युवा नेतृत्व परिवर्तन का वाहक होता है, कमजोर समुदायों को सशक्त करता है और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करता है जहां सभी की आवाज़ मायने रखती है।
मार्च 2022
कैट-कथा की संस्थापक और निदेशक गीतांजली बब्बर (मध्य में)। फोटोग्राफ- साभार गीतांजली बब्बर
‘‘अक्सर बहुत बार, युवा लोगों को दरकिनार कर दिया जाता है, आपके नज़रिए की कद्र नहीं की जाती। एक ऐसे समय में जब लोकतंत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां मौजूद हों और उनसे सबसे ज्यादा युवा ही प्रभावित हो रहा हो, यह सरासर अस्वीकार्य है।’’
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने पिछले वर्ष वॉशिंगटन,डी.सी. में लोकतंत्र पर आयोजित शिखर सम्मेलन के दौरान यूथ टाउन हॉल में इन शब्दों को साझा किया। इस विशेष आयोजन में 60 देशों के युवा नेताओं ने हिस्सा लिया- जिसमें भारत की दो महिलाओं, गीतांजलि बब्बर और श्रेया सेन ने भी भाग लिया। ये दोनों उन संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं जो समाज के सबसे कमजोर तबके को अपनी आवाज उठाने की दृष्टि से सशक्त बनाते हैं।
बब्बर, एक अलाभकारी संस्था (कैट-कथा )की संस्थापक और निदेशक हैं। यह संस्था जबरिया देह व्यापार में ढकेली गईं महिलाओं और बच्चों को एक नया जीवन शुरू करने में मदद करती है। सेन महिला नेतृत्व वाले संगठन नज़दीक में वरिष्ठ शोधकर्ता और प्रशिक्षक के रूप में काम करती हैं। यह संगठन हशिए पर पड़े समुदायों को देश की कानूनी न्याय प्रणाली का फायदा उठाने में सहायता करता है।
बब्बर के अनुसार, ‘‘कैट-कथा का अर्थ है कठपुतली की कहानी। कठपुलतियों जैसी जिन महिलाओं की हम मदद करते हैं, वे बहुतों से नियंत्रित होती हैं चाहे वे उनके ट्रैफिकर हों, उनके साथ बुरा सलूक करने वाले हों, उनके ग्राहक, मालिक, पुलिस या समाज हो। हमारा सपना नियंत्रण के इन संबंधों को तोड़ना है और प्रत्येक महिला को इस लायक बनाना है कि वह अपनी क्षमता को समझते हुए सम्मान का जीवन जीने में सक्षम बन सके।’’ इस अलाभकारी संस्था का लक्ष्य शैक्षणिक सहायता, मानसिक स्वास्थ्य और व्यावसायिक प्रशिक्षण सहित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इन लक्ष्यों को हासिल करने का है।
नजदीक सशक्तिकरण के इन समान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जमीनी स्तर पर कानूनी शिक्षा, अनुसंधान, एडवोकेसी और अन्य रणनीतियों का इस्तेमाल करता है। सेन के अनुसार, ‘‘हम अपने काम के जरिए यह सुनिश्चित करते हैं कि समुदायों के पास अपने अधिकारों की मांग करने के लिए जरिया और व्यवस्था मौजूद हो।’’ सेन का संगठन कानून और कमजोर समुदायों के बीच की महत्वपूर्ण खाई को पाटने का काम करता है। हालांकि कई अच्छी नीतियां कागजों पर पहले से मौजूद हैं, लेकिन हाशिए पर पड़ा समुदाय उसका फायदा उठा पाए, यह बड़ी बात है। इसीलिए नजदीक की कोशिश नागरिकों को साथ लेने और कानूनों की व्याख्या करने के साथ कानूनी मदद और सलाह उपलब्ध कराने की होती है।
नेतृत्व की तरफ यात्रा
बब्बर ने कभी भी सेक्स वर्कर्स की मदद करने के लिए किसी संगठन को बनाने की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन नई दिल्ली में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन में काम करते हुए वह इस काम के लिए प्रेरित हुईं। वह कहती हैं, ‘‘सेक्स वर्कर समुदाय के साथ जब मेरी पहली शुरुआती अनौपचारिक बातचीत हुई तो मुझे अहसास हुआ कि उनकी जरूरतें एड्स नियंत्रण जैसे मसले से कहीं आगे जा चुकी हैं। मैं अपने काम को निपटा कर उन महिलाओं के पास जाने लगी और बस उनसे बात करने और उन्हें सुनने में अपना समय व्यतीत करने लगी।’’ इसी दौरान कुछ महिलाओं ने उनसे पूछा कि क्या वे उन्हें पढ़ना सिखा सकती हैं। दोस्तों और स्वयंसेवकों ने बब्बर के शैक्षिक प्रयासों में मदद करना शुरू कर दिया और मूल रूप से कैट-कथा ने वहीं से आकार लेना शुरू किया।
नज़दीक में शामिल होने के लिए सेन की यात्रा भी बहुत-कुछ ऐसी ही घटनाओं पर निर्भर रही। उन्हें एक पारस्परिक दोस्त के जरिए संगठन से परिचित कराया गया और उन्होंने तुरंत कानूनी प्रक्रिया के जरिए लोगों को रास्ता दिखाने की संगठन की प्रतिबद्धता को भांप लिया। सेन के अनुसार, ‘‘नज़दीक, जिस किसी भी समुदाय में काम करता है, उसके प्रयासों की जानकारी भी उन्हीं महिलाओं से दिलवाई जाती है जो जाति, वर्ग, भौगोलिक स्थिति, व्यवसाय और धर्म की आड़ में उत्पीड़न का शिकार हो चुकी होती हैं।’’ उनके अनुसार, उन आवाजों को केंद्र में रखने और उसे और मुखर बनाना, यही नज़दीक सुनिश्चित करता है। ताकि सेन के अनुसार, ‘‘हाशिए पर पड़े इन समूहों की प्राथमिकताओं को पहचाना जाए और उस पर आगे काम किया जाए।’’
उदाहरण के लिए, शहरी कानूनी अधिकारिता परियोजना में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं के मातृ स्वास्थ्य अधिकारों के संवर्धन के लिए दिल्ली के दो इलाकों- गोल मार्केट और भीमनगर के 25 सदस्यों को शामिल किया गया। नज़दीक ने मातृ स्वास्थ्य, पोषण, आवास और स्वच्छता संबंधी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए समुदायों की 20 से अधिक प्रशासनिक शिकायतों को कानूनी टीम के जरिए दर्ज कराने में सहायता दी। उनके प्रयासों से एक खस्ताहाल शौचालय परिसर का जीर्णोद्धार हो सका और पेयजल तक लोगों की पहुंच बढ़ सकी।
कैट-कथा ने भी उन समुदायों पर महत्वपूर्ण सकारात्मक असर डाला है जिनकी सेवा से वह जुड़ा हुआ है। बब्बर उन दो युवा लड़कियों को बचाए जाने के प्रयासों का जिक्र करती हैं जिनको गुलाम बनाए जाने और ट्रैफिकिंग में फंसने का खतरा था। बब्बर बताती हैं, ‘‘इन लड़कियों ने जबरदस्त साहस और बहादुरी का परिचय दिया और हमारे बचाव प्रयासों में सहयोग किया। आज वे 16 और 18 साल की हो चुकी हैं। अच्छे स्कूलों में पढ़ रही हैं और एक सुरक्षित माहौल में फल-फूल रही हैं।’’ वह यह भी बताती हैं कि 20 साल तक देह व्यापार का काम करने वाली एक अन्य महिला ने किस तरह से अपने को इस काम से अलग कर लिया और कैट-कथा समुदाय से जुड़ते हुए कौशल प्रशिक्षण हासिल किया। बब्बर के अनुसार, ‘‘वह महिला अब अपने गृहनगर वापस आ गई है और अपने सिलाई कौशल के जरिए कमा-खा रही है। अपने पैतृक गांव में वह अपने पति और बेटी का भरण पोषण करती है। ऐसी दास्तां से मुझे हमेशा प्रेरणा मिलती है और जो कुछ भी मैं कर रही हूं, उस पर आगे बढ़ने का हौसला मिलता है।’’
एक्टिविज्म और लोकतंत्र
बब्बर और सेन की वजह से इन संगठनों को व्यक्तिगत स्तर पर विशेषज्ञता तो मिलती ही है, साथ ही इन समस्याओं के बारे में उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण भी मिलता है। ये दोनों ही अमेरिकी सरकार के एक्सचेंज प्रोग्राम की एल्युमनी हैं। दिसंबर 2021 में आयोजित यूथ टाउन हॉल में प्रतिभागियों के रूप में उन्होंने जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी, नस्ली न्याय, समानता और समावेश जैसे मसलों पर चर्चा की। बब्बर के अनुसार,‘‘शुक्रगुजार हूं कि मैं इस शिखर सम्मेलन का हिस्सा बन सकी।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया भर के नेताओं को इन मसलों को वैश्विक स्तर पर एकसाथ आकर हल करना चाहिए। उनके अनुसार, ‘‘यह सीखने के लिए एक अद्भुत अनुभव था। मुझे उम्मीद है कि ऐसे मंच मौजूद रहेंगे और तमाम दूसरे प्रतिभागियों के लिए भी सुलभ भी होंगे।’’
सेन भी यूथ टाउन हॉल में हिस्सा लेने और राजदूत थॉमस-ग्रीनफील्ड से सवाल पूछने का मौका मिलने से अभिभूत हैं। वह अपने अनुभव को विशेष रूप से सार्थक बताती हैं क्योंकि वह उसे दुनिया भर से आए अपने साथी प्रतिभागियों के साथ साझा कर सकीं और उन मुद्दों पर उन्हें बेहतर समझ मिल सकी जो हर जगह युवा नेतृत्व के समक्ष एक चुनौती के रूप में मौजूद होते हैं।
विभिन्न समुदायों की सेवा करते हुए सेन और बब्बर ने जिन जरूरतमंद लोगों को आवाज़ देने की कोशिश की, उनमें तमाम युवा भी शामिल हैं और इनकी मदद करके एक तरह से वे भारत के लोकतंत्र की जीवनशक्ति को मजबूत करने में सहायता देती हैं। सेन के अनुसार, ‘‘मेरा मानना है कि, मजबूत और जीवंत लोकतंत्रिक व्यवस्था के लिए सभी नागरिकों और निवासियों की भागीदारी जरूरी है। हालांकि, आज और आने वाले कल की दुनिया को आकार देने में युवाओं की एक अनूठी और महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत के साथ दुनिया के सभी देशों में महत्वपूर्ण मसलों पर लोकतांत्रिक मान्यताओं का ध्यान रखते हुए युवा आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं। जब तक उनकी आवाज नहीं सुनी जाती, उनका समर्थन नहीं किया जाता और उसका विस्तार नहीं किया जाता, तब तक लोकतंत्र को समग्र और प्रासंगिक नहीं माना जा सकता।’’
बब्बर मानती हैं कि बदलाव में युवा शक्ति की भूमिका बहुत महतत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, ‘‘युवा किसी भी राष्ट्र के जीवन में एक धड़कते दिल के समान हैं। वे ही बदलाव के वाहक हैं और वे उनमें से हैं जो लोकतंत्र को जवाबदेह बनाए रखेंगे।’’ युवा ही बेहतर भविष्य की दिशा में काम करने के लिए जागरूकता को बनाए रखेंगे।
भारतीय युवा, सेन और बब्बर की मिसाल का फायदा अपने जुनून को पूरा करने और दूसरों की मदद करने के काम में उठा सकते हैं। बब्बर के अनुसार, ‘‘दिल और दिमाग की सोच में तालमेल बैठाकर सभी बाधाएं दूर की जा सकती हैं। हर किसी में प्रेम, दया और बदलाव लाने की क्षमता होती है। हम सभी इस दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकते हैं चाहे हमारे संसाधन कुछ भी हों।’’
माइकल गलांट गलांट म्यूजिक के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वह न्यू यॉर्क सिटी में रहते हैं।
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