सब्जीकोठी में ताज़ा फल-सब्जियां

नेक्सस स्टार्ट-अप हब से मार्गदर्शन पाने वाले सप्तकृषि का अभिनव भंडारण कक्ष किसानों और विक्रेताओं को 30 दिनों तक उपज को ताज़ा रखने में मदद करता है।

स्टीव फ़ॉक्स

अक्टूबर 2023

सब्जीकोठी में ताज़ा फल-सब्जियां

सब्जीकोठी को सौर ऊर्जा से चलाया जा सकता है और इसे एक साधारण लकड़ी के पुशकार्ट, ई-रिक्‍शा या ट्रक पर स्थापित किया जा सकता है। (फोटोग्राफ: साभार निक्की कुमार झा)

भारत में फलों और सब्जियों का एक बड़ा हिस्सा खेत और बाज़ार के बीच खराब होकर बर्बाद हो जाता है। समस्या विशेष रूप से छोटे किसानों और रेहड़ी पटरी वालों के लिए ज्यादा गंभीर है। इनमें से अधिकतर तो उपज के रेफ्रीजरेशन का खर्च नहीं उठा पाते और इसी के चलते वे बची हुई और बासी उपज को फेंकने के मजबूर हो जाते हैं, जिससे उन्हें रोजाना काफी नुकसान उठाना पड़ता है। बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी और पर्यावरण की पढ़ाई करने वाले निक्की कुमार झा भोजन की बर्बादी और इसके कारण होने वाले धन के नुकसान को देखकर दुखी थे। निक्की कहते हैं, ‘‘मैं बिहार के छोटे-से गांव से आता हूं। बहुत-से लोगों ने टेलीविजन पर किसानों द्वारा अपने फल और सब्जियों को सड़क पर फेंकते देखा होगा, लेकिन मैंने उपज फेंकने का दर्द देखा है।’’

बुनियादी आधार

शुरुआत में निक्की ने एक ऑफ ग्रिड कोल्ड स्टोरेज डिवाइस विकसित किया, लेकिन इसमें तकनीकी समस्याएं थीं। कई छोटे किसानों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए रेफ्रिजरेशन महंगा था। निराश होकर, उन्होंने रात के खाने के समय परिवारजनों के सामने यह समस्या उठाई। उनकी बहन रश्मि, जो एक बायोटेक्नोलॉजिस्ट हैं ने सुझाव दिया कि कोल्ड स्टोरेज में सुधार करने के बजाय, वे बिना रेफ्रीजरेशन के फलों और सब्जियों को संरक्षित करने के तरीके तलाश सकते हैं।

उन्होंने सप्तकृषि साइंटिफिक प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना के लिए एक साथ काम किया। सप्तकृषि, सब्जीकोठी तैयार करती है, सब्जीकोठी एक पोर्टेबल, आसानी से असेंबल किया जाने वाला, कम बिजली की खपत वाला भंडारण कक्ष है जो केवल 20 वॉट बिजली और कुछ लीटर पानी की खपत में फलों और सब्जियों की शेल्फ लाइफ 30 दिनों तक बढ़ा सकता है। सप्तकृषि नेक्सस स्टार्ट-अप हब के 16वें समूह का हिस्सा था। नेक्सस स्टार्ट-अप हब अमेरिकी दूतावास का एक कार्यक्रम है जो नए उद्यमियों को उनके उत्पादों के विकास और विपणन में मदद करता है। निक्की रश्मि को ‘‘कंपनी की रीढ’’ बताते हैं। रश्मि लैब रिसर्च पर ज्यादा ध्यान देती हैं लेकिन साथ ही वह भंडारण कक्षों के उत्पादन की देखरेख का काम भी संभालती हैं। रश्मि बताती हैं, ‘‘जब हमने अपनी फैक्ट्री स्थापित करने का फैसला किया तो मेरे भाई ने मुझसे वहां अपनी लैब को भी स्थापित करने के लिए कहा ताकि मैं वर्क ़फ्लो पर निगरानी रख सकूं। मैंने प्रबंधन की भूमिका भी निभाई, अब मैंने अपने समय को स्पष्ट रूप से बांट लिया है- दिन के पहले हिस्से में मैं संचालन का प्रबंधन देखती हूं जबकि बाकी समय अपनी लैब में खर्चती हूं।’’

उपकरण छोटा, प्रभाव बड़ा

सब्जीकोठी को सौर ऊर्जा से चलाया जा सकता है और इसे एक साधारण लकड़ी के पुशकार्ट, ई-रिक्‍शा या ट्रक पर स्थापित किया जा सकता है। कक्ष के भीतर परिष्कृत तकनीक के साथ उच्च आर्द्रता और लगभग जीवाणु रहित वातावरण होता है जो एथलीन के क्षरण के सिद्धांत पर काम करता है। यह फलों-सब्जियों के पकने पर पैदा होती है लेकिन साथ ही उनके सड़ने की वजह भी बनती है।

सब्जीकोठी से छोटे किसानों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए बड़ा बदलाव आया। कानपुर में फल और सब्जियां बेचने वाले मनोज कहते हैं, ‘‘जब हमारे पास सब्जीकोठी नहीं थी तो हमें सब्जियों को फटाफट या देर रात तक बेचना पड़ता था ताकि वे खराब न हों। लेकिन अब जबकि मैंने सब्जीकोठी ले ली है, तो मैं गर्मी में भी इन्हें बेच सकता हूं, और मेरी सब्जियां ताजी और ठंडी बनी रहती हैं।’’

छोटे किसानों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए एक सब्जीकोठी चैंबर की लागत 12,500 रुपए पड़ती है लेकिन निक्की और रश्मि इसे घटाकर 10,000 रुपए से कम पर लाने की कोशिश में जुटे हैं। अब तक 700 से अधिक चैंबर बेचे जा चुके हैं। इनकी बिक्री खासतौर पर भारत के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में हुई है जहां सप्तकृषि ने अब तक अपना ध्यान केंद्रित किया है। स्टार्ट-अप की योजना अपने उत्पाद को देश भर में उपलब्ध कराने के अलावा उसके निर्यात की संभावनाओं का पता लगाने की भी है।

पर्यावरण अनुकूल

निक्की बताते हैं कि सब्जीकोठी के प्रभाव की सीमाएं खाद्य भंडारण से कहीं आगे तक विस्तारित हैं, क्योंकि फलों और सब्जियों के संरक्षण की वजह से उनके खराब होने से उत्पन्न होने वाली मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा कम हो जाती है और इससे जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में भी मदद मिलती है। सब्जीकोठी के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है, जल संसाधनों का संरक्षण होता है और टिकाऊ परंपराओं को प्रोत्साहन मिलता है। इन्हीं खूबियों के कारण सप्तकृषि को 2022 में वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड की तरफ से क्लाइमेट सॉल्वर अवार्ड से सम्मानित किया गया।

सप्तकृषि को सहायता देने वालों में अमेरिकी दूतावास नई दिल्ली का नेक्सस स्टार्ट-अप हब, भारत सरकार का स्टार्ट-अप इंडिया प्रोग्राम और आईआईटी कानपुर का स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर सेंटर भी शामिल हैं। निक्की अपनी कंपनी की सफलता के लिए कृतज्ञ हैं लेकिन वे अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। उनका कहना है, ‘‘सप्तकृषि के सह-संस्थापक के रूप में मुझे बेहतर नींद आती है जब मेरे खरीदार मुझे फोन करते हैं और कहते हैं कि, इस भंडारण कक्ष के कारण मैंने आज 400 रुपए ज्यादा कमाए हैं। मैं इस खुशी को बयान नहीं कर सकता- यह सब्जीकोठी को बेचने की खुशी से कहीं ज्यादा है।’’

स्टीव फ़ॉक्स स्वतंत्र लेखक, पूर्व अखबार प्रकाशक और रिपोर्टर हैं। वह वेंचुरा, कैलिफ़ोर्निया में रहते हैं।


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