संबंधों का सशक्त मैत्री-सेतु

भारत में अमेरिका के नए राजदूत एरिक गार्सेटी बता रहे हैं कि दोनों देशों के संबंधों को लेकर उन्हें क्या चीज़ सबसे ज्यादा उत्साहित करती है।

चार्वी अरोड़ा

जुलाई 2023

संबंधों का सशक्त मैत्री-सेतु

राजदूत एरिक गार्सेटी मुंबई में भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी मिथाली राज के साथ क्रिकेट पर हाथ आजमाते हुए।
(फोटोग्राफः अमेरिकी कांसुलेट जनरल मुंबई)

राजदूत एरिक गार्सेटी भारत में अमेरिका के 26 वें राजदूत के रूप में सेवारत हैं। वह एक प्रतिबद्ध लोक सेवक, शिक्षाविद, और राजनयिक हैं। लॉस एंजिलीस सिटी काउंसिल में 12 वर्षों तक सेवा देने के बाद राजदूत गार्सेटी ने वर्ष 2013 में शहर के इतिहास में सबसे कम उम्र में मेयर का चुनाव जीता। वह 2017 में फिर से इस पद के लिए निर्वाचित हुए। एक मेयर के रूप में वह आर्थिक विकास और अवसरों के दौर के साक्षी बने, और उन्होंने लॉस एंजिलीस में 2028 के ओलिंपिक और पैरालिंपिक खेलों की मेजबानी हासिल की। स्वास्थ्य और जलवायु को लेकर उन्होंने आक्रामक रणनीति अपनाई। राजदूत गार्सेटी ने 12 वर्षों तक नौसेना के रिजर्व कंपोनेंट में एक अधिकारी के रूप में कार्य किया।

राजदूत गार्सेटी ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से जॉन जे स्कॉलर के रूप में बी.ए. की डिग्री हासिल की, जहां उन्होंने हिंदी और भारतीय संस्कृति की पढ़ाई की। उनके पास कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स से मास्टर्स डिग्री है और वह क्वींस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में रोड्स स्कॉलर रहे हैं। उनका विवाह रोड्स स्कॉलर कक्षाओं में उनकी सहपाठी रहीं एमी एलेन वेकलैंड से हुआ। इन दोनों की एक बेटी है और एक दशक से ज्यादा समय से वह एक फॉस्टर पेरेंट के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। राजदूत गार्सेटी, पिछली चार पीढि़यों से लॉस एंजिलीस के मूल निवासी हैं। वह स्क्रीन एडिटर्स गिल्ड के गौरवान्वित कार्डधारक सदस्यों में शामिल हैं और साथ ही वह एक शौकिया पियानोवादक और फोटोग्राफर भी हैं।

प्रस्तुत है स्पैन पत्रिका के साथ राजदूत गार्सेटी के साक्षात्कार के अंश :

कृपया एक युवा के तौर पर भारत में बिताए गए अपने वक्त के बारे में बताइए।

मैं भारत पहलेपहल 1985 में 14 साल की उम्र में अपनी बहन, मां और पिता के साथ आया था। यह एक रहस्य से पर्दा उठने जैसा था- एक ऐसी जगह जिसने तुरंत अपने लिए मेरे दिल में जगह बना ली और मुझे अमेरिका और भारत के लंबे इतिहास के बारे में स्मरण कराया। देखिए कि भारत ने अमेरिका को किस तरह से प्रभावित किया है और इसके उलट भी। गांधी किस तरह से मार्टिन लूथर किंग के प्रेरणा स्रोत बने, देखिए कि हमने किस तरह अपनी-अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष किया और किस तरह अपने देशों को महान बनाया।

मैं 1990 में वापस लौटा और उसके बाद तो कई बार आना हुआ, हर बार वर्षों ने जो चीज़ मुझे बताई, वे शायद दिनों में नहीं देखी जा सकती थीं। मैं उस अद्भुत प्रगति-पथ और उन तरीकों को देख सका, जो चीजें मुझे भारत को लेकर पसंद हैं- यहां के अद्भुत लोग, यहां की गर्मजोशी, यहां का इतिहास और संस्कृति- जो बदली नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से भारत की आर्थिक समृद्धि और विश्व में उसका स्थान बदल गया है और यह लगातार मज़बूत होता जा रहा है। मैं अभी भी भारत में उस 14 साल के लड़के की तरह से महसूस करता हूं जो आश्चर्य से भरा हुआ है लेकिन, अब वह एक राजदूत के रूप में भी, जिसके पास भारतीयों और अमेरिकियों के साथ मिलकर भविष्य के लिए एक अध्याय लिखने का अवसर उपलब्ध है।

राजदूत गार्सेटी (दाएं) वर्ष 1990 के दशक में एक युवा के तौर पर भारत आए थे।
(फोटोग्राफः राजदूत गार्सेटी )

एक पियानोवादक के तौर पर आपको कौनसे संगीतकार प्रेरित करते हैं?       

मैं संगीतकारों के परिवार से आता हूं। मेरे ग्रांडपेरेंटस की मुलाकात तब हुई जब वे महामंदी के दौर में संगीत विद्यालय में थे। मेरी मां जैज़ और शास्त्रीय पियानोवादक थीं और उन्होंने उसे मुझे भी सिखाया। जब मैं बच्चा था तो जैज़ बजाया करता था। मैं कॉलेज में म्यूज़िकल और अन्य कार्यक्रमों में कंपोज़र हुआ करता था। मुझे सभी तरह के संगीत पसंद हैं।

मैं भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं का आनंद लेता हूं, जिनमें हॉलीवुड के लिए साउंड ट्रैक लिखने वाले महान कंपोज़र ए.आर. रहमान से लेकर सितारवादक रविशंकर और महान पियानोवादक विजय अय्यर जैसे संगीतकार शामिल हैं। सभी शैलियों में मेरा पसंदीदा जैज़ है। कीथ जैरेट से मैं सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ लेकिन मुझे पियानो पर दिमाग में किसी गाने को सोचे बिना बैठना और एकाएक कुछ बजाना पसंद है। यह एक मौका होता है जब आपके हाथों और आत्मा के माध्यम से ब्रह्मांड को खुद को व्यक्त करने का अवसर मिलता है।

राजदूत गार्सेटी चेन्नई में केएम म्यूज़िक कंज़र्वेटरी में एक संगीत प्रस्तुति के दौरान।
(फोटोग्राफः अमेरिकी कांसुलेट जनरल चेन्नई)

आपकी नज़र में सांस्कृतिक कूटनीति या राजनय किस तरह से अमेरिका और भारत के संबंधों को और मजबूत कर सकता है

सांस्कृतिक कूटनीति कुछ ऐसी चीज़ है कि अमेरिकी और भारतीय रोजाना उसके हिस्से होते हैं लेकिन उन्हें पता भी नहीं होता। जब हम यूट्यूब पर कोई वीडियो देखते हैं, या नाटू नाटू एक एकेडमी पुरस्कार जीतता है या कोचेल्ला फेस्टिवल में भारतीय संगीत के साथ दिलजीत दोसांझ आते हैं-  तो हम सांस्कृतिक कूटनीति में ही संलिप्त हो रहे होते हैं।

लेकिन मैं सौचता हूं कि हम इससे भी आगे जा सकते हैं। मेरा मानना है कि जब आप कहानियों, संगीत या खेल के माध्यम से लोगों के दिल को छूते हैं तो उससे हमें यह पहचानने की शक्ति मिलती है कि हम सब एक ही मानव परिवार के हिस्से हैं। और विशेष तौर पर, मैं हॉलीवुड और बॉलीवुड और वृहत्तर भारतीय फिल्म उद्योग तक सेतु बनाना जारी रखना चाहता हूं और अमेरिका में और ज्यादा भारतीय सिनेमा लाना चाहता हूं।

खेल संस्कृति का दूसरा आयाम है, हमारी कोशिश यह होगी कि हम अपने बास्केटबॉल और यहां तक कि अमेरिकी फुटबॉल को भारत लाएं जबकि हम क्रिकेट के बारे में सीखते हुए यह देखना चाहेंगे कि ये हमारे जीवन को कैसे और समृद्ध बना पाते हैं। सांस्कृतिक कूटनीति हमें जोड़ती है। एक राजदूत के रूप में यहां काम करते हुए यह हमारे कार्यों का अहम हिस्सा होगा।

भारतीय भोजन में आपके पसंदीदा व्यंजन कौनसे हैं? भारत में अपनी यात्रा के दौरान आप किस तरह के  व्यंजन आजमाना चाहेंगे?

मुझे भारतीय भोजन बहुत पसंद है। मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी के दौरान भारतीय भोजन का आनंद लिया है और अमेरिका में अपने घर पर इसे तैयार किया है। किसी एक के बारे में कहना मुश्किल है लेकिन दिन की शुरुआत के लिए अच्छी इडली बढि़या है। मुझे छोले मसाला भी पसंद है और कोलकाता बिरयानी भी- मुझे सभी क्षेत्रीय व्यंजन पसंद हैं।

अगर मुझे सिर्फ एक चीज़ का चयन करना हो, तो यह एक बढि़या थाली हो सकती है जिसे बार-बार आजमाया जा सकता है। मैं अपने हाथों से भोजन खाना पसंद करता हूं। मैं सोचता हूं कि बहुत से अमेरिकियों के लिए यह एक नई चीज़ है। लेकिन मैं आधा मेक्सिकन हूं इसलिए हम टॉर्टिलाज़ के साथ खाना जानते हैं। यह वह तरीका है जिसमें आप अपनी उंगलियों से भोजन का अनुभव कर पाते हैं।

मुझे मसालेदार खाना पसंद है,, कुछ भी जिसमें मिर्च हो। रेस्टोरेंट में, वे मेरा विश्वास नहीं कर पाते। वे सोचते हैं कि अमेरिकी इसे नहीं झेल पाएंगे, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है।

अगर आपको किसी अमेरिकी विद्यार्थी को भारत के बारे में कोई एक चीज़ बतानी हो और किसी भारतीय विद्यार्थी को किसी एक अमेरिकी चीज़ के बारे में बताना हो, तो आप क्या कहेंगे?

मैं कहूंगा कि अमेरिका और भारत में एकसाथ मिल कर दुनिया का भविष्य बदलने की क्षमता है। ये दो महान देश हैं। एक, जिसकी सभ्यता की जड़ें अतीत में गहरी रही हैं और वह जहां सबसे पुराना लोकतंत्र है। एक वह जो न सिर्फ विश्व का विशालतम लोकतंत्र है बल्कि वह दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश भी है। दोनों ही स्थान विविधताओं और जटिलताओं से भरे हैं, लेकिन कुछ मायनों में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

हम एक देश में कई देश हैं, और हमारे पास एक-दूसरे से सीखने के लिए काफी कुछ है, लेकिन गहराई में हमारे समानांतर सामाजिक मूल्य हैं। यह आइडिया कि हर व्यक्ति मायने रखता है, हर कोई शामिल होना चाहिए, यह मायने नहीं रखता कि वे कहां से आते हैं, कौनसी भाषा बोलते हैं, उन्हें किससे प्रेम है और उनकी पूजा पद्धति क्या है। यही वे मूलभूत चीज़ें हैं, जिन्होंने पिछले सालों में मेरे विचारों में अमेरिका और भारत को परिभाषित करने का काम किया है।

मैं अमेरिकी विद्यार्थियों से भी कहना चाहूंगा, यहां आइए। हमें भारत में और अधिक अमेरिकी विद्यार्थियों की ज़रूरत है। हमारे पास स्टडी एब्रॉड और क्रिटिकल लैंग्वेज स्कॉलरशिप प्रोग्राम और फुलब्राइट-नेहरू स्कॉलरशिप प्रोग्राम जैसे शैक्षिक आदान-प्रदान के बढि़या प्रोग्राम हैं जो अमेरिकी विद्यार्थियों को भारत में आकर पढ़ाई करने में मदद करते हैं।

मेरे लक्ष्यों में एक लक्ष्य और अधिक अमेरिकियों को भारत लाना है। ठीक वैसे ही, जैसे कि जब मैं एक विद्यार्थी के तौर पर भारत आया था। दूसरे, अमेरिकियों को भी वैसे ही भारत आने की ज़रूरत है। भारत को जानने के लिए, यहां की भाषाएं बोलने के लिए, यहां के इतिहास और संस्कृति से परिचित होने के लिए। मैं अमेरिकी विद्यार्थियों से कहता हूं, चाहे उनकी रुचियां कुछ भी हों, चाहे वे कारोबार में रुचि रखते हों, राजनीति में रुचि हों, संस्कृति या संगीत से जुड़े हों, भारत आपके जीवन को समृद्ध करेगा और आपको बेहतर करने में मदद करेगा।

भारतीय विद्यार्थियों के लिए, मैं कहना चाहूंगा कि हमें भारतीय विद्यार्थियों का अमेरिका आना अच्छा लगता है। हमने भारत से अमेरिका जाने के लिए रिकॉर्ड संख्या में विद्यार्थी वीज़ा प्रोसेस किए हैं। हम चाहते हैं कि भारतीय विद्यार्थी अमेरिका आएं और देखें कि दोनों देश तकनीक और स्टेम और अन्य क्षेत्रों में बढि़या काम कर रहे हैं। मैं भारतीय विद्यार्थियों से कहना चाहूंगा कि, हम चाहेंगे कि आप आएं और यहां अध्ययन करें। हम चाहेंगे कि वे आएं और अपना योगदान दें। हम चाहेंगे कि आप आएं और थोड़ा-बहुत अमेरिका अपने साथ लेकर वापस अपने घर लौंटें।

ये ही वे चीज़ें है जिससे वास्तव में यह रिश्ता मजबूत होता है। किसी राजदूत के प्रधानमंत्री से मिलने या किसी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री के बीच मुलाकात से नहीं। यह ऐसे हर दिन वाले लोगों से होती है जो दोनों देशों को जानते हैं और उन्हें प्यार करते हैं।

भारत में अमेरिकी मिशन ने जून 2023 में सातवां वार्षिक विद्यार्थी वीज़ा दिवस आयोजित किया। यह अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय से चले आ रहे शिक्षा संबंधों का उत्सव है। (फोटोग्राफः अमेरिकी कांसुलेट जनरल मुंबई)

अमेरिका और भारत में युवा किस तरह से साझेदारी के इस रोमांचक दौर में अपना योगदान दे सकते हैं?

16 साल या उससे कम उम्र के भारतीयों की संख्या अमेरिका की पूरी जनसंख्या के बराबर है। किसी ऐसे देश में होना जहां युवा न सिर्फ अपने देश की दिशा को बदल सकता है बल्कि हमारे देश और पूरे विश्व को प्रभावित कर सकने की स्थिति में हों, बहुत ही दिलचस्प है।

मैं कहूंगा, साहसी बनिए, मित्रवत बनिए और अपने दिल के साथ नेतृत्व करें। अपनी संस्कृति और विचारों को साथ लाइए। रचनात्मक बनिए। मुझे भारतीय हिप हॉप, भारतीय जैज़ और वे अमेरिकी संगीतकार पसंद हैं जो भारतीय संगीत परंपराओं से प्रेरित होकर फ्यूजन करके संगीत तैयार करते हैं।

मैं सोचता हूं कि आज एक युवा के लिए हम सीमाओं को नहीं देखते हैं। हम यह नहीं मानते कि हम केवल एक खांचे, एक स्थान या एक शैली में ही फिट हो सकते हैं। मैं इस बात को देखने का इंतजार नहीं कर सकता कि अमेरिका-भारत के एकसाथ आने से क्या-क्या होगा, युवा सोच से निर्देशित होकर, जिनके पास इस बारे में सोच है कि फैशन कहां जाना चाहिए, अगली बड़ी हिट क्या होने वाली है, आगे कौन से कहानी बताई जानी है या तकनीक किस तरह से हमारा जीवन बदल सकती है, हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है और हमारी समृद्धि को बढ़ा सकती है।

आखिर में, मैं युवाओं से यह कहना चाहूंगा कि अपने सामाजिक मूल्यों को अपने साथ लाइए। हम सभी एक ऐसी दुनिया चाहते हैं जहां जेंडर को लेकर बराबरी हो, जो सभी को साथ ले, एक दुनिया जिसमें कोई गरीबी न हो, जहां हम खुली हवा में सांस ले सकें, जहां हमने जलवायु संबंधी संकट का सामना कर लिया हो, अपने साथ अपना जुनून लाएं और जिन चुनौतियों का हम सामना कर रहे हैं, उनसे निपटने के लिए समाधान भी। भारत अकेले उनका सामना नहीं कर सकता और न ही अमेरिका ऐसा करने में सक्षम है। लेकिन एकसाथ हम बेहतर स्थिति में हैं।

स्पैन के पाठकों के लिए आपका क्या संदेश है?

मैं हमेशा कहता हूं- निडर बनो। किसी को यह कहने का मौका मत दो कि तुम कोई काम नहीं कर सकते। तुम कर सकते हो। दूसरा, विनम्र बनो। निडरता आपको घमंडी न बना दे, यह ध्यान रखें। तीसरा, मैं कहना चाहूंगा कि, सुनना सीखिए। यह आपके अंदर की सबसे बड़ी खूबी हो सकती है।

हम सभी को वह सब सिखाया जाता है, जो इस समय मैं कर रहा हूं। सीखना चाहिए कि कैसे बेहतर तरीके से बोला जाए, भाषण कैसे दिया जाए, सोशल मीडिया पर हम कैसे पेश आएं। लेकिन अगर आप दुनिया को सुनेंगे तो आपकी वाणी में बहुत ताकत होगी। अंतिम बात, हमेशा प्रेम की भावना रखें। अगर आप प्रेम से कोई काम करेंगे तो आपको हर व्यक्ति में अच्छाई नजर आएगी। आप एक बेहतर कल के लिए योगदान करेंगे। और साथ मिलकर हम एक बेहतर दुनिया बनाएंगे।


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