साल 2020 की कंट्री रिपोर्ट ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज़ को प्रस्तुत करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन ने मानव अधिकारों पर अमेरिकी नीति निर्धारण में इसे मूल्यवान बताते हुए स्पष्ट किया, ‘‘प्रत्येक वर्ष मानवाधिकार संबंधी दस्तावेज को तैयार करके अमेरिकी विदेश विभाग, अमेरिकी कांग्रेस, सिविल सोसायटी, शिक्षाविदों, एक्टिविस्ट और पूरी दुनिया के लोगों को वस्तुनिष्ठ और समग्र सूचनाएं उपलब्ध कराता है- इन सभी की मानवाधिकारों के विकास, इनके उल्लंघन और दुर्व्यवहार के मामलों में अपनी-अपनी भूमिका होती है।’’
कंट्री रिपोर्ट ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज़ की वार्षिक रिपोर्ट विश्व के देशों में मानवाधिकारों की स्थिति पर अमेरिकी सरकार के पास उपलब्ध एक दस्तावेज है। रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृत मानवाधिकार घोषणापत्र 1948 के अंतरगत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जान-माने व्यक्तियों, सिविल, राजनीतिक और कामगारों के अधिकारों के अनुपालन का सार तैयार किया जाता है।
कंट्री रिपोर्ट की पहल 1961 में फॉरेन असिस्टेंस एक्ट (एफएए)के माध्यम से की गई जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपति ज़ॉन एफ. केनेडी के हस्ताक्षर हुए थे। पहली कंट्री रिपोर्ट 1978 में प्रकाशित की गई थी जिसका संदर्भ वर्ष 1977 था और इसमें 105 देशों में मानवाधिकारों की स्थिति का उल्लेख किया गया था। कांग्रेस का लक्ष्य मानवाधिकारों को अमेरिकी विदेश नीति निर्धारण में एक महत्वपूर्ण बिंदु बनाना था। इसके लिए 1974 में एक कानून भी बनाया गया जिसके तहत ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन करने की परिपाटी’’ वाले देशों को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सुरक्षा सहायता पर रोक लगाने की बात है।’’ उसके अगले साल एफएए में किए गए एक संशोधन में विदेश मंत्री से अपेक्षा की गई वे सहायता पाने वाले देशों में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में हर साल कांग्रेस में रिपोर्ट पेश करेंगे। 1979 में, एफएए में किए गए एक और संशोधन मे इसका दायरा बढ़ा कर संयुक्त राष्ट्र में शामिल सभी देशों तक कर दिया गया।
कंट्री रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस के लिए उस संसाधन के तौर पर काम करती है जिसके जरिए अमेरिका, अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का निर्धारण करता है, वैश्विक वस्तुस्थिति का आंकलन करता है और अमेरिकी विदेश नीति पर उसके असर के अलावा, विदेशी सहायता, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों और आर्थिक प्रतिबंधों के बारे में फैसला लेता है। कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) के अनुसार, शुरुवात में कंट्री रिपोर्टों को ‘‘पूर्वाग्रही और सारहीन बताते हुए उसकी आलोचना की गई। लेकिन वक्त बीतने के साथ रिपोर्ट का दायरा, गुणवत्ता और यथार्थता बढ़ती गई और विशेषज्ञ उस पर भरोसा भी करने लगे।’’
अमेरिकी विदेश विभाग के ब्यूरो ऑफ डेमोक्रेसी, ह्यून राइट्स एंड लेबर (डीआरएल)को, लोकतंत्र के विकास, मानवाधिकारों के संरक्षण, धार्मिक स्वतंत्रता और वैश्विक स्तर पर श्रमिक अधिकारों के संवर्धन के मिशन को ध्यान में रखते हुए, हर साल रिपोर्ट के प्रारूप और प्रकाशन में समन्वयन का जिम्मा सौंपा गया है। इस दौरान, कांग्रेस ने विश्व में मानवाधिकारों के सम्मुख पेश आई चुनौतियों को समझा और उससे निपटने के लिए अपने प्रयासों को और मजबूती दी।
कंट्री रिपोर्ट में मानवाधिकारों के उल्लंघन की गंभीरता के आधार देशों की तुलना या उनकी रैंकिंग को तय नहीं किया जाता। कंट्री रिपोर्ट के लिए सूचनाएं विभिन्न भरोसेमंद और साखदार स्रोतों से हासिल की जाती हैं। इनमें विदेश में अमेरिकी दूतावास और कांसुलेट, विदेशी सरकारी अधिकारी, गैरसरकारी संगठन (एनजीओ), अंतरसरकारी और अंतरराष्ट्रीय संगठन, विधिवेत्ता और विधि विशेषज्ञ, पत्रकार, शिक्षाविद, लेबर एक्टिविस्ट और मानवाधिकारों के उल्लंधन के शिकार उत्पीडि़त, शामिल हैं।
समय के साथ यह रिपोर्ट प्रत्येक देश के बारे में मानवाधिकारों को लेकर उसकी सोच और इस बारे में हालात का विस्तृत दस्तावेज बन गई। साल 2020 की कंट्री रिपोर्ट 444 पन्नों की है और इसमें 207 देशों के बारे में मानवाधिकारों को लेकर स्थिति की जानकारी है। इस रिपोर्ट में हर देश के बारे में 10-50 पृष्ठों में ब्यौरा है।
पहले की कंट्री रिपोर्ट में सिर्फ 4 सेक्शन होते थे। मूल श्रेणियों की बात की जाए तो इसमें एक ऐसा सेक्शन होता था जो मानवाधिकारों के प्रति सम्मान के स्तर का उल्लेख करता था:
* व्यक्ति की सत्यनिष्ठा, जन्मजात आजादी के साथ कानून के सम्मुख समान अधिकार हासिल और दोषी साबित होने तक निर्दोष, निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार।
* दूसरा सेक्शन बुनियादी आवश्कताओं पर सरकारी नीति से संबंधित है जैसे कि भोजन, आवास, स्वास्थ्य सुविधाएं और नागरिकों के लिए शिक्षा।
* नागरिक और राजनीतिक स्वतंत्रता से संबंधित सेक्शन में अभिव्यक्ति की आजादी, एकत्र होने और आंदोलन के अलावा राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी शामिल है।
* अंतिम सेक्शन में प्रत्येक देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों पर सरकार के रवैये का सार प्रस्तुत किया जाता है।
बदलते संदर्भों और परिस्थितियों को देखते हुए कानून में संशोधन किया गया है और रिपोर्ट के दायरे को और विस्तृत कर दिया गया है। कांग्रेस इसमें कोई नया बिंदु जोड़ सकती है या उसके परिक्षेत्र को बढ़ा सकती है। मौजूदा अमेरिकी कंट्री रिपोर्ट में भ्रष्टाचार, सरकारों की पारदर्शिता, भेदभाव, सामाजिक कुरीतियों और श्रम अधिकारों के अतिरिक्त सेक्शन को जोड़ा गया है।
मौजूदा श्रेणियों में, कामगारों के अधिकारों के प्रति सामाजिक दुर्व्यवहार के अलावा, यौन अभिरुचि, लैंगिक पहचान और अक्षमता संबंधी मानवाधिकारों को रिपोर्ट में शामिल किया गया है। कंट्री रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि कांग्रेस को इस सालाना रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम- आईआरएफ) और मानव तस्करी ( ट्रैफिकिंग इन परसन- टीआईपी) जैसे विषयों समस्याओं की पहचान के तरीकों के उल्लेख के साथ इन मामलों में समस्या पैदा करने वाली सरकारों को दंडित करने का भी जिक्र है।
अमेरिकी विदेशी सहायता संबंधी नियमों का मूल कानून में जिक्र होने के बावजूद, मौजूदा कंट्री रिपोर्ट आमतौर पर अमेरिकी नीतियों के निर्धारण में कांग्रेस के लिए एक संसाधन के रूप में ज्यादा कारगर है। सीधे तौर पर विदेशी सहायता को रोकने में इसकी भूमिका बहुत ज्यादा नहीं है।
अमेरिकी नीतियों के निर्धारण में इस रिपोर्ट की भूमिका पर लगातार चर्चा होती रही है। कांग्रेस इन चर्चाओं में मुख्य भूमिका निभाती है, और कई बार विदेश नीति तैयार करते समय कार्यपालिका पर मानवाधिकार संबंधी मसलों को लेकर दबाव भी बनाती है।
और ज्यादा जानकारी के लिए कृपया https://www.state.gov/reports/2020-country-reports-on-human-rights-prac… पर जाएं।
हिलैरी होपोक स्वतंत्र लेखिका और पूर्व समाचारपत्र प्रकाशक एवं रिपोर्टर हैं। वह ऑरिंडा, कैलिफ़ोर्निया में रहती हैं।
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