द ट्रीज़ आउटसाइड फॉरेस्ट इन इंडिया कार्यक्रम से देश में प्राकृतिक पर्यावरण को बेहतर बनाने में तो मदद मिल ही रही है, साथ ही खेतों, शहरों और उद्यानों में वृक्षारोपण से अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिल रहा है।
जुलाई 2023
द ट्रीज आउटसाइड फॉरेस्ट्स प्रोग्राम देश की नियमित कृषि प्रणाली के तहत वृक्षारोपण को बढ़ावा देने का प्रयास है, जिसमें फसलों के साथ ही किसान पौधों को भी तैयार करते हैं। (फोटोग्राफः साभार साक्षी गौर/सीआईएफओआर-आईसीआरएएफ)
भारत के सुंदर वनों में वृक्षों की भरमार है- लेकिन ये तमाम दूसरी अनगिनत जगहों पर भी पाए जाते हैं, जिनमें विशालतम शहरों से लेकर छोटे-छोटे गांव जैसी जगहें भी शामिल हैं।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और इस प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों की सहायता के उद्देश्य से भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच सहयोग की एक नई पहल की गई है, जिसके तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षों की संख्या बढ़ाने का मकसद रखा गया है।
ट्रीज़ आउटसाइड फॉरेस्ट इन इंडिया (टीओएफआई) कार्यक्रम 2022 में भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी( यूएसएड) के बीच सहयोग के रूप में शुरू किया गया था। करोड़ों डॉलर की इस साझेदारी के तहत 28 लाख हैक्टेयर गैर वन क्षेत्र में वृक्षारोपण के जरिए किसानों, व्यवसायों और सामुदायिक संगठनों की सहायता की जानी थी।
उम्मीद है कि नए रोपित किए वृक्षों से आने वाले वर्षों में वायुमंडल से 50 करोड़ टन हानिकारक कार्बन डायऑक्साइड को हटाने में मदद मिलेगी। पूरे भारत में और अधिक वृक्षों के आरोपण से पानी को साफ करने में मदद मिलेगी और साथ ही विभिन्न प्रजातियों के लिए प्राकृतिक रिहाइश के स्थायित्व में भी मदद मिलेगी।
हरे-भरे खेत
यूएसएड इंडिया में उपनिदेशक, पर्यावरण और टीओएफआई कार्यक्रम को देख रहे वर्गीज़ पॉल के अनुसार, ‘‘जलवायु परिवर्तन से मुकाबले के लिए वृक्षारोपण सबसे आसान और अचूक उपायों में से एक है। साथ ही इससे किसानों की आय बढ़ने जैसे अन्य सामाजिक और आर्थिक लाभ भी मिलते हैं।’’
टीओएफआई कार्यक्रम किसानों और दूसरे वृक्षारोपण करने वालों की उच्च गुणवत्ता वाली वृक्षापोरण सामग्री तक पहुंच बनाने में मदद करता है, वृक्ष आधारित व्यवसाय शुरू करने पर मार्गदर्शन करता है, सफल होने के लिए तकनीकी और बाजार संबंधी सूचनाएं हासिल करने में उनकी सहायता करता है, और वृक्षारोपण की गतिविधियों से जुड़े कारोबार को फलने-फूलने में मदद देने की दृष्टि से उन्हें बीमा और वित्तीय संसाधनों से जोड़ने का काम करता है।
पॉल को उम्मीद है कि टीओएफआई कार्यक्रम के माध्यम से देश की नियमित कृषि प्रणाली में वृक्षारोपण को बढ़ाया जा सकेगा, जहां किसान अपनी अन्य फसलों के साथ-साथ वृक्षारोपण के लिए पौधों को भी पोषित कर सकेंगे।
हितधारकों की संख्या में बढ़ोतरी
पॉल का कहना है कि, टीओएफआई में हिस्सा लेने वाले किसानों को उन्नत पौधे और तकनीकी जानकारियां देने और उनसे औषधि और सुगंधित चीजें तैयार करने के काम आने वाले उत्पादों को खरीदने के प्रस्ताव के साथ इस कार्यक्रम के तहत उपभोक्ता उत्पाद, फार्मा और कॉस्मेटिक कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड के साथ समझौता किया जाएगा। वह बताते हैं कि जल्दी ही और निजी कंपनियों से भी भागीदारी होने वाली है।
आंध्र प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन वाई मधुसूदन रेड्डी के अनुसार, ‘‘यह कार्यक्रम वृक्ष आधारित जीवंत अर्थव्यवस्था का समर्थन करता है जो पारिस्थितिकी सुरक्षा कोआर्थिक समृद्धि और सदाजीवी पर्यावरण के साथ जोड़ता है।’’
पॉल ने बहुत-से भारतीय राज्यों में कार्यक्रम के लिए बहुत उत्साह देखा। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश के अलावा, तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और असम के संगठनों ने वृक्षारोपण में सहभागिता के लिए यूएसएड से संपर्क किया है।
ओडिशा के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रदीप कुमार अमत का कहना है कि, टीओएफआई कार्यक्रम राज्य के हरित क्षेत्र को विस्तार देने के प्रयासों के अनुरूप है। उनका कहना है, ‘‘पिछले दो वर्षों में हरित आवरण में उल्लेखनीय वृद्घि प्राकृतिक पर्यावरण में सुधार के लिए ओडिशा सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का परिणाम है। द ट्रीज़ आउटसाइड फॉरेस्ट इन इंडिया कार्यक्रम किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को अधिक जलवायु अनुरूप बनाने के मौजूदा प्रयासों को पूरक और सुदृढ़ करने की दृष्टि से अच्छा है।’’
जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटना और स्थानीय समुदायों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्धता और प्रयासों की आवश्यकता होती है और पॉल इसमें शामिल होने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं। उनका कहना है, ‘‘कई युवा और युवा संगठन जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने में सबसे आगे हैं।’’ वह कहते हैं, ‘‘इच्छुक युवा वृक्ष आवरण का विस्तार करने के लिए टीओएफआई अभियानों और प्रयासों में में शामिल हो सकते हैं।’’
वर्ल्ड एग्रोफॉरेस्ट्री टीओएफआई के लिए यूएसएड की कार्यान्वयन साझेदार है। पाठक उनकी संचार विशेषज्ञ साक्षी गौर (s.gaur@cifor-icraf.org) से संपर्क कर सकते हैं।
माइकल गलांट लेखक, संगीतकार और उद्यमी हैं और न्यू यॉर्क सिटी में रहते हैं।
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