अंग्रेजी सीखो, बराबरी बढ़ाओ

एक जीवंत अंतरराष्ट्रीय सहभागिता के रास्ते अंग्रेजी भाषा की क्षमता को और अधिक विस्तार देने के साथ भारत में महिलाओं, ट्रांसजेंडर और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के अधिकारों का साथ दिया जा रहा है।

माइकल गलांट

दिसंबर 2021

अंग्रेजी सीखो, बराबरी बढ़ाओ
“इस पाठ्यक्रम से मुझे अंग्रेजी के नए शब्द सीखने में मदद मिली और यह समझ बनी कि बेहतर अंग्रेजी बोलना किस तरह सीखा जाए, चाहे उपभोक्ताओं से संवाद करना हो या परिवार में।” यह कहना है केरल की ट्रांसजेंडर महिला उद्यमी तृप्ति शेट्टी का। फोटो साभारः जेंडर पार्क

भाषा संबंधी पाठ्यक्रमों का उद्देश्य देखने में एकदम सरल लगता है- लोगों को किसी मूल्यवान भाषा में पारंगत करना- लेकिन अक्सर इसका असर कहीं गहरा होता है। भाषायी पाठ्यक्रम अपने समृद्ध और विविधतापूर्ण शैक्षिक कार्यक्रर्मों के जरिए ऐसे टूल्स उपलब्ध करा सकते हैं जो लैंगिक भेदभाव के बिना समान अधिकारों, शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के समावेश और उन तक पहुंच बनाने और किसी भी पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति के लिए सम्मान की भावना के विकास में मददगार होते हैं।

तृप्ति शेट्टी

एक उदाहरण वर्चुअल इंग्लिश लैंग्वेज फैलो (वीईएलएफ) प्रोग्राम का है जो ट्रांसजेंडर महिला उद्यमियों को अंग्रेजी सिखाने का है ताकि वे मजबूत कारोबारी के रूप में सशक्त हो सकें। केरल की ट्रांसजेंडर उद्यमी तृप्ति शेट्टी ने अपने समुदाय में साझा की गई सूचना के आधार पर सबसे पहले रीजनल इंगलिश लैंग्वेज ऑफिस (आरईएलओ) का पता लगाया और ‘‘पिच परफेक्ट’’ नाम के एक ऑनलाइन बिजनेस इंगलिश कम्युनिकेश कोर्स को जुलाई 2021 में पूरा किया।

तृप्ति शेट्टी के अनुसार, ‘‘मैंने इस पाठ्यक्रम में इसलिए हिस्सा लेने का चयन किया क्योंकि मैं ग्राहकों के साथ अपने संवादी कौशल को विकसित करना चाहती थी और आगे अपने कारोबार के विकास के लिहाज से भी यह जरूरी था।’’ ऐसा कहते हुए वह अपने छोटे से उद्यम तृप्ति हैंडीक्रा़फ्ट्स की तरफ इशारा कर रही होती हैं जिसमें वे खूबसूरत ईयररिंग्स, नेकलेस और दूसरी चीजें बनाती और बेचती हैं। उनका कहना है, ‘‘यह पाठ्यक्रम ट्रांसजेंडर उद्यमियों के लिहाज से डिजाइन किया गया है और बहुत उपयोगी साबित हुआ है।’’

शेट्टी स्पष्ट करती हैं कि बहुत से उद्यमी अंग्रेजी भाषा के व्याकरण की जटिलता में उलझ जाते हैं और यह पाठ्यक्रम इसी को नजर में रखते हुए छात्रों को मजबूत व्याकरण कौशल और व्यावहारिक अभ्यास क्षमता में सशक्त बनाने का काम करता है। उनका कहना है,  ‘‘पाठ्यक्रम से अंग्रेजी भाषा के नए शब्दों का ज्ञान हुआ और यह बेहतर समझ विकसित हो सकी कि कैसे अच्छी अंगेजी बोलने के कौशल को बढ़ाया जाए, चाहे वह सवाल ग्राहकों से बातकरने का हो या फिर परिजनों से।’’

शेट्टी अपने साथी ट्रांसजेंडरों को अपनी क्षमता में विश्वास करने और एक-दूसरे की मदद करने के अलावा समुदायों और रेलो जैसे संगठनों से सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। उनका कहना है, ‘‘ट्रांसजेंडर लोग भी दूसरों जैसे ही होते हैं, जिनके ढेरों सपने और उम्मीदें होती है और उन्हें भी सफलता की चाह होती है।’’ वह कहती हैं, ‘‘लोग ट्रांसजेंडर लोगों द्वारा बनाए उत्पादों का स्वागत करेंगे और उसमें सहायता भी देंगे। एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति के लिए लोगों से मदद मिलना सबसे बड़ी प्रेरणा होती है।’’

ज्योति गोयल

रेलो जरूरतमंद दूसरे समुदायों के लोगों की मदद के लिए भी वीईएलएफ प्रोग्राम चलाता है। उदाहरण के तौर पर मुंबई में एक वीईएलएफ प्रोग्राम का जिक्र किया जा सकता है जो ऐसे कार्यकर्ताओं को सशक्त करता है जो महिलाओं से संबंधित मसलों पर काम करते हैं। रेड डॉट फाउंडेशन नाम की इस संस्था की प्रोग्राम मैनेजर ज्योति गोयल ने अपने  एक सहकर्मी के बताने पर इस प्रोग्राम को खोजा और वह इसमें सहभागी बनने के लिए बेदह उत्साहित थीं।

वह स्पष्ट करती हैं कि, कुछ ह़फ्तों के इस प्रोग्राम में जेंडर असमानता और अंग्रेजी भाषा दोनों की पढ़ाई होती है। उनका कहना है, ‘‘इससे हमारी संस्था के मिशन को मजबूती मिलने में मदद मिलती है और मैं अपने कार्य में प्रोग्राम से मिली जानकारियों का इस्तेमाल भी करती हूं।’’ वह रेड डॉट के मिशन का उल्लेख भी करती हैं जिसमें यौन उत्पीड़न से संबधित जानकारियों को एकत्र करना और भारत में सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाने के लिए युवाओं की सहायता लेना शामिल है।

महेश बिल्लू

बालनिर्धनता के उन्मूलन के लिए काम करने वाले सनमान प्रोजेक्ट के आउटरीच कोऑर्डिनेटर महेश बिल्लू भी इसमें सहभागी थे। उनका कहना है, ‘‘जब मुझे इस प्रोग्राम के बारे में पता चला तो मुझे लगा कि यह बहुत हद तक सैद्धांतिक और व्याकरण आधारित होगा’’ लेकिन बिल्लू को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि यहां फोकस गतिविधियों, पढ़ाई और शब्दज्ञान बढ़ाने पर ज्यादा था। उदाहरण के लिए लैंगिक समानता पर एक लेख को ही लीजिए, इसमें छात्रों को नए शब्दों को सीखने के अलावा अपने उच्चारण को बेहतर बनाने में मदद भी मिलती है। वह बताते हैं, ‘‘हमें, टेड टॉक्स जैसे विभिन्न तरह के वीडियो भी दिखाए गए, जिससे हमें जेंडर समानता जैसे मसले को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली।’’

बिल्लू के लिए नतीजे चौंकाने वाले थे। उन्होंने बताया, ‘‘मैंने कभी भी अपने सहयोगियों के साथ अंग्रेजी में बात नहीं की थी लेकिन वीईएलएफ के साथ काम करने के बाद मैं उनसे अंग्रेजी में बात करने लगा और उन्होंने भी हमारी मदद की।’’

अंतरा शर्मा

अपने वर्चुअल इंग्लिश लैंग्वेज फेलोशिप्स प्रोग्राम से कहीं आगे रेलो की पहल में ऐसे तमाम अभिनव कार्यक्रमों की श्रृंखला शामिल है जिसमें जरूरतमंद समुदायों को अंग्रेजी शिक्षा और दूसरे संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं। अंतरा शर्मा, गुवाहाटी, असम में इंगलिश एक्सेस माइक्रोस्कॉलरशिप प्रोग्राम  में बतौर कोऑर्डिनेटर काम करती हैं जो शारीरिक रूप से अक्षम किशोरों और नव वयस्कों के  सशक्तिकरण के लिए काम करता है।

शर्मा का कहना है कि, इस प्रोग्राम में गैरपारंपरिक तरीके से अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। उनके अनुसार, ‘‘इससे अपने व्यक्तित्व को आकार देने और उसे मजबूत बनाने में मदद मिलने के साथ भविष्य के नेतृत्वकर्ता तैयार होते हैं।’’ 2019 में, छात्रों ने निकटवर्ती बाजारों में इकोफ्रेंडली बैग का वितरण करके विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। मार्च 2020 में वुमेन्स हिस्ट्री मंथ के उपलक्ष्य में छात्रों ने सार्वजनिक स्थानों पर स्ट्रीट प्ले का आयोजन किया और महिला समानता और सशक्तिकरण की थीम के समर्थन में बैज और बुकमार्क बांटे। शर्मा के अनुसार, ‘‘छात्रों ने खुद ही लैंगिक समानता के विषय का चुनाव किया और लैंगिक भूमिकाओं को लेकर रूढि़यों के खिलाफ मोर्चा खोला।’’ छात्रों ने कविता लेखन सत्रों मे हिस्सा लिया जिससे उनके खुद के अंग्रेजी भाषा के शब्दों का संकलन भी तैयार हो गया।

शर्मा एक्सेस प्रोग्राम की सफलता से बेहद उत्साहित थीं। उनका कहना है, ‘‘प्रोग्राम के समापन पर ग्रेजुएट छात्रों के व्यक्तित्व में आए बदलाव को देखना वास्तव में बहुत प्रेरक और हौसला बढ़ाने वाला होता है। डरपोक, झेंपू और अंतर्मुखी किस्म के वे छात्र जिन्होंने 2018 में शुरुआत की, वे अब किसी भी चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार विश्वास से भरपूर युवा नजर आते हैं। वे अब महत्वपूर्ण मसलों पर सार्वजनिक मंचों पर मुखर होने के लिए तैयार हैं- इससे उनमें प्रोग्राम के कारण किस हद तक बदलाव आया है, इसकी बानगी भी झलकती है।’’

शर्मा रेलो के एक्सेस प्रोग्राम को इस मामले में एक अभिनव पहल मानती हैं जो छात्रों को उनके पाठ्यक्रम को बहुत अलग तरह से पढ़ाता है। वह बताती हैं, ‘‘इसमें सीखने वाले के सामाजिक कौशल और नेतृत्व के गुणों के साथ उनके भाषा कौशल को मांजा जाता है। इससे सार्वजनिक मसलों के  बारे में जागरूकता पैदा होती है और समस्याओं के समाधान की दिशा में सोचने में उन्हें मदद मिलती है।’’

रेलो की पहलों और प्रस्तावों के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल करने या खुद को उनके साथ जोड़ने के लिए देखें  bit.ly/RELO_India

माइकल गलांट गलांट म्यूजिक के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वह न्यू यॉर्क सिटी में रहते हैं।    



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