टेककैंप साउथ एशिया में भागीदारी करने वालीं सहर मंसूर के स्टार्ट-अप बेयर नेसेसिटीज द्वारा ऐसे निजी और घरेलू देखभाल उत्पाद बनाए जाते हैं जो पर्यावरण अनुकूल हैं और जिनमें बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग का इस्तेमाल होता है।
नवंबर 2019
सहर मंसूर के स्टार्ट-अप बेयर नेसेसिटीज द्वारा ऐसे पर्यावरण अनुकूल उत्पाद बनाए जाते हैं जो कचरा-मुक्त जीवनशैली में मदद करते हैं। साभार: बेयर नेसेसिटीज
सहर मंसूर बेयर नेसेसिटीज की संस्थापक हैं। बेंगलुरू से संचालित यह कंपनी पर्यावरण अनुकूल उत्पाद बनाती है। और यह यात्रा शुरू हुई भारत की गलियों के बीच से गुजरने के साधारण अनुभव से। वह कहती हैं ‘‘मैं भारत की कचरा समस्या को लेकर उलझन में थी। सड़कों पर कचरे के ढेर देखकर मैं हर दिन इससे गुजरती थी। मैं देखती थी कि स्थानीय कचरा बीनने वाले अपने खुले हाथों से कचरे के ढेर की छंटाई करते थे।’’ वह कचरे की समस्या से जुड़े पर्यावरणीय, स्वास्थ्य संबंधी और सामाजिक न्याय के मसलों पर सोचने लगीं।
मंसूर कहती हैं, ‘‘मैं समस्या का हिस्सा बने रहना नहीं चाहती थी। मैं जानती थी कि मुझे पहले अपने खुद के कचरे से जूझना होगा मेरा समाधान यह था कि ऐसी जीवनशैली अपनाई जाए जो उन मूल्यों को प्रतिबिंबित करे जिनकी मैं चिंता करती हूं।’’
मंसूर ने विश्व स्वास्थ्य संगठन में काम किया था, जिसमें पर्यावरण योजना, नीति और कानून पर ध्यान था। इसलिए उन्होंने निर्णय किया कि ‘‘मुझे ऐसी जीवनशैली जीनी है जो मेरे पर्यावरणीय और सामाजिक न्याय के मूल्यों के अनुरूप हो। मुझे उस उस पर अमल करना था जो मैं कहती हूं। मैं जानती थी कि मुझे कचरा-मुक्त जीवनशैली शुरू करनी होगी।’’ और उसके बाद उन्होंने वाकई कचरा-मुक्त जीवनशैली की शुरुआत कर दी। मंसूर कहती हैं कि पिछले ढाई साल में उन्होंने ‘‘सिर्फ आधा किलोग्राम कचरा पैदा किया है, जो आधा लीटर के जार में आ सकता है।’’
लेकिन उनके लिए कचरा-मुक्त जीवनशैली को अपनाने के रास्ते में एक चीज़ बाधा बन रही थी: उनके निजी और घरेलू देखभाल के काम आने वाले उत्पाद। इनमें रसायन होने के आसार होते हैं और अक्सर इनकी पैकेजिंग प्लास्टिक की होती है।
मंसूर कहती हैं, ‘‘इसके समाधान के लिए मैं ऐसी कंपनी बनाना चाहती थी जो शून्य कचरा, नीति अनुसार उपभोग और सदाजीविता के विचारों को प्रतिबिंबित करे। मैं उन लोगों के लिए भी चीज़ें आसान करना चाहती थी जो सोचसमझकर उपभोग की सोचते हैं और उन्हें कम कचरा पैदा करने के लिए प्रेरित किया जा सके। इसी से बेयर नेसेसिटीज के विचार ने जन्म लिया।’’ वह कहती हैं कि वह ‘‘संयागेवश उद्यमी’’ बनी हैं, हालांकि उनके परिवार में ऐसे उद्यमी हैं जो लगातार नए उद्यम शुरू करते हैं।
बेयर नेसेसिटीज के उत्पादों में बहुत तरह के निजी इस्तेमाल और घरेलू देखभाल में इस्तेमाल वाले उत्पाद हैं, जैसे साबुन, कपड़े धोने का डिटरजेंट ओर स्टेनलेस स्टील के स्ट्रॉ।
मंसूर ने अमेरिकी विदेश विभाग के पब्लिक डिप्लोमैसी प्रोग्राम टेककैंप साउथ एशिया में भागीदारी की। उनका प्रोजेक्ट लोगों की भागीदारी के आधार पर कचरा-मुक्त सामग्री और कौशल आधारित कुकबुक तैयार करने का था। उन्होंने इसमें शामिल होने वालों से अपनी दादी-नानी से बात कर पारंपरिक डिश सीखने को कहा।
मंसूर कहती हैं, ‘‘सभी के पास कोई दास्तां बताने को होती है, लोगों के भारतीय उत्पादों के साथ स्वाभाविक नाते के बारे में जानना रहस्योद्धाटन की तरह था। दास्तां कहने की ताकत भारतीय संस्कृति का खासा हिस्सा रहा है और परिवार के लोगों और मित्रों से बातचीत में यह बिना किसी भूल के बना रहा। मूल सवाल, जैसे प्लास्टिक की बोतलों में शैंपू आने से पहले वे क्या करते थे या टूथपेस्ट में क्या होता है।’’ ***
इन दास्तांओं ने कचरा-मुक्त नुस्खों और तरीकों पर एक किताब का स्वरूप लिया है, जिसमें भागीदारों के रेखांकन भी हैं। कंपनी अब इसके प्रकाशन के लिए एक प्रमुख प्रकाशक से संपर्क में है।
वह बताती हैं कि बेयर नेसेसिटीज के सभी उत्पाद पुराने और नए का संगम हैं और इनका पर्यावरण या सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। इनमें रिसाइकिल्ड या बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग का प्रयोग किया जाता है और कर्नाटक में महिलाओं द्वारा इन्हें हाथों से तैयार किया जाता है। ***
कैनडिस याकोनो पत्रिकाओं और अखबारों के लिए लिखती हैं और दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया में रहती हैं।
Very Nice
Manoj Tomar
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