भारतीय-अमेरिकी समीर पटेल ने लीक से हट कर एक संगीत कंडक्टर का कॅरियर चुना और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
सितंबर 2022
समीर पटेल जैक्सनविल सिफंनी आर्केस्ट्रा की प्रस्तुति का नेतृत्व करते हुए। (फोटोग्राफः साभार समीर पटेल)
समीर पटेल के माता-पिता को अपने बेटे के बारे में वही उम्मीद थी जो परंपरागत रूप से हर अभिभावक की होती है। पटेल का कहना है, ‘‘तमाम भारतीय- अमेरिकी अभिभावकों की तरह उन्हें भी आशा थी कि मैं कोई डॉक्टर, वकील, इंजीनियर या फिर कारोबारी बनूंगा।’’ हालात दूसरी तरफ ले गए, लेकिन उनके अभिभावकों को निराश नहीं होना पड़ा। 36 साल के पटेल आज अमेरिका के नौजवान म्यूजिक कंडक्टर में शीर्ष पर हैं।
वह सन वैली म्यूज़िक फ़ेस्टिवल के एसोसिएट कंडक्टर हैं। हाल ही में उन्होंने सैन डिएगो सिंफनी के लिए एसोसिएट कंडक्टर का कार्यकाल पूरा किया है। लगातार तीन साल तक उन्हें सोल्टी फाउंडेशन यूएस करियर असिस्टेंस अवार्ड से नवाजा गया। यह पुरस्कार देश के सर्वश्रेष्ठ युवा म्यूज़िक कंडक्टर को दिया जाता है।
वर्ष 2021-22 में पटेल ने ग्रांड रैपिड्स सिंफनी, सरासोटा आर्केस्ट्रा, नॉर्थ कैरोलाइना सिफंनी, लुइसियाना फिलहार्मोनिक और फ़्लोरिडा आर्केस्ट्रा के साथ भी अपनी संगीत यात्रा शुरू की। इसी के साथ उन्होंने नॉक्सविल सिफंनी और ला जोला सिफंनी के साथ फिर से संगीत कार्यक्रम किए।
किसी भी भारतीय-अमेरिकी के लिए इस तरह कॅरियर चुनना वाकई थोड़ी अजीब सी बात थी, लेकिन करीब एक-डेढ़ पीढ़ी पहले ही मुंबई में जन्मे प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी जुबिन मेहता यह आग प्रज्वलित कर गए थे। पटेल का कहना है, ‘‘मेरे परिवार के बहुत से मित्रों को जिन्हें (पश्चिमी ) शास्त्रीय संगीत की समझ नहीं है, वे भी उन्हें जानते हैं।’’
पटेल के माता-पिता मूल रूप से गुजराती हैं और वे केन्या में जन्मे और पले-बढ़े। पटेल के पिता मेडिसिन की पढ़ाई के लिए मुंबई गए और उसके बाद 1970 के दशक के अंत में वह अपनी पत्नी के साथ डेट्रॉयट, मिशिगन चले आए, जहां उन्होंने मेडिसिन के क्षेत्र में अपना कॅरियर शुरू किया।
पटेल और उनके भाई की मिशिगन में एक ठेठ अमेरिकी के रूप में परिवरिश हुई। वे पब्लिक स्कूल जाते थे और खेलों में उनकी दिलचस्पी थी। वे टेनिस, बास्केटबॉल और सॉकर जैसे खेल के प्रेमी थे। जैसा कि वह बताते हैं उनके अभिभावकों की संगीत में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपने बेटों को संगीत की शिक्षा अवश्य दी। ‘‘उन्होंने इसे एक हॉबी और विषय के तौर पर देखा।’’
बचपन में पटेल ने पियानो सीखा लेकिन इसमें उन्होंने ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली। उसके बाद करीब 13-14 साल की उम्र में उनके उम्रदराज इतालवी शिक्षक ने उन्हें 19 सदी के पोलिश कंपोज़र फ्रेड्रिक चॉपिन के काम से परिचित कराया। पटेल कहते हैं, ‘‘यह वास्तव में मेरे ऊपर प्रकाश पड़ने जैसा था। सौंदर्य और कला के साथ यह मेरा पहला समागम था।’’
उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। नई उम्र के पटेल ने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत की शौक के साथ पढ़ाई शुरू कर दी। उन्होंने अपने स्कूल बैंड में भी अपनी कला प्रदर्शित की जहां बैंड लीडर उन्हें हर ह़फ्ते एक अलग कंपोजर की रिकॉर्डिंग देता था और इस तरह से उन्हें शास्त्रीय संगीत की शिक्षा मिलती थी। वह संगीत के के ग्रीष्मकालीन शिविरों में भी गए। हईस्कूल शिक्षा के बाद उन्होंने एन ऑर्बर में मिशिगन यूनिवर्सिटी में अपना पंजीकरण कराया जहां से उन्होंने ऑर्केस्ट्रा कंडक्टिंग में बैचलर्स और फिर मास्टर्स डिग्री हासिल की। वह हर बार गर्मियों में यूरोप के विभिन्न देशों में मास्टर्स कक्षाओं में भाग लेने जाते थे।
सन वैली समर सिंफनी के एसोसिएट कंडक्टर समीर पटेल (मध्य में) ऑर्केस्ट्रा फेस्टिवल 2018 के फैमिली कंसर्ट में अपने ऑर्केस्ट्रा की प्रस्तुति का नेतृत्व करते हुए। (फोटोग्राफः साभार समीर पटेल)
उसके बाद एक म्यूज़िक कंडक्टर के रूप में उनके कॅरियर की शुरुआत होती है। सबसे पहले उन्होंने बोस्टन फिलहार्मोनिक में एक कंडक्टिंग फेलो के रूप में काम किया और उसके बाद इंडियाना के फोर्ट वेन फिलहार्मोनिक में असिस्टेंट कंडक्टर रूप में काम संभाला। दक्षिण कैलिफ़ोर्निया के सैन डिएगो सिंफनी से उनका जुड़ाव 2015 के उत्तरार्ध में बतौर एसोसिएट कंडक्टर हुआ। पटेल कई दूसरे ऑर्केस्ट्रॉ में बतौर अतिथि कंडक्टिंग का काम करते हैं। वह संगीत की शिक्षा के मुखर समर्थक हैं और अमेरिका में होने वाले तमाम संगीत उत्सवों, स्कूल संगीत कार्यक्रमों और यूथ ऑर्केस्ट्रॉ में अपने विद्यार्थियों से भी काफी कुछ सीखना पसंद करते हैं।
उनका लक्ष्य एक जानेमाने म्यूजिकल ऑर्केस्ट्रा का चीफ कंडक्टर यानी संगीत निर्देशक बनने का है। पटेल कहते हैं, ‘‘मुझे पता है कि मैं पश्चिमी शास्त्रीय संगीत को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के बीच पहुंचाना चाहता हूं।’’
दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया में अपनी पत्नी शैनन और बेटे देवन के साथ पटेल इस समय समृद्ध अमेरिकी जीवन बिता रहे हैं। उनका कहना है, ‘‘मेरी पृष्ठभूमि एक प्रवासी की है। मैं अमेरिका में प्रशिक्षित हुआ और मेरी पत्नी एक अमेरिकी है। मुझे अपनी भारतीय पृष्ठभूमि पर गर्व है। जब कभी भी मैं भारत जाता हूं तो मैं खुद को इसका हिस्सा महसूस करता हूं। जब मैं गुजरात में अपने बाबा से मिलने उनके पैतृक गांव जाता हूं, तो मुझे वास्तव में बहुत गर्व महसूस होता है।’’
बर्टन बोलाग स्वतंत्र पत्रकार है। वह वॉशिंगटन,डी.सी. में रहते हैं।
यह आलेख मूल तौर पर नवंबर 2018 में प्रकाशित किया गया।
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