नए परिदृश्य में दाखिले

सेहत की चिंता, आपस में भौतिक दूरी बनाए रखने और उथल-पुथल के दौर में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए यह दौर नई चुनौतियों से रूबरू होने और उनसे जूझने का है।

माइकल गलांट

जुलाई 2020

नए परिदृश्य में दाखिले

हैवरफ़र्ड जैसे संस्थानों के लिए लक्ष्य वही हैं- बौद्धिक रूप से उत्सुक, समुदाय के बारे में सोचने वाले युवाओं से संपर्क करना और उन्हें हैवरफ़र्ड जैसी जगह पर पढ़ाई के विचार का अवसर देना। फोटोग्राफ: पैट्रिक मोंटेरो/हैवरफ़र्ड कॉलेज

कोरोना वायरस से फैली महामारी ने सब कुछ बदल कर रख दिया है। इसमें कॉलेज में दाखिले की दुनिया भी शामिल है। भारत के ऐसे विद्यार्थी जो अमेरिका के विश्वस्तरीय संस्थानों में पढ़ाई करना चाहते हैं, उनके लिए भविष्य किस तरह का होगा?

अमेरिकी विश्वविद्यालयों के दाखिला अधिकारियों को यह पता है कि इस महामारी ने किस तरह से विद्यार्थियों के लिए नए तरह की चुनौतियां पैदा कर दी हैं। इसलिए इस काम में अब न सिर्फ उनके संस्थान, उनके समुदाय या फिर आवेदकों के समूह को ध्यान में रखा जा रहा है बल्कि समाज को गहरे तक प्रभावित करने वाली और वैश्विक स्तर पर होने वाली घटनाओं का भी संज्ञान लिया जा रहा है।

पेन्सिलवैनिया में हेवरफोर्ड कॉलेज की सीनियर एसोसिएट डायरेक्टर और डायरेक्टर ऑफ इंटरनेशनल एडमिशन कैथलीन एबेल्स का कहना है, ‘‘कोविड-19 की वजह से दाखिले के मामलों पर विचार के मानकों की एक और परत तैयार हो गई है। हमें पता है कि दुनिया भर में बहुतायत विद्यार्थियों को कोविड-19 की वजह से अपनी पढ़ाई में दिक्कतों को झेलना पड़ा है। हम विद्यार्थियों और उनके संस्थानों से महामारी के बारे में मिलने वाली जानकारी का इस्तेमाल करते हुए यह समझने का प्रयास करेंगे कि स्थानीय स्तर पर उससे चुनिंदा संस्थानों और समुदायों पर किस तरह का असर पड़ा है।’’

इस अहम पहलू को बेहतर तरीके से समझने के लिए एबेल्स खासतौर पर सिफारिश करती हैं कि विद्यार्थियों को अपने आवेदन पर विशेष ध्यान देना चाहिए और अपनी उपलब्धि का जिक्र करते समय यह जरूर बताना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ। वह बताती हैं, ‘‘हमें पता है कि बहुत से विद्यार्थियों को कोविड-19 के चलते गर्मियों की योजनाएं जैसे नौकरी, इंटर्नशिप और ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम और यात्राएं रद्द या स्थगित करनी पड़ीं।’’ वह कहती हैं, ‘‘मैं विद्यार्थियों से आग्रह करूंगी कि वे सोचें कि वे इस तरह के अनुभव क्यों चाहते थे और वे क्यों अपने समय को वैसे व्यतीत करना चाहते थे। हेवरफोर्ड में विद्यार्थियों को किसी खास तरह के अनुभव की वजह से ही नहीं दाखिला दिया जाता बल्कि उन अनुभवों के बारे में उनके चिंतन और उनकी दुनिया में जगह को भी बहुत अहमियत दी जाती है। आपका खुद का चिंतन इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण पहलू है।’’

महामारी के दौरान और भविष्य को देखते हुए अमेरिकी विश्वविद्यालयों की दाखिला टीमें संभावित विद्यार्थियों के चयन और दाखिला देने के तमाम रचनात्मक तरीकों पर काम कर रही हैं। एबेल्स का कहना है, ‘‘हो सकता है इस साल मैं अगस्त के महीने में भारत की यात्रा पर आने में असमर्थ रहूं जैसा कि पिछले चार सालों से मैं इसका आनंद उठाती रही हूं। लेकिन हमारे मकसद जस के तस बने रहेंगे। यानी बौद्धिक रूप से जिज्ञासु, समाजोन्मुख नौजवानों को जोड़ना और उन्हें हेवरफोर्ड जैसे संस्थान में मौका देने पर विचार करना।।’’

अनिश्चितता से जूझना

महामारी के इस दौर में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों को इसकी तैयारी थोड़ा पहले से करनी होगी। उन्हें इस बारे में और ज्यादा पड़ताल करने के अलावा, आवश्यकताओं, समयसीमा, नए कानूनों और नीतियों के कारण होने वाले अप्रत्याशित बदलावों, वायरस के और उग्र होने, लॉकडाउन और अचानक होने वाले किसी भी बदलाव के लिए तैयार रहना होगा।

ऑस्टिन की टेक्सस यूनिवर्सिटी के दाखिला कार्यकारी निदेशक मिगुएल वेसीलेवस्की के अनुसार, ‘‘आवेदन की आखिर तारीख से पहले स्टैंडर्ड टेस्ट को निर्धारित करना चाहिए जिसमें उसे फिर से निर्धारित करने की पूरी गुंजाइश हो ताकि अच्छे अंकों के लिए परीक्षा को फिर से दिया जा सके। उनका कहना है कि, ‘‘आपको जल्दी से जल्दी आधिकारिक शैक्षिक प्रमाणपत्र और रिकॉर्ड को हासिल कर लेना चाहिए और यह भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आपके पास उनकी कई प्रतियां हों। हरेक संस्थान में दाखिले से संबंधित सूचनाओं और प्रक्रिया को ध्यान से पढ़ें क्योंकि सभी की जरूरतें अलग-अलग होती हैं।’’

कई बार बहुत ज्यादा योजनाबद्ध तरीके से काम करने के बाद भी आवेदन की प्रक्रिया वैश्विक घटनाओं के कारण प्रभावित होती है। वेसेलेवस्की के अनुसार, ‘‘कोविड-19 के कारण हम सीधे आवेदकों के संपर्क में हैं ताकि उनकी जरूरतों पर ध्यान दे सकें। चीजें लगातार बदल रही हैं और हमें रोजाना अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों की दिक्कतों को देखते हुए स्थिति की समीक्षा करनी पड़ रही है। हम दाखिले के लिए विद्यार्थियों की जरूरतों को देखते हुए दूसरे वैकल्पिक उपायों के बारे में गौर कर रहे हैं।’’

आज के कोरोना वायरस प्रकोप के चलते पैदा हुए हालात के कारण यात्रा और इमीग्रेशन संबंधी तमाम सवाल पैदा हो रहे हैं। वेसेलेवस्की का कहना है कि ऐसे अनिश्चित समय में संस्थान और आवेदक के बीच में लगातार संपर्क का बने रहना सबसे जरूरी है। वह कहते हैं, ‘‘दाखिला अधिकारी ताज़ा घटनाक्रम पर नज़र रखते हैं और वे सुनिश्चित करेंगे कि हमारे अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को पहले की तरह ही अमेरिका में पढ़ने मौका मिल सके।

उम्मीदों से भरा भविष्य

हालांकि महामारी के दौर में भी कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया काफी बोझिल लग सकती है लेकिन फिर भी वेसेलेवस्की कहते हैं कि उम्मीदों में शक्ति होती है और साथ ही काफी मदद भी उपलब्ध है।

वह कहते हैं, ‘‘आगे अभी भी काफी अनिश्चितता है लेकिन हम यहां पर प्रक्रिया के बारे में विद्यार्थियों और आवेदकों को रास्ता दिखाने के लिए हैं। वर्ष 2020 के पतझड़ में बहुत से कॉलेज और विश्वविद्यालय खुलने की तैयारी कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को पढ़ाई में निरंतरता के लिए ऑनलाइन क्लास की योजना बनाई जा रही है। हालांकि इस साल का सत्र पहले के सत्रों से अलग होगा लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि उच्च शिक्षा कुल मिला कर चार साल का अनुभव होता है। इसलिए विद्यार्थियों के पास बहुत से ऐसे मौके होंगे जबकि वे पारंपरिक कॉलेजों के अनुभवों से दोचार हो पाएंगे।’’

वह बताते हैं, ‘‘हम चाहते हैं कि हमारे अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी उस हद तक कैंपस का आनंद उठाएं जिस हद तक उनकी चाह है। और हम उसे पूरा करने के लिए जो कुछ भी करना चाहिए, वह सब कुछ कर भी रहे हैं। कृपया अमेरिका में पढ़ाई की अपनी योजना को छोड़े नहीं।

माइकल गलांट गलांट म्यूज़िक के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वह न्यूयॉर्क सिटी में रहते हैं। 



टिप्पणियाँ

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *