लग्नजिता मुखोपाध्याय को नैशविल में युवा कवयित्री के तौर पर बड़ा सम्मान हासिल हुआ है। वह अपनी जिंदगी के सफर, कविता के भविष्य और वाचन की ताकत के बारे में बता रही हैं।
नवंबर 2018
लग्नजिता मुखोपाध्याय को अपनी कविताओं के लिए बहुत-से सम्मान हासिल हुए हैं। साभार: लग्नजिता मुखोपाध्याय
जब लग्नजिता मुखोपाध्याय को नैशविल की पहली यूथ पोएट लॉरिएट घोषित किया गया, तब तक वह एक प्रसिद्ध गायिका-गीतकार बन चुकी थीं। वह कहती हैं, ‘‘यूथ पोएट लॉरिएट का सम्मान मुझे अचानक ही मिल गया। इस प्रतियोगिता के लिए जो आवेदन मांगे गए, उसमें सिर्फ अपनी तीन कविताएं भेजने की जरूरत थीं। मेरे पास तीन ही कविताएं थीं, क्योंकि गीतकार होने के कारण अब तक मैंने सिर्फ गीत ही लिखे हैं।’’ इसके बावजूद मां के कहने पर मुखोपाध्याय ने अपनी कविताएं भेजीं और वह वर्ष 2015 में इस सम्मान के लिए चुनी गईं। द नैशविल यूथ पोएट लॉरिएट प्रोग्राम शहर के उन युवा लेखकों और लीडरों की पहचान के लिए शुरू किया गया है, जो नागरिक और सामुदायिक हिस्सेदारी, विविधता और सहिष्णुता के प्रति समर्पित हैं।
यूथ पोएट लॉरिएट के तौर पर मुखोपाध्याय अपनी शानदार कविताओं के उतने ही शानदार पाठ से श्रोताओं का दिल जीत रही हैं। उन्होंने राज्यस्तरीय कविता प्रतियोगिताओं में भाग लिया है, शिकागो में आयोजित पोएट्री फाउंडेशन में कविता पाठ किया है और व्हाइट हाउस में पूर्व अमेरिकी फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा से मुलाकात की है। मुखोपाध्याय 2016 में साउथ ईस्ट रीजनल यूथ पोएट लॉरिएट घोषित हुई थीं और 2017 में नेशनल यूथ पोएट लॉरिएट प्रतियोगिता के आखिरी पांच प्रतियोगियों में से एक थीं। यह प्रतियोगिता कलात्मक सफलता और लीडरशिप की पृष्ठभूमि वाले युवाओं को सम्मानित करती है।
वह कहती हैं, ‘‘मैंने जूनियर हाई स्कूल जाने से पहले की गर्मी के दौरान कविता लिखनी शुरू की।’’ वह गीत लिखने का अभ्यास करती थीं और उसी से उनमें इस रचनात्मक विधा की शुरुआत हुई। यह अभिव्यक्ति के एक नए माध्यम की तलाश भी थी। वह कहती हैं, ‘‘मैं हमेशा गीत लिखती थी। एक बार ऐसा आइडिया था जिसके बारे में लगा कि यह गीत में नहीं चल पाएगा। इसलिए मैंने उसे कविता में आजमाने का फैसला किया। उसके बाद से यह मेरी आत्म अभिव्यक्ति का पसंदीदा माध्यम बन गया।’’
आज की अमेरिकी कविता की सशक्त आवाज होने के साथ ही मुखोपाध्याय अतीत की एक सजग छात्रा भी हैं। वह कहती हैं, ‘‘मेरे पिता हमेशा कहते हैं कि दूसरे दर्जे का लेखक बनने के लिए तुम्हें प्रथम श्रेणी का पाठक होना पड़ेगा।’’ आधुनिक और बीट परंपरा के कवि उनके पसंदीदा कवियों में से हैं, उनमें भी एलेन गिंसबर्ग और ई. ई. कमिंग्स उनके प्रिय कवि हैं। लेकिन, मुखोपाध्याय कहती हैं, ‘‘मैं अपने पिता के प्रिय कवियों रॉबर्ट फ्रॉस्ट और रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं सुनकर बड़ी हुई। मेरी मातृभाषा बांग्ला मेरे सामने हमेशा पढ़ी जाती थी।’’
यूथ पोएट लॉरिएट की प्राथमिक जिम्मेदारियों में एक है कविता की परंपरा को आगे ले जाना। मुखोपाध्याय आज की कविताओं की संभावनाओं के प्रति आशान्वित हैं। वह कहती हैं, ‘‘मेरा विश्वास है कि आज की अमेरिकी संस्कृति में कविताएं आगे बढ़ रही हैं, चाहे ऐसा रचना की प्रस्तुति के जरिये हो या सतर्कता के साथ किसी पृष्ठ पर लिखी गई रचना से हों।’’ उनके अनुसार, ‘‘कविता के जरिये लोग यह जान रहे हैं कि अहसास करना क्या होता है और जिस दुनिया में लोग रहते हैं, उन्हें उसके बारे में और उसमें अपने स्थान के बारे में गहराई से सोचने के महत्व का फिर से स्मरण कराती है।’’
जहां तक मुखोपाध्याय में अपने पाठकों और श्रोताओं को सतर्क चिंतन और मनन की ओर प्रवृत्त करने की नेतृत्व क्षमता का सवाल है, तो यह उनके निरंतर कविता पाठ के अनुभवों से आई है। वह कहती हैं, ‘‘काव्य विधा में कविताओं की प्रस्तुति को कम कर आंका गया है… कविता मंच पर पूरी तरह जीवंत दिखनी चाहिए, जिसे लोग पूरी तरह समझ सकें और सराह सकें।’’ उनके अनुसार, ‘‘कविता को जोर से पढ़ने में अलग ही बात है। चाहे श्रोताओं की भीड़ के सामने ऐसा करें या उसके संपादन की प्रक्रिया में कवि अकेला सुने। इससे कविता के दूसरे अर्थ भी खुलते हैं। कविता का जो अर्थ लिखित रूप में छिपा रहता है, वह जोर से अपनी ही आवाज में पाठ करने से खुल सकता है।’’ वर्ष 2017 में उन्होंने कोलकाता स्थित अमेरिकन लाइब्रेरी में एक कार्यक्रम में अपनी पुस्तक ‘‘दिस इज ऑवर वार’’ से अपनी रचनाएं पढ़ीं।
कविता-पाठ के प्रति प्रतिबद्धता और काव्य प्रस्तुति की उनकी प्रतिभा के पीछे उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि है, जहां कविता-किस्से सुनाने की परंपरा रही है। वह बताती हैं, ‘‘मैंने यह चीज़ किस्सोगोई और काव्य-पाठन की भारतीय परंपराओं से ली है, जहां कुछ लोग दूसरों की कविताओं को सुनाकर और रिकॉर्ड कर अपनी आजीविका चलाते हैं। इन परंपराओं में अपने पिता की भागीदारी से भी मैं प्रेरित रही हूं। किसी भी काव्य-प्रस्तुति में कविता को जीवंत बनाने के लिए जो भी कुछ मैं कर सकती हूं, मैं करने का प्रयास करती हूं।
इस प्रक्रिया में कविता की पंक्तियां लेखक की आवाज़ के साथ जुड़कर लचीली हो जाती हैं। मुखोपाध्याय ने अपनी कविताओं में अपनी स्वयं की आवाज को जाना है। उनके अनुसार, ‘‘तुक और मीटर कविता के शात्रीय तत्व हैं, समय-समय पर जिनका अभ्यास शारीरिक अभ्यास की तरह करना चाहिए। लेकिन मैं अतुकांत कविता यानी फ्री वर्स की समर्थक हूं, क्योंकि इसमें पृष्ठ पर तो ज़्यादा जगह बची रहती ही है, कवि के पास भी ज्यादा कहने की गुंजाइश होती है। मैं मानती हूं कि विचार को आकार देने के लिए काव्यशैली बहुत उपयोगी साबित होती है, लेकिन मुझे वे शैली ज्यादा पसंद हैं, जो लचीली होती हैं।’’ उनकी कविता ‘‘द सिटी दैट नेवर स्टॉप्स गिविंग’’ की पंक्तियों में काव्यशैली के साथ उनका नाता देखा जा सकता है।
ट्रेवर लॉरेन्स जोकिम्स न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में लेखन, साहित्य और समकालीन संस्कृति पढ़ाते हैं।
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