विनीता सूद बेलानी की थिएटर कंपनी एनएक्ट आर्ट्स, थिएटर में दक्षिण एशियाई लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है।
जनवरी 2019
एनएक्ट आर्ट्स द्वारा निर्मित ‘‘ए नाइस इंडियन बॉय’’ में बे एरिया में जन्मी नाटककार माधुरी शेखर इस बात की पड़ताल करती हैं कि सिलिकॉन वैली में दक्षिण एशियाई और समलैंगिक होने के मायने क्या हैं। फोटोग्राफ: साभार एनएक्ट आर्ट्स
एनएक्ट आर्ट्स कैलिफ़ोर्निया में सिलिकॉन वैली और ह्यूस्टन, टेक्सास में मौजूद है और थिएटर के माध्यम से अमेरिका में दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए उनसे जुड़े कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही है। एनएक्ट आर्ट्स की जड़ें वृहत्तर भारतीय महाद्वीप में हैं और यह उस तरह के संवाद को बढ़ाती है जिससे लोगों में सहिष्णुता बढ़े। इस अंतरराष्ट्रीय थिएटर कंपनी की संस्थापक और कला निदेशक विनीता सूद बेलानी के अनुसार, ‘‘हम एक थिएटर कंपनी हैं जो तीन सूत्रीय मिशन पर काम कर रहे है। इसमें दक्षिण एशियाई क्षेत्र में एक साथ रहने वाले लोगों की जातीय पहचान को तोड़ते हुए उनकी दास्तां और संस्कृति को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में समझाने का प्रयास किया जाता है। इससे थिएटर के क्षेत्र में दक्षिण एशियाई लोगों को अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाने और उस क्षेत्र के सभी आयामों में प्रतिभा विकास का मौका उपलब्ध होता है जिसमें नाटक लेखन भी शामिल है।’’
एनएक्ट की कोशिश उन नाटकों का चुनाव करने की होती है जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र के युवा लेखक होने के साथ-साथ, बेलानी के शब्दों में क्षेत्र की आवाज भी बन सकें। बेलानी का कहना है, ‘‘हम ऐसे विषयों का चयन करते हैं जो आज वैश्विक समाज में अपनी जगह बनाते दक्षिण एशियाई लोगों के लिए प्रासंगिक हों। इन नाटकों में दक्षिण एशियाई किरदारों की भूमिका बहुत सशक्त होती है, खास तौर पर महिलाओं की।’’ वह बताती हैं, ‘‘उदाहरण के लिए हम भारतीय मूल के केन्या में जन्मे नाटक लेखक शिशिर कुरूप को ले सकते हैं जो इस समय लॉस एंजिलीस में रह रहे हैं। उनका नाटक ‘‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’’ अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीयों की निगाह में हिंदू- मुस्लिम रिश्तों पर एक बेहतरीन कटाक्ष है। इसमें 10 भारतीय किरदार हैं जबकि 2 लैटिनो भूमिकाएं हैं। या फिर सिलिकॉन वैली में जन्मी युवा नाटककार माधुरी शेखर को लिया जा सकता है जो कुछ वर्ष निवास के लिए वापस भारत गईं। हमने उनके दो नाटक मंचित किए हैं- ए नाइस इंडियन बॉय, जिसमें हास्य का पुट लिए हुए एक रहस्य है जो एक ऐसे भारतीय लड़के की कहानी है जो समलैंगिक है और सिलिकॉन वैली में एक गोरे लड़के के मोहपाश में पड़ गया है। ‘‘क्वीन’’ की कहानी एक भारतीय लड़की के कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी, सांता क्रूज के काकेशियन बायोलॉजिस्ट से संबंधों पर आधारित है। लड़की एक गणितज्ञ है और वे दोनों मधुमक्खियों के मरने के वैज्ञानिक कारणों का पता लगा रहे हैं। इन सभी में दक्षिण एशियाई किरदारों के लिए सशक्त भूमिका है।’’
एनएक्ट दक्षिण एशियाई लोगों की अभिरुचि के अनुरूप विभिन्न विषयों पर काम को कराने का दायित्व भी लेता है। लाइफटाइम ऑस्कर विजेता ज्यां क्लाउड ने एनएक्ट के लिए डेढ़ घंटे की कहानी पर मंचन किया। महाभारत की कथा को अपनी तरह से कहने के दौरान वह प्राचीन सभ्यता में इसकी जड़ों तक जाते हैं और आज के समय में इसकी प्रासंगिकता की चर्चा करते हैं। भारतीय नाटककार फैसल अल्काज़ी ने बेगम नूरजहां के जीवन पर आधारित ‘‘नूर: एंप्रेस ऑफ द मुगल’’ लिखी। यह कहानी नूरजहां के जीवन को मुगल दरबार के एक किन्नर की निगाह से देखने की कोशिश थी। पहली बार नाटक लेखन के क्षेत्र में उतरे बे एरिया के सलिल सिंह और अनुराग वढेरा ने ‘‘द पार्टिंग’’ नामक एक नाटक लिखा जो 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय उन लोगों पर आधारित है जो सीमा रेखा पार करके दूसरी जगह गए थे। बेलानी का कहना है, ‘‘यह विभाजन पर खास तरह का राजनीतिक नज़रिया है। इस प्रोजेक्ट के लिए दक्षिण एशियाई समुदाय एकसाथ आ गया: फंड देने से लेकर दास्तां को साझा करना, फंड के लिए लोगों को तैयार करना और सभी शो की सीट को भरने का जिम्मा ये लोग उठाते थे।’’
एनएक्ट टिकटों की बिक्री, कला को मिलने वाली ग्रांट, निजी और कॉरपोरेट स्पॉंसरशिप और फाउंडेशन ग्रांट से अपना फंड एकत्र करता है। इसका सहयोगी संगठन एनएक्ट अकादमी कक्षाओं, कार्यशालाओं और युवाओं के लिए अभिनय कार्यक्रमों के आयोजन के जरिए अभिनय और थिएटर की शिक्षा देता है। बेलानी का कहना है, ‘‘एस्पायर हमारा शौकिया प्रॉडक्शन है, हाइब्रिड अपने हुनर के प्रति ज्यादा गंभीर लोगों के लिए हमारे प्रशिक्षण का मैदान है जबकि प्रो अभिनेता को उस बिंदु तक ले जाता है जहां से वह अभिनय में पेशेवर कॅरियर के लिए तैयार होता है। उनमें से बहुतेरे अंशकालिक अभिनेता के रूप में काम करने लगते हैं और उन्हें लॉस एंजिलीस, न्यू यॉर्क और दूसरे क्षेत्रीय थिएटरों में मुख्य धारा की प्रतिभाओं के समूह में शामिल कर लिया जाता है।’’
एनएक्ट ने अब तक 14 नृत्य कंपनियों से साझेदारी की है और साथ ही तमाम आयोजन स्थलों, संगठनों और सामुदायिक केंद्रों से भी उसका तालमेल हो गया है। बेलानी का कहना है, ‘‘गठबंधन हमारे डीएनए में है।’’
बेलानी का जन्म कोलकाता में हुआ। उनके पिता इंजीनियर थे जबकि मां संगीतकार। उन्होंने मदर टेरेसा के साथ उनके समाज सेवा के प्रयासों में मिलकर काम किया और इसी दौरान उनकी गणित और भौतिकी के साथ थिएटर और डिबेट के प्रति दिलचस्पी पैदा हुई। उन्होंने फ्रांस स्थित अंतरराष्ट्रीय बिजनेस स्कूल एचईसी, पेरिस से एम.बी.ए. की डिग्री भी हासिल की। बेलानी बताती हैं कि उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पिलानी से कंप्यूटर साइंस में स्नातक डिग्री हासिल की और दुनिया भर में कई बहुराष्ट्रीय तकनीकी कंपनियों में काम किया जिनमें सिलिकॉन वैली की भी स्टार्ट अप कंपनियां शामिल थीं।
तकनीकी क्षेत्र में उनके रोमांचक कॅरियर और उसके चलते बड़े पैमाने पर यात्रा के आनंद के बावजूद उनके जीवन में कुछ ऐसा था जिसकी कमी उन्हें खल रही थी। वह कहती हैं, ‘‘20 से ज्यादा सालों तक तमाम देशों और उपमहाद्वीपों में नौकरी के चक्कर में घूमना और तीन-तीन बच्चों की परिवरिश। जीवन के 30 और 40 के दशक में तो मेरे पास थिएटर के लिए ज़्यादा वक्त नहीं था।’’
लेकिन उसके बाद उनके जीवन में वह खुशकिस्मत क्षण आया जब पेरिस में साल 2011 में एक दोस्त के यहां डिनर पार्टी में उनकी मुलाकात महान फ्रांसीसी लेखक और अभिनेता ज्यां क्लाउड से हुई। बेलानी का कहना है, ‘‘उनसे बातचीत में मैंने जिक्र किया कि मेरे बच्चे अब उस उम्र के हो चुके हैं जिस उम्र में पीटर ब्रुक और उन्होंने सबसे पहले ‘‘द महाभारत’’ का निर्माण किया था। वह पश्चिमी थिएटर में परिवर्तन का बहुत बड़ा मोड़ था जहां हजारों साल पहले के पूरब के सांस्कृतिक संदर्भ को सबके सामने समग्रता से रखा गया।’’
उन्होंने ज्यां क्लाउड को सुझाव दिया कि शायद वक्त एक बार फिर से ‘‘द महाभारत’’ के मंचन करने का है। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘आप खुद की थिएटर कंपनी क्यों नहीं बनाती? शायद तब मैं ऐसा कर पाऊं।’’ बाकी जो कुछ भी उन्होंने कहा, वह अब इतिहास है। बेलानी ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अमेरिका वापस चली गईं। वहां उन्होंने ब्रुक और ज्यां क्लाउड के साथ मिलकर एनएक्ट की स्थापना की।
भविष्य के प्रति उम्मीदों से सराबोर बेलानी ने बताया कि, किस तरह से उनका समूह शेन सखरानी के नाटक ‘‘ए विंडो ऑफ नो इंपॉर्टेंस’’ का निर्माण कर रहा है। यह नाटक भारतीय विधवाओं के अपना जीवन जीने की शैली पर खुद के अधिकार से संबंधित है। वह कहती हैं, ‘‘इसके बाद मेरे और अजय चौधरी के लिखित नाटक ‘द केस ऑफ वैनिशिंग फायरफिश’ जो कि उनके ‘आयेशा एंड द फायरफिश’ पर आधारित है, को आना है। यह कहानी 11 साल की उस ब्रिटिश-भारतीय लड़की आयेशा की है जो जासूस है और दुनिया को पर्यावरण हादसे से बचाती है।’’ बेलानी का कहना है, ‘‘हम लॉस एंजिलीस स्थित नवरस डांस थिएटर के ‘स्नेक एंड लैडर’ नाम के एक नाटक की प्रस्तुति भी कर रहे हैं जो प्राचीन भारतीय मार्शल आर्ट विधा कलारिपायट्टू को फिर से स्थापित करने पर आधारित है।’’
कैनडिस याकोनो पत्रिकाओं और अखबारों के लिए लिखती हैं। वह दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया में रहती हैं।
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