बोस्टन यूनिवर्सिटी का विश्व भाषा और साहित्य विभाग हिंदी-उर्दू समेत बहुत-सी भाषाओं में संवाद आधारित अध्ययन का अवसर प्रदान करता है।
सितंबर 2023
बोस्टन यूनिवर्सिटी में हिंदी प्रोग्राम में भाग लेने वाली विद्यार्थी सोफिया इंग्लैंड (बाएं से तीसरे स्थान पर) हिंदी कक्षा में कुछ अन्य विद्यार्थियों के साथ। (फोटोग्राफः साभार सोफिया इंग्लैंड)
बोस्टन यूनिवर्सिटी का विश्व भाषा और साहित्य विभाग हिंदी-उर्दू समेत बहुत-सी भाषाओं में संवाद आधारित अध्ययन का अवसर प्रदान करता है। विभाग के स्कॉलर एक दज़र्न से अधिक भाषाओं में साहित्य, फ़िल्म और मीडिया संस्कृति में अध्यापन और शोध कार्य में संलग्न रहते हैं।
यूनिवर्सिटी में हिंदी भाषा प्रोग्राम के दो प्रतिभागियों से जानिए उनके अनुभव:
सोफिया इंग्लैंड
वर्ष 2020 से 2023 तक हिंदी भाषा सीखने की मुहिम में शामिल रही कॉलेज विद्यार्थी के तौर पर, मेरा अनुभव किसी बड़े बदलाव से कम नहीं है। हिंदी प्रोग्राम में पंजीकरण कराने का मेरा निर्णय अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने की मेरी गहन इच्छा और विश्व में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा से रूबरू होने की उत्सुकता से प्रेरित रहा।
हिंदी सीखने के शुरुआती चरण दिलचस्प भी थे और चुनौतीपूर्ण भी। मैंने खुद को देवनागरी लिपि की दुनिया में डूबा पाया, जहां हर कर्व और लाइन का कोई मतलब होता है और यह मेरे लिए पूरी तरह से नई बात थी। व्याकरण की जटिलता ने भी मेरे लिए कई तरह की बाधाएं पैदा की। लेकिन ठीक इन्हीं चुनौतियों के चलते मेरा संकल्प और दृढ़ हो गया। मुझे जल्द ही समझ आ गया कि भाषा को सीखने के लिए, ज़िंदगी की तरह ही निरतंर प्रयास करने होते हैं।
भविष्य में हिंदी पढ़ने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों को मेरी सबसे मूल्यवान सलाह यही होगी कि खुद को भाषा और संस्कृति में पूरी तरह समर्पित करें। क्लासरूम के अलावा, मैंने हिंदी बोलने के अभ्यास के लिए परिवार के सदस्यों को भाषा पार्टनर बनाया। मैंने अपने औपचारिक पाठ्यक्रम के साथ भाषा सीखने वाले एप, ऑनलाइन संसाधन, लुभावने हिंदी साहित्य और सिनेमा का भी सहारा लिया।
मेर शिक्षक द्वारा अपनाई गई शिक्षण विधि मेरी हिंदी भाषा यात्रा का महत्वपूर्ण भाग रही। कक्षा में सवाद, सांस्कृतिक गतिविधियां, समुदाय विकसित करने वाली गतिविधियां और लैंग्वेज लैब से मुझे न सिर्फ भाषा को समझने में मदद मिली, बल्कि भारतीय संस्कृति के व्यापक दायरे को भी समझ पाई। अनुभवी शिक्षक के निर्देशन से मूल्यवान अंतर्दृष्टि और मदद मिली, जिससे हिंदी सीखने की प्रक्रिया आनंददायक और समृद्ध बन पाई।
इसके अतिरिक्त, मेरी प्रगति में हिंदी भाषा के अभ्यास के अवसर महत्वपूर्ण रहे। हिंदी भाषी समुदाय के साथ संवाद, सांस्कृतिक गतिविधियों में भागीदारी और ऑनलाइन भाषा एक्सचेंज मंचों की खोज से मैं सीखी गई चीज़ों को वास्तविक परिस्थितियों में इस्तेमाल कर पाई। इससे न सिर्फ मेरा भाषा कौशल बेहतर हुआ, बल्कि हिंदी भाषा के सांस्कृतिक पहलुओं की समझ भी गहरी हुई।
पीछे देखें, तो हिंदी सीखने की मेरी यात्रा लाभकारी रही है। इसने अनुभवों की दुनिया के द्वार खोले हैं, मेरी सांस्कृतिक जड़ों से संपर्क कराने के साथ ही नए मित्र बनाने तक। मेरा लक्ष्य था अपनी जड़ों से ज्यादा करीब से जुड़ने का, और हिंदी भाषा को सीखने से अनगिनत तरीकों से मेरी ज़िंदगी समृद्ध हुई है। इसने मुझे ऐसी योग्यता दी है कि किसी चीज़ के विभिन्न पहलुओं को तलाश सकूं, किसी चीज़ को सराह सकूं और उस वैश्विक समुदाय में योगदान दे सकूं जो भाषाई और सांस्कृतिक विविधता की समृद्धता का मूल्य समझे।
विशाल रमोला (बिल्कुल बाएं) बोस्टन यूनिवर्सिटी में हिंदी प्रोग्राम के विद्यार्थियों के साथ। (फोटोग्राफः साभार विशाल रमोला )
विशाल रमोला
मैंने वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक सीनियर लेक्चचर शिल्पा परनामी के नेतृत्व में हिंदी भाषा प्रोग्राम में भागीदारी की। हिंदी सीखने के लिए मेरी पहली प्रेरणा मेरा परिवार रहा। भारत में उनसे मिलने की मेरी बहुत-सी यादें हैं, उन यात्राओं की यादें जिनमें मैंने अपने प्रियजनों के साथ समय बिताया और देश की आश्चर्यजनक संस्कृति और इतिहास के कुछ पहलुओं का आनंद लिया। मैं वहां पर जिन लोगों से मिलता, उनसे हमेशा बेहतर संवाद करने की इच्छा रखता था, मेरे परिवार के उन लोगों से जिनसे मैं अंग्रेजी मे बात नहीं कर सकता। और यही कारण है जो मुझे हिंदी अध्ययन को प्रेरित करता है।
हिंदी सीखना अनूठा लाभकारी अनुभव था। जब आप कोई भाषा सीखते हैं, तो कोई भी चीज़ सतही नहीं होती। मैंने पहले सेमेस्टर की शुरुआत में जिस सबसे प्राथमिक शब्दावली और व्याकरण संरचना के बारे में जाना, वह दूसरे वर्ष के अध्ययन के आखिर में भी उतनी ही प्रासंगिक है। यह मूल्यवान है, क्योंकि मुझे लगातार अभ्यास की आवश्यकता थी और मेरे कौशल को लंबे समय तक बनाए रखकर सीखने को लेकर सक्रिय भूमिका निभानी थी।
हिंदी सीखने को लेकर एक मुख्य चुनौती यह होती है कि यह इतने विविध संदर्भो और स्वरूपों में उपस्थित है। मैं कक्षा में किसी विषय पर बोलने को लेकर विश्वास महसूस करने लगता, लेकिन जब मैं अपने परिवार से बात करने का प्रयास करता या उन्हीं चीज़ों पर टीवी पर लोगों को बात करते देखता, तो मेरे लिए उसे समझना मुश्किल हो जाता।
भविष्य के हिंदी विद्यार्थियों से मैं यह कहूंगा कि वे कक्षा के बाहर ज्यादा से ज्यादा हिंदी में संवाद करने का प्रयास करें। आप कक्षा में जो भी पढ़ते हैं, कक्षा के बाहर अभ्यास उसका महत्वपूर्ण पूरक हिस्सा है। अलग-अलग लोगों से बात करने और अलग-अलग मीडिया से संपर्क करने पर, आपको हिंदी बोलने की अलग-अलग शैलियां देखने को मिलेंगी, जो विभिन्न परिस्थितियों में हिंदी को लेकर सहज होने के लिए आवश्यक है। मेरी शिक्षक, डॉ. परनामी ने कक्षा में बार-बार चर्चाओं का आयोजन कर हमें प्रशिक्षित किया। यह खासकर मददगार रहा, क्योंकि जैसे-जैसे मैंने नए शब्द और व्याकरण सीखी, इससे मैं हिंदी में सोचते हुए अभ्यास कर पाया, न कि सिर्फ यांत्रिक तौर पर अपने दिमाग में हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद करते हुए और बिना सोचे व्याकरण के नियम लगाते हुए। बातचीत के दौरान हमने जो सीखा, उस पर अमल इसलिए भी मूल्यवान है, क्योंकि इससे मुझे उस वक्त भी हिंदी बोलने का अभ्यास करने का प्रोत्साहन मिला, जब नए विषयों को लेकर मुझ में उतना आत्मविश्वास नहीं था और क्लासरूम के बाहर हिंदी के इस्तेमाल के लिए यह उपयोगी तैयारी थी।
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