अमेरिका की यात्रा पर आने वाले कम ही आगंतुकों की ओर लोगों का उतना ध्यान आकर्षित हुआ है, जितना कि प्रधानमंत्री नेहरू की तरफ, जो नवंबर 1961 में चौथी बार अमेरिका की यात्रा पर आए।
जनवरी 1962
वाशिंगटन के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर राष्ट्रपति केनेडी द्वारा स्वागत के मौके पर प्रधानमंत्री नेहरू के साथ (बाएं से दाएं) भारत में अमेरिकी राजदूत जे. के. गैलब्रेथ, सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट डीन रस्क, अमेरिका में भारत के राजदूत बी.के. नेहरू, उपराष्ट्रपति लिंडन जॉनसन और राष्ट्रपति केनेडी।
अमेरिका की यात्रा पर आने वाले कम ही आगंतुकों की ओर लोगों का उतना ध्यान आकर्षित हुआ है, जितना कि प्रधानमंत्री नेहरू की तरफ, जो नवंबर में चौथी बार अमेरिका की यात्रा पर आए। साथ में थीं उनकी पुत्री श्रीमती इंदिरा गांधी।
हज़ारों अमेरिकियों ने सम्मान में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में विशिष्ट राजनेता का स्वागत किया, लाखों लोगों ने अपने टीवी सेट पर उनके विचारशील चेहरे को देखा और टीवी एवं रेडियो, दोनों पर उनकी गंभीर और मधुर आवाज़ को सुना। उनकी 10 दिनों की अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिका से प्रकाशित होने वाले 1800 दैनिक समाचारपत्रों और हज़ारों पत्रिकाओं के पाठकों के उनकी फोटो से रूबरू होने के ही सर्वाधिक आसार थे।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति केनेडी के बीच विचारों के आदान-प्रदान को संयुक्त वक्तव्य में कुछ इस तरह व्यक्त किया गया, ‘‘विश्व शांति बनाए रखने और भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच अधिक समझ के साझा उद्देश्यों के मद्देनज़र यह बहुत उपयोगी रही।’’ इन मुलाकातों ने दोनों विश्व नेताओं को शांति, परमाणु परीक्षण और निशस्त्रीकरण जैसे अहम मसलों पर अपनी-अपनी स्थिति को पूरी तरह जांचने का अनूठा अवसर प्रदान किया और इससे परस्पर विश्वास और आदर का भाव बढ़ा। जब राष्ट्रपति ने कहा कि, ‘‘आपकी प्रतिष्ठा आपकी सीमाओं से परे जा पहुंची है और पूरी दुनिया में यह लोगों के लिए प्रेरणा का काम कर रही है,’’ तो वह अमेरिकियों के मन में मौजूद नेहरू के प्रति सम्मान की बात कर रहे थे।
वाशिंगटन में नेशनल प्रेस क्लब के अतिथि के तौर पर नेहरू ने लगभग 500 श्रमजीवी पत्रकारों से मुलाकात की और खुलकर हाज़िरजवाबी के साथ उनके सवालों के जवाब दिए। न्यू यॉर्क में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया और ‘‘विश्व सहयोग वर्ष’’ मनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ‘‘जो प्रचुर अंतरराष्ट्रीय सहयोग अस्तित्व में है, उसके बारे में बहुत कम बात होती है, जबकि टकराव पर खूब चर्चा होती है।’’
प्रधानमंत्री नेहरू की 72वीं जन्म वर्षगांठ उनकी अमेरिकी यात्रा के समय ही थी और यह उचित ही था कि जन्मदिन समारोहों के तहत ‘‘चाचा नेहरू’’ का लॉस एंजिलीस स्थित वाल्ट डिज्नी द्वारा डिज़ाइन किए गए शानदार मनोरंजन पार्क डिज्नीलैंड में बच्चों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह द्वारा स्वागत हो। उनके आखिरी कार्यक्रमों में से एक लॉस एंजिलीस में था, जहां जन्मदिन कार्यक्रम में उनकी लगभग 500 भारतीय विश्वविद्यालय विद्यार्थियों से मिलने की योजना थी, लेकिन 3500 उत्साही अमेरिकी विद्यार्थी भी प्रधानमंत्री को हैपी बर्थडे कहने और गर्मजोशी से विदाई देने के लिए वहां पहुंच गए।
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