लखनऊ के ऊर्जा कुशल हरित भवन

यूएसएड, लखनऊ विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर ऐसे घरों का निर्माण कर रहा है जो पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा की कम खपत करने वाले हैं।

स्टीव फ़ॉक्स

सितंबर 2022

लखनऊ के ऊर्जा कुशल हरित भवन

ऊर्जा का मामला हो या पर्यावरण का, भवन दोनों तरह से महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि भारत की कुल बिजली खपत का 35 प्रतिशत इन्हीं में होता है। (फोटोग्राफः भूमिका सरस्वती ©एपी इमेजेज)

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटाड) को आशा है कि वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था 5.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रोथ लैब प्रोजेक्ट का अनुमान है कि 2030 तक भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहेगा।

इस विकास दर के साथ चुनौतियां भी पैदा होंगी और अवसर भी। भारत के पास ऐसा ही एक विशिष्ट अवसर किफायती और कम ऊर्जा खपत वाले निर्माण के डिजाइन और उसे विकसित करने का है। अगले 20 वर्षों में भारत का 70 प्रतिशत नया इंफ्रास्ट्रक्चर शहरी इलाकों में तैयार होना है।

ऐसे भवन ऊर्जा और पर्यावरण, दोनों ही दृष्टियों से बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनके खाते में भारत की कुल ऊर्जा खपत का 35 प्रतिशत हिस्सा आता है और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए ये खासे जिम्मेदार होते हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना प्रोजेक्ट

प्रधानमंत्री आवास योजना प्रोजेक्ट के तहत ऊर्जा कुशल और पर्यावरण के प्रति कहीं ज्यादा संवेदी आवास का निर्माण इसी दिशा में एक कदम है। सरकार प्रायोजित इस परियोजना में लखनऊ क्षेत्र के कम आय वर्ग के शहरी लोगों को 1 करोड़ 12 लाख किफायती एवं पर्यावरण के अनुकूल घर उपलब्ध कराए जाएंगे।

लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) शहर के नियोजित विकास और शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने वाला एक महत्वपूर्ण निकाय है जो पर्यावरण अनुकूल बुनियादी ढांचे को तैयार करने की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए अमेरिकी एजेंसी (यूएसएड) के साथ मिलकर काम कर रहा है। उदाहरण के लिए, एलडीए ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ऊर्जा कुशल हरित भवनों के निर्माण में उसी दृष्टि और रोडमैप का इस्तेमाल किया है जिसे यूएसएड के सहयोग से तैयार किया गया है।

इसके अतिरिक्त, यूएसएड ने ऐसे भवनों के लिए ग्रीन बिल्डिंग क्राइटेरिया (जीबीसी) यानी ऐसे मानक तय किए हैं जिसके तहत ऐसे ऊर्जा कुशल डिजाइन तैयार किए जाते हैं जिनमें ऊर्जा और पानी की कम से कम खपत हो। एलडीए के सभी आवासीय और व्यावसायिक भवनों के लिए जीबीसी को आवश्यक बना दिया गया है।

लखनऊ के हरित भवन

प्रधानमंत्री आवास योजना के घरों में उच्च तापीय रेटिंग वाली साउंड प्रूफ बिल्डिंग निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। इसके इंटीरियर में इस तरह से बंदोबस्त किया जाता है कि ऊर्जा की कम खपत हो, एलईडी और प्राकृतिक प्रकाश की उपलब्धता हो और पानी की बचत वाले उपकरण हों और 100 प्रतिशत हरित निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हो। प्रधानमंत्री आवास योजना की साइट का इस तरह से विकास किया जाता है कि वहां 15 प्रतिशत स्थान प्राकृतिक वनस्पतियों, जहां तक संभव हो मौजूद वृक्षों का संरक्षण, वर्षा के जल का संचयन और सार्वजनिक पार्किं ग की व्यवस्था हो। प्रत्येक ब्लॉक में एक सोलर पैनल भी लगाया जाता है।

यूएसएड प्रोग्राम, भारत में साल 2000 के बाद क्रमिक रूप से ऊर्जा कुशल कार्यक्रमों की दिशा में उसकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का उदाहरण है। साल 2002 में, यूएसएड के प्रयास से, कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज़ (सीआईआई) और यूएस ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (यूएसजीबीसी) एक साथ आए और इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) का गठन हो पाया। इसने भारत में ऊर्जा कुशल और हरित भवनों के निर्माण के लिए उत्प्रेरक का काम किया। साल 2002 में एक भवन से शुरू हुई हरित भवन की यात्रा में आज 5000 से अधिक हरित भवन पंजीकृत हो चुके हैं जिनका  कुल क्षेत्रफल 6 अरब वर्गफीट से अधिक है और यहां पर जीवंत हरित भवन  बाजार भी मौजूद हैं।

यूएसजीबीसी ने भारत की पहचान क्षेत्र में एक ऐसे ऊर्जा कुशल केंद्र के रूप में की है जिसमें मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देश शामिल हैं। यूएसएड ने, विभिन्न सरकारों और निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के सहयोगियों के साथ समन्वय करते हुए यूएसजीबीसी की सहभागिता से हरित भवनों के बाजार में बड़ी भूमिका निभाने की चाह रखने वाले देशों में रणनीति के विकास का काम भी किया है। यूएसएड के कार्यान्वयन भागीदार, एनवायरमेंट डिजाइन सॉल्यूशंस (ईडीएस) ने दुनिया भर में 2002 में अपने गठन के बाद से 350 से अधिक हरित भवनों और ऊर्जा कुशल परियोजनाओं पर काम किया है। यूएसएड- इंडिया के जॉन स्मिथ-स्रीन का कहना है, ‘‘हमारे सहयोग के चलते लोगों, संस्थाओं, और समुदायों के बीच भवनों, उपकरणों और शहरों में व्यापक स्तर पर ऊर्जा कुशलता के विकास को बढ़ावा मिलेगा।’’

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की एक विशेष रिपोर्ट में ऊर्जा को लेकर भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें बताया गया है कि भारत में साल 2000 के मुकाबले ऊर्जा की खपत लगभग दोगुनी हो चुकी है और भविष्य में इसके और तेजी से बढ़ने के आसार हैं।

स्टीव फ़ॉक्स स्वतंत्र लेखक हैं। वह समाचारपत्र प्रकाशक और संवाददाता रहे हैं और वेंचुरा, कैलिफ़ोर्निया में रहते हैं।



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