स्वस्थ फेफड़ों के लिए

नई दिल्ली के अमेरिकी दूतावास की सहायता से लंग केयर फाउंडेशन के एक अभियान ने समुदायों को वायु प्रदूषण से बचाव के लिए सशक्त किया है।

कृत्तिका शर्मा

अगस्त 2023

स्वस्थ फेफड़ों के लिए

(अल्ताफ कादरी © एपी इमेजेज)

गैरलाभकारी संगठन लंग केयर फाउंडेशन (एलसीएफ) के संस्थापक ट्रस्टी, चेस्ट सर्जन डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, ‘‘वायु प्रदूषण शरीर के सभी अंगों पर, हर उम्र में, दिमाग से लेकर पैर तक असर डाल सकता है। जून 2023 में एलसीएफ ने, अमेरिकी दूतावास, नई दिल्ली की मदद से संचालित अपने अभियान शान (साफ हवा और नागरिक) का समापन किया। इस अभियान के तहत वायु गुणवत्ता एवं स्वास्थ्य में सुधार के तरीकों के बारे में सम्मेलनों, नीतिगत संवादों, युवा और सामुदायिक जागरूकता और वॉल आर्ट कार्यक्रमों के माध्यम से विविध समुदायों को शिक्षित किया गया।

स्वास्थ्य पर प्रभाव  

डॉ.कुमार के अनुसार, प्रदूषित क्षेत्र में रहने वाली गर्भवती महिला अपने प्लेसेंटा के माध्यम से खराब हवा को भ्रूण तक पहुंचा देती है जिसका प्रभाव गर्भ के शुरुआती तीन महीनों में ही जन्मजात विकृति के रूप में दिखाई दे सकता है। डॉ. कुमार कहते हैं कि यहां तक कि उनके  पुराने मरीजों में भी फेफड़ों की क्षति में बदलाव देखा जा रहा है और उनकी हालत बदतर हो रही है। उनका  कहना है कि ‘‘इसकी वजह यह है कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह बहुत खराब है, हम जन्म से ही धुएं के संपर्क में आ जाते हैं।’’

संस्थापक ट्रस्टी राजीव खुराना के अनुसार, यह अभियान परिवारों को स्वास्थ्य और वायु प्रदूषण के सवालों पर बातचीत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने में सफल रहा क्योंकि एलसीएफ ने अपनी जागरूकता संबंधी गतिविधियों में, खासतौर पर बच्चों और युवाओं को शामिल करने पर अपने प्रयासों को केंद्रित किया।

परिणाम

एलसीएफ के संस्थापक ट्रस्टियों ने, दिल्ली से संचालित होने के बावजूद, पूरे उत्तर भारत में प्रभाव डाला है और और सोशल मीडिया पर भी। शान अभियान के तहत, एलसीएफ ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर खराब हवा के प्रभाव को उजागर करने के लिए चू्ल्हा शीर्षक से एक वीडियो बनाया। एलसीएफ ने अपने लक्षित वर्ग तक पहुंचने के लिए अपनी युवा टास्क फोर्स और स्कूली बच्चों को तैनात किया। खुराना बताते हैं कि, इसका प्रभाव इतना दूरगामी था कि दिल्ली में श्रमिकों ने अपने पैतृक गांवों में अपने परिवारों को लकड़ी से जलने वाले पारंपरिक स्टोव छोड़ने और एलपीजी सिलेंडर में निवेश के लिए मनाया। यूट्यूब पर इस वीडियो को 96,000 बार देखा जा चुका है।

इन्होंने दो मौलिक  गीतों को भी तैयार किया, पहले गीत ‘‘सोचो ना’’ को 250,000 से ज्यादा लोगों ने देखा, जबकि स्कूली बच्चों के साथ फिल्माए गए एक रैप गीत को 200,000 से ज्यादा बार देखा गया।

साझेदारियां

अमेरिकी दूतावास नई दिल्ली से मिली वित्तीय मदद से सफल अभियान संचालित होने के कारण, एलसीएफ ने गुरुग्राम, हरियाणा के प्रशासनिक निकायों और भारत सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कि ए हैं।

भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की पहल ड्रिव (दिल्ली रिसर्च इंप्लीमेंटेशन एंड इनोवेशन) के साथ समझौता ज्ञापन का उद्देश्य वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर जागरूकता को बढ़ावा देने के साथ तकनीकी नवाचारों के माध्यम से उनके समाधान तलाशने का है। ड्रिव शैक्षणिक संस्थानों, प्रयोगशालाओं, संबंधित मंत्रालयों, गैरलाभकारी संगठनों और औद्योगिक भागीदारों का छाता संगठन है। ज्ञापन में तयशुदा शर्तो के तहत एलसीएफ जागरूकता पैदा करने के अलावा, वायु प्रदूषण और फेफड़ों की सेहत के बारे में प्रयोगशाला आधारित अनुसंधान करेगा और साथ ही फेफड़ों की बीमारियों से पीडि़त रोगियों की चिकित्सा देखभाल करेगा।

गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) और गुरुग्राम मेट्रोपोलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी (जीएमडीए) के साथ समझौता ज्ञापन का उद्देश्य वायु प्रदूषण के क्षेत्र में काम करने वाले दूसरे संगठनों को एकसाथ लाते हुए उनके प्रयासों में तालमेल बैठाना है। लंग केयर फाउंडेशन को डॉक्टरों, आरडब्लूए और स्थानीय इको क्लबों के साथ मिलकर स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने का काम सौंपा गया है।

इस संगठन को उत्तर प्रदेश सरकार ने भी आगरा, गाजियाबाद, कानपुर और लखनऊ में जागरूकता सत्रों को आयोजित करने के लिए आमंत्रित किया है।


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