अमेरिकी डवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) की सहायता से दो भारतीय कंपनियां स्वच्छता संबंधी और आंखों की देखभाल संबंधी गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए अपने नेटवर्क का विस्तार कर रही हैं।
अगस्त 2023
डीफसी की वित्तीय मदद से आईक्यू विज़न अपने अस्पतालों के नेटवर्क का विस्तार कर रही है, जिससे कि कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जा सके। (फोटोग्राफः साभार आईक्यू विज़न)
माहवारी स्वच्छता संबंधी खराब प्रथाएं सर्वाइकल कैंसर और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम पैदा करने वाले महत्वपूर्ण कारकों में हैं। उद्यमी साहिल धारिया ने 2012 में सूद हेल्थकेयर की स्थापना की, जो ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित वर्ग की महिलाओं और लड़कियों के लिए स्वच्छता उत्पाद तैयार करती है। नई दिल्ली स्थित कंपनी का मिशन माहवारी संबंधी स्वच्छता उत्पादों को महिलाओं के लिए सुलभ बनाना और लोगों को माहवारी स्वास्थ्य के महत्व के बारे में शिक्षित करना है।
सूथ हेल्थकेयर की सीनियर मार्केटिंग मैनेजर श्रुति कपूर के अनुसार, ‘‘सर्वाइकल कैंसर से हर साल 75000 से अधिक भारतीय महिलाओं की मृत्यु हो जाती है, साथ ही हर साल अतिरिक्त 150,000 महिलाओं में इस रोग का पता लगाया जाता है।
2022 में सूद हेल्थकेयर को अपने व्यवसाय को विस्तार देने के लिए अमेरिकी डीएफसी से 77 लाख डॉलर की आर्थिक मदद हासिल हुई। यह प्रोजेक्ट डीएफसी की वैश्विक स्वास्थ्य और समृद्धि पहल के साथ-साथ डीएफसी की 2 एक्स वुमेन्स इनीशिएटिव पहल को भी आगे बढ़ाती है, जो महिलाओं को उनके स्वास्थ्य की देखभाल करने और उनके बारे में जानने के तरीकों के साथ सशक्त बनाती है। डीएफसी वैश्विक विकास में निवेश के लिए अमेरिकी सरकार का वित्तीय संस्थान है।
कपूर बताती हैं, ‘‘डीएफसी फडिंग से हमें व्यापक भौगोलिक क्षेत्रों में अधिक महिलाओं तक पहुंचने में मदद मिल रही है। हम इस पूंजी का उपयोग अपने डिस्ट्रीब्यूशन चैनलों को विस्तार देने, द्वितीय औरतृतीय श्रेणी के बाजारों में महिलाओं तक अपनी पहुंच बढ़ाने और मार्केटिंग को मजबूत करने के लिए कर रहे हैं। पूंजी का इस्तेमाल महिलाओं में माहावरी स्वच्छता के बारे में व्यापक सामाजिक संदेश फैलाने के लिए भी किया जाएगा।’’ सूद हेल्थकेयर की योजना अगले सात वर्षो में हर महीने 50 लाख से बढ़कर 1 करोड़ 70 लाख ग्राहकों तक पहुंचने की योजना है।
सूद हेल्थकेयर का 93 प्रतिशत से अधिक राजस्व 10 लाख या उससे कम आबादी वाले शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से संचालित होता है। कंपनी के इस समय कई कार्यक्रम चल रहे हैं जिसमें ‘‘पारी वर्तन’’ भी शामिल है जिसके माध्यम से स्कूलों और कॉलेजों में माहवारी स्वच्छता सत्र और उत्पाद वितरण अभियान चलाए जाते हैं, और ग्रामीण इलाकों में महिलाओं एवं जेलों में बंद महिला कैदियों के लिए मु़फ्त स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं।
कपूर के अनुसार, ‘‘सही उत्पादों के साथ महिलाओं की स्वच्छता संबंधी समस्याओं पर ध्यान देने और उनका समाधान करने की ज़रूरत है।’’ उनका कहना है, ‘‘कंपनी के प्रमुख ब्रांड पारी के माध्यम से हम न केवल अच्छी गुणवत्ता वाले माहवारी उत्पादों को महिलाओं के लिए सुलभ बना रहे हैं, बल्कि अपनी कार्यशालाओं, स्वास्थ्य सत्रों और अभियानों के माध्यम से भी महिलाओं के बीच माहवारी स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए बातचीत शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे सक्रिय रूप से आगे काम करते हुए राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था में योगदान कर सकें।’’
गुणवत्तापूर्ण देखभाल पर नज़र
डीएफसी के वित्तपोषण की मदद से आई-क्यू विज़न को अपने अस्पतालों का नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिल रही है। ये अस्पताल नज़र को ठीक करते हैं और आंखों का इलाज करते हैं। आई-क्यू विजन, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात के 50 जिलों में एक सुपर स्पेशियलिटी शृंखला है जो किफायती कीमत में आंखों का अच्छा इलाज उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। आई-क्यू विजन के मुख्य वित्त अधिकारी राजेश माहेश्वरी के अनुसार, ‘‘हमने पिछले 15 वर्षों में भारत और नाइजीरिया में 75 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया है।’’
2022 में, कंपनी को डीएफसी से 99 लाख डॉलर की वित्तीय मदद प्राप्त हुई, जिससे कंपनी को भारत जैसे दुनिया के सबसे ज्यादा दृष्टिहीन आबादी वाले देश में अस्पतालों के अपने नेटवर्क को बढ़ाने में मदद मिल रही है। ये अस्पताल दृष्टि को सही करते हैं और ग्लूकोमा और मोतियाबिंद जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं। माहेश्वरी कहते हैं, ‘‘डीएफसी फंडिंग से बिहार, झारखंड, असम , उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आई-क्यू की पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। हम हर साल चार से पांच केंद्र खोलेंगे जो सभी प्रकार की नेत्र देखभाल विशिष्टताएं प्रदान करेंगे।’’
आई-क्यू महिला कर्मचारियों की भर्ती पर ध्यान देने के साथ छोटे शहरों में स्थानीय रोज़गार भी पैदा कर रहा है। माहेश्वरी के अनुसार, ‘‘पिछले 15 वर्षों में आई-क्यू ने लगभग 5000 लोगों की टीम के सदस्यों को प्रशिक्षित किया है और वे आई-क्यू या अन्य जगहों पर काम कर रहे हैं।’’ इससे स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े प्रशिक्षित कर्माचारियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
माहेश्वरी ने आई-क्यू के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को साझा करते हुए बताया कि अगले पांच वर्षों में कोशिश 40 लाख से अधिक नए नेत्र रोगियों तक इलाज पहुंचा पाने की है। इसके अलावा आईक्क्यू को अगले सात से आठ सालों में भारत में 50 नए नेत्र देखभाल केंद्र और विदेश में भी 20 नए केंद्र खोलने की उम्मीद है।
जैसन चियांग स्वतंत्र लेखक हैं और सिल्वर लेक, लॉस एंजिलीस में रहते हैं।
स्पैन ई-पत्रिका की निःशुल्क सदस्यता के लिए यहां क्लिक करेंः https://bit.ly/SubscribeSPAN
टिप्पणियाँ