंधन को किफायती और कुशल बनाने वाले मल्हारी के तकनीकी नवाचारों के साथ उनका व्यवसाय तेजी के साथ नई मंजिलों को छुएगा।

बर्टन बोलाग स्वतंत्र पत्रकार हैं और वॉशिंगटन, डी.सी. में रहते हैं।    


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