साइकिल चलाएं, साफ हवा पाएं!

शहरों में सुरक्षित भविष्य और हवा को स्वच्छ रखने के लिए बहुत ज़रूरी है कि कार्बन उत्सर्जन को कम किया जाए। इस काम में मददगार बनने के लिए बाइसिकिल मेयर्स नेटवर्क ने भारत में एक अनूठी पहल की है।

स्‍टीव फ़ॉक्स

जुलाई 2023

साइकिल चलाएं, साफ हवा पाएं!

साइकिलों से आवाजाही के अनुकूल इलाकों को बढ़ावा देने के लिए सिलवासा में सामुदायिक अभियान। (फोटोग्राफः साभार मातृश्री शेट्टी)

कैसा रहे यदि अगर प्रदूषण फैलाने में आपका योगदान कम करने का कोई कम खर्चीला तरीका हो, जो आपकी सेहत को भी बेहतर बनाए और साथ-साथ आपका मनोरंजन करने का भी काम करे?

बाइसिकिल मेयर्स से मिलिए। यह साइकिल चलाने के शौकीन लोगों का जमीनी स्तर का नेटवर्क है, जो भारत के 52 शहरों में अधिक से अधिक लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

बदलाव की इच्छा

बीवाईसीएस इंडिया फाउंडेशन की संचालन और विकास निदेशक मातृश्री पी. शेट्टी कहती हैं, ‘‘बाइसिकिल मेयर वे लोग होते हैं जिन्हें साइकिल चलाने का शौक होता है, लेकिन साथ ही वे समाज में बदलाव भी लाना चाहते हैं, क्योंकि वे समझते हैं कि साइकिल चलाने से हमारे शहरी परिवेश में रहने के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।’’ बेंगलुरू से संचालित यह फाउंडेशन एमस्टर्डम स्थित नॉन-प्रॉफिट संस्था बीवाईसीएस के साथ मिलकर काम करता है जिसके बाइसिकिल मेयर 39 देशों में सक्रिय हैं।

वर्ष 2022 में, शेट्टी को अमेरिकी विदेश विभाग के प्रतिष्ठित पेशेवर इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (आईवीएलपी) के लिए चुना गया था। वह कहती हैं, ‘‘आईवीएलपी से भारत और अमेरिका की साझा चुनौतियों को जाने की दृष्टि मिली। इससे मुझे महामारी के बाद की बीमारियों की रोकथाम वाली दवाओं और पर्यावरणीय सेहत जैसी जरूरतों पर जोर देने को लेकर एक व्यापक समझ भी मिली।’’

‘मेयरशिप’ का रास्ता

सभी साइकिल मेयर वॉलंटियर होते हैं और उनका चयन एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया है। शेट्टी के अनुसार, ‘‘इसके लिए कोई भी आवेदन कर सकता है, लेकिन उन्हें इस बारे में एक कार्ययोजना प्रस्तुत करने के अलावा यह भी बताना होता है कि वे अपने शहर में साइकिल चालन को प्रोत्साहन देने के लिए क्या करने वाले हैं और इसके लिए समर्थन भी लेना होता है।’’

पुणे, महाराष्ट्र में एक वास्तुकार, शहर नियोजक और बाइसिकिल मेयर अशिक जैन के अनुसार, ‘‘मेरा लक्ष्य ज्यादा बाइक फ्रेंडली शहर को बढ़ावा देने का है, जहां साइकिल चालन को परिवहन के लिए एक सुरक्षित, आरामदायक और आनंददायक साधन के रूप में देखा जाए।’’ वह कहते हैं, ‘‘अधिक लोगों को साइकिल चलाने को प्रोत्साहित करके और बेहतर बुनियादी सुविधाओं एवं नीतियों को समर्थन देकर, मुझे उम्मीद है कि हम एक सेहतमंद, ज्यादा टिकाऊ और सभी के रहने योग्य एक बेहतर समुदाय बना पाएंगे।’’

अधिक स्वच्छ भविष्य

बीवाईसीएस इंडिया फाउंडेशन का विज़न ‘‘एक समावेशी, लचीले और रहने योग्य शहरी भविष्य का है, जहां अधिकतर भारतीय शहरी आबादी रोजाना की आवाजाही के लिए साइकिल को अपनाए।’’

प्रतिदिन इसे आवाजाही के लिए अपनाने से एक बड़ा फर्क सामने आ सकता है। वर्ष 2021 में यूरोप में एक अध्ययन में पाया गया कि पूरे दिन में अगर एक बार भी कार के बजाए साइकिल का इस्तेमाल किया जाए तो उससे सालाना तौर पर एक व्यक्ति के कार्बन फुटप्रिंट में 0.5 टन की कमी आती है जो कि औसतन एक व्यक्ति के परिवहन से हुए कुल कार्बन उत्सर्जन में 67 प्रतिशत की कमी के बराबर है।

शेट्टी के अनुसार, ‘‘हरेक शहर को अपनी चुनौतियों का सामना खुद करना पड़ना है, लेकिन हमारा लक्ष्य भारत में अधिक से अधिक लोगों को रोजाना की आवाजाही में साइकिल का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना है। भारत में साइकिल सवारों की संख्या तय कर पाना कठिन है, लेकिन हमारा अनुमान है कि लगभग 13 प्रतिशत कामगार रोजाना साइकिल का उपयोग करते हैं और हम उस संख्या को और अधिक बढ़ाना चाहते हैं।’’ शेट्टी के अनुसार, बाइसिकिल मेयर सबसे ज्यादा बेंगलुरू, चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, गुवाहाटी और पिंपरी चिंचवाड में सक्रिय हैं।

सामुदायिक सहयोग

साइकिल चालन को प्रोत्साहन देने के अलावा बाइसिकिल मेयर्स अपने समुदायों की दूसरी तरह से मदद करने में भी सक्रिय भूमिका में रहते हैं जैसे कि कोविड-19 के मरीजों में दवा वितरण आदि।

हैदराबाद, तेलंगाना में बाइसिकिल मेयर और आईटी प्रोफेशनल संथाना सेलवन कहते हैं, ‘‘जब इस टइटल का सही इस्तेमाल किया जाता है, तो यह जादुई होता है।’’ वह ध्यान दिलाते हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान बाइसिकिल मेयर ने अपने समुदायों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

सेलवन बताते हैं, ‘‘जब हम हैदराबाद में रिलीफ राइडर्स प्रोजेक्ट का संचालन कर रहे थे, तो हमने वरिष्ठ नागरिकों और कोविड-19 रोगियों को दवाएं और आवश्यक सामग्री पहुंचाईं।’’ उनके अनुसार, ‘‘हमने यह साबित कर दिया कि साइकिल चलाने वाले सड़क पर कोई समस्या नहीं हैं, बल्कि एक समाधान हैं, वे सामुदायिक सेवा कर रहे हैं। बुजुर्गों और ज़रूरतमंदों की सेवा करना बहुत संतुष्टिदायक था। मुझे लगता है कि मैंने अपना मकसद पा लिया है।’’

इसी तरह से दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव में योग प्रशिक्षक स्वरूपा शाह के अनुसार, वह अधिक से अधिक लोगों को साइकिल के उपयोग के लिए प्रेरित करने को बाइसिकिल मेयर बनीं। उनका कहना है, ‘‘मैं गृहणियों और बच्चों को अधिक से अधिक साइकिल के इस्तेमाल, और बेहतर कल के लिए एक मजबूत साइकलिंग समुदाय बनाने के लिए प्रेरित करना चाहती थी। और यह केवल बाइसिकिल मेयर बनने से ही संभव था।’’

स्टीव फ़ॉक्स स्वतंत्र लेखक, पूर्व अखबार प्रकाशक और संवाददाता हैं। वह वेंचुरा, कैलिफ़ोर्निया में रहते हैं।


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