दाखिले की प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी वे नुस्खे बता रहे हैं जिनसे अपने आवेदन को बढि़या बनाया जा सकता है।
जुलाई 2021
अच्छी तरह से पढ़ना और हर संस्थान की दाखिले से जुड़ी जानकारियों और प्रक्रियाओं को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि हर संस्थान के हिसाब से आवश्यकताएं बदल जाती हैं। फोटोग्राफ साभार: यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस, ऑस्टिन
अमेरिका में कॉलेज दाखिले में बहुत प्रतिस्पर्धा है, लेकिन ऐसे बहुत से तरीके हैं जो आपको भीड़ से अलग और ऊपर दिखाते हैं।
अमेरिका के किसी विश्वविद्यालय में दाखिले की मंजूरी के लिए सबसे जरूरी है कि आवेदन प्रक्रिया के लिए आप पर्याप्त समय दें। मेसाच्यूसेट्स यूनिवर्सिटी एमहर्स्ट में पंजीयन प्रबंधन की सहायक प्रोवोस्ट क्रेग स्ट्रेहॉर्न के अनुसार, ‘‘आपको जल्द शुरुआत करनी चाहिए और अंतिम तिथियों का ध्यान रखें। कई बार विद्यार्थी इस बारे में सही अंदाजा नहीं लगा पाते कि आवेदन फॉर्म को पूरी तरह से भरने में कितना वक्त लग सकता है। हमें बहुत-से आवेदन तो समयसीमा खत्म होने वाली रात को ही मिलते हैं। इससे जाहिर होता है कि वे आवेदन जल्दी में भरे गए हैं और हो सकता है उन्हें भरते वक्त सावधानी नहीं बरती गई हो।’’
आवेदन प्रक्रिया में उस तरह की जल्दबाजी से गलती की आशंका होती है और आपको अपनी पसंद के कॉलेज में दाखिला मिलने के अवसर पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। स्ट्रेहॉर्न के अनुसार, ‘‘वर्तनी में गलतियां, कट-पेस्ट की गलतियां और दूसरी त्रुटियों के कारण दाखिला काउंसलर आपके बारे में गलत राय बना सकते हैं।’’
टेक्सस यूनिवर्सिटी, ऑस्टिन में कम्युनिकेशंस मैनेजर कैथलीन सकूरा हैरीसन भी इस बात से सहमत हैं। उनके अनुसार, ‘‘आवेदन प्रक्रिया के लिए जल्द से जल्द तैयारी करनी आवश्यक है और उसके लिए जरूरी दस्तावेजों और अंतिम तिथि के बारे में समझ लेना चाहिए। आपको अपने आधिकारिक शैक्षणिक दस्तावेजों की प्रतियां और रिकॉर्ड जल्द ले लेने चाहिए। सुनिश्चित कर लें कि कई प्रतियां आपके पास तैयार हैं।’’
कॉलेज जो आपको भाए
अमेरिकी कॉलेजों के लिए दाखिले की प्रक्रिया विशुद्ध अकादमिक नहीं है और यह जटिल हो सकती है। टफ्टस यूनिवर्सिटी में दाखिलों से संबद्ध एसोसिएट डायरेक्टर ब्रिजेट मूर के अनुसार, ‘‘आपकी अकादमिक उपलब्धियां आपके आवेदन के केंद्र में हाती है। लेकिन हमारा ध्यान इस बात पर होता है कि आप कैंपस में किस तरह के होगें।’’ उदाहरण के लिए, टफ्टस यूनिवर्सिटी में कैंपस में ही बहुतायत में अवसर उपलब्ध होते हैं और दाखिले से जुड़े अधिकारी यह देखना चाहते हैं कि कक्षा के भीतर और कक्षा के बाहर भी विद्यार्थी कैसे इन मौकों का फायदा उठा पाने में सक्षम होंगे। मूर बताते हैं, ‘‘आपका आवेदन कई अध्यायों वाली किताब की तरह होता है और कोई भी बार-बार एक ही चीज़ नहीं पढ़ना चाहता। इसीलिए आपके निबंधों, संस्तुतियों और आपसे जुड़े परिशिष्ट के जरिए दाखिला कमेटी आपके बारे में अधिक से अधिक जानना चाहती है और यह समझना चाहती है कि आप क्या हैं और आपके गुणों से कैसे हमारा समुदाय और समृद्ध बन सकेगा।’’
अपनी बात साफ बताएं
आवेदन भेजने से पहले ही संपर्कों को बनाने से सहायता मिल सकती है। हैरीसन की विद्यार्थियों को सलाह है कि वे उपलब्ध अवसरों का फायदा उठाएं और स्कूल के साथ संवाद कायम करने का प्रयास करें। वह बताती हैं, ‘‘कुछ स्कूलों ने कैंपस को निजी तौर पर देखने की सुविधा फिर से शुरू कर दी है लेकिन बहुतों ने सिर्फ वर्चुअल या ऑनलाइन अनुभवों की ही सुविधा उपलब्ध कराई हुई है।’’ उनका कहना है, ‘‘हालांकि यह कैंपस में जाकर देखने के अनुभव जैसा नहीं होता, लेकिन यह कई विश्वविद्यालयों के बारे में जानने का एक किफायकी तरीका है।’’ हर संस्थान के दाखिले की प्रक्रिया को ढंग से पढ़ना और समझना जरूरी होता है, क्योंकि सबकी जरूरतें अलग-अलग हो सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए यह खास तौर पर महत्वपूर्ण है।
आवेदन के विभिन्न हिस्सों में स्पष्ट रूप से तारतम्यता जरूरी है। स्ट्रेहॉर्न के अनुसार, ‘‘कई बार आवेदन ऐसे होते हैं कि उनमें बहुत-सी चीज़ों को शामिल करने के लिए या तो वे एकसाथ डाल दी गई होती हैं या फिर छितरी हुई होती हैं। मेरा मानना है कि ऐसा इस मिथ के कारण होता है कि अमेरिकी संस्थानों को एकदम आदर्श विद्यार्थी की तलाश होती है। मैं तो एक ऐसा आवेदन देखना चाहूंगा जो सुव्यवस्थित रूप से भरा गया हो और उससे विद्यार्थी के बारे में पूरी तस्वीर साफ होती हो।’’ वह बताते हैं कि वह उन आवेदनों की ओर आकर्षित होते हैं जिनमें आवेदक मेसाच्यूसेट्स यूनिवर्सिटी, एमहर्स्ट के बारे में स्पष्ट रूप से जानते हैं, ऐसा नहीं कि गूगल सर्च के जरिये कुछ लिख दिया। उनका कहना है, ‘‘हमें ऐसे विद्यार्थियों की तलाश होती है जो हमारे संस्थान के बारे में जानते हों, उनके दिमाग में ठोस योजना हो और उन्हें इस बात की समझ हो कि हमारा कॉलेज कैसे उनके लिए उपयुक्त है।’’
संस्थान के बारे में पहले से जानते रहने से स्टेटमेंट ऑफ परपज़ लिखने में मदद मिलती है। मूर के अनुसार, ‘‘जो विषय सबसे पहले सोचो, उसको न चुनो। कुछ और भी सोचिए और फिर देखिए कि कौन सा विषय उपयुक्त लग रहा है। बेहतर हो कि पर्सनल स्टेटमेंट लिखने से पहले अच्छे आइडिया और मदद के लिए किसी वर्कशॉप में शामिल हों। टफ्टस यूनिवर्सिटी में इस तरह की वर्कशॉप होती है। और हमेशा चीज़ों को प्रदर्शित करें, उन्हें सिर्फ बताएं नहीं।’’
निबंध लिखते समय या लघु उत्तर देते वक्त स्ट्रेहॉर्न की सलाह है कि विद्यार्थी उस विषय पर लिखें जिसका उनके लिए कोई महत्व है। उनका कहना है, ‘‘आकर्षक शब्दावली के इस्तेमाल के लिए किसी विशेष प्रयास की जरूरत नहीं है और न ही वाक्यों को ज्यादा जटिल बनाने की। अगर आप वैसे नज़र आएंगे जैसे आप हैं और उस विषय पर चर्चा कर रहे होंगे जिसकी आपको फिक्र है, तो आपका निबंध कहीं ज्यादा प्रभावी होगा।’’
शिक्षकों के साथ संपर्क साधने, खासतौर पर डॉक्टरेट करने वाले आवेदकों के लिए, की सलाह दी जाती है। हैरिसन के अनुसार, ‘‘यह सुनिश्चित कर लें कि आप जिस संस्थान में आवेदन दे रहे हैं, वहां आपके शोध वाले विषय के लिए फैकल्टी है भी या नहीं। आपको ऐसे सवाल भी उठाने चाहिए कि कालेज से ग्रेजुएशन करने के बाद वहां के ग्रेजुएट क्या कर रहे हैं। अगर प्लेसमेंट के बारे में कोई आंकड़ा है तो उसे भी मांगिए। संस्थान के मौजूदा विद्यार्थियों से बात कीजिए ताकि उनके अनुभव से आपको अपना नजरिया बनाने में आसानी हो, खासकर जो आपके देश से हों।’’
पारोमिता पेन नेवादा यूनिवर्सिटी, रेनो में ग्लोबल मीडिया स्टडीज़ विषय की असिस्टेंट प्रो़फेसर हैं।
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