लहरों से ऊर्जा

ब्राउन यूनिवार्सिटी के इंजीनियरों द्वारा डिज़ाइन की गई वाटर विंग टेक्नोलॉजी नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई शुरुआत है।

कैरी लोवन्थॅल मैसी

मई 2019

लहरों से ऊर्जा

हाइड्रोफ़ॉइल टीम पानी के अंदर वाटर विंग और जनरेटर की स्थिति में सामंजस्य करती हुई। फोटोग्राफ: साभार केनी ब्रेउर

आज बिजली आपूर्ति में नवीनीकृत ऊर्जा एक महत्वपूर्ण घटक है। एक तरफ जहां पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायोमास, जियो थर्मल और जल विद्युत को लगातार महत्व मिल रहा है, वहीं हम ज्यादा विश्वसनीय, सुरक्षित, ऑटोमेटेड और शक्तिवान नवीनीकृत ऊर्जा तकनीक की खोज में लगे हुए हैं।

अब जैसे वाटर विंग की बात करें। रोड आइलैंड स्थित ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों की टीम द्वारा डिजाइन की गई वाटर विंग, जिसे हाइड्रोफॉयल के नाम से भी जाना जाता है, पानी की छिछली लहरों की ऊर्जा को कैद कर लेती है। ऐसे में जब पानी नीचे उतरता है और वेग सबसे अधिक होता है, तो इसमें ऊर्जा उत्पादन की संभावना बेहद होती है।

ब्राउन यूनिवर्सिटी में ही इंजीनियरिंग के प्रोफेसर केनेथ ब्रुअर कहते हैं, ‘‘जल-विद्युत भरोसेमंद तो है ही, इसका ऊर्जा घनत्व भी अधिक होता है। यह सौर तथा पवन ऊर्जा जैसे अन्य नवीनीकृत ऊर्जा संसाधनों की आदर्श पूरक है।’’

समुद्र के जल से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए टीम विंग को एक सेंट्रल पोल से जोड़ती है, जिस पर विंग ऊपर-नीचे होता रहता है। नीचे विंग की स्थिति ऐसी होती है कि पानी उसे ऊपर की ओर धकेलता है और ऊपर जाने पर इसकी दिशा इस तरह से होती है कि पानी इसे नीचे धकेलता है। यह गति जेनरेटर को चार्ज करती है। इसके अतिरिक्त विंग अपने कंप्यूटर कंट्रोल सॉ़फ्टवेयर के जरिये लगातार लहरों को ऊर्जा के रूप में रूपांतरित करने की अपनी क्षमता को ताज़ा आंकड़ों के आधार पर उचित स्तर पर बनाए पर रखता है। कंप्यूटर अलगोरिद्म से विंग की गति पर इस तरह से नियंत्रण रखा जाता है कि सिस्टम अधिकतम क्षमता पर काम कर सके। लहरों की गति लगातार बदलती है, इसलिए हमेशा विंग को सर्वश्रेष्ठ तरीके से संचालित करने की आवश्यकता होती है।

ब्रुअर और उनके सहयोगी, असिस्टेंट प्रोफेसर श्रेयस मांडरे को हाइड्रोफॉयल की प्रेरणा पिचिंग प्लेट पर ़फ्लूयड मेकेनिक्स के अपने काम, जिसकी फंडिंग यू. एस. एयरफोर्स ऑफिस ऑफ़ साइंटिफिक रिसर्च ने की, और खुद ब्रुएर द्वारा पक्षियों, खासकर चमगादड़ों की उड़ान पर किए काम स मिली। ब्रुअर कहते हैं, ‘‘चमगादड़ उड़ते हुए अपने पंखों को जिस तरह फड़फड़ाते हैं, उसने मुझे प्रेरित किया।’’ ब्रुअर और मांडरे को अमेरिका के ऊर्जा विभाग की एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी- इनर्जी से एक साल की पायलट ग्रांट मिली थी। बाद में टेक्नोलॉजी विकसित करने और विंग का प्रोटोटाइप बनाने के लिए इस ग्रांट को तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया, जो 2017 की अवधि तक थी।

ब्रुअर कहते हैं, ‘‘एक साल की शुरुआती ग्रांट इस अर्थ में सफल रही कि उस दौरान इस टेक्नोलॉजी की व्यावहारिकता का प्रदर्शन किया गया। यह टेक्नोलॉजी बेहद सुदृढ़ है और तुलनात्मक रूप से कम जटिल भी है। इसका मतलब यह हुआ कि उन दूरस्थ इलाकों में भी इसका लाभ लिया जा सकता है, जहां पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा की पहुंच मुश्किल है और उनके सिस्टम स्थापित करना या उनकी देखरेख करना कठिन है।’’

हाइड्रोफॉयल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इससे व्यावसायिक और सैर-सपाटे के लिए गुजरने वाले जहाजों को कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी, न ही वन्य-जीवन पर इसका कोई प्रतिकूल असर पड़ेगा। वैसे तो इसे व्यस्त खाड़ी में भी संचालित किया जा सकता है, लेकिन जब जहाज गुजर रहे हों, तब इसे समुद्र की सतह पर लिटा भी दिया जा सकता है। इसकी फड़फड़ाती ध्वनि वाली गति स्पिनिंग टरबाइन की तरह कर्कश नहीं है। ऐसे में, यह समुद्री जीवों के लिए भी कम हानिकारक है।

ब्रुअर और उनकी टीम को इस तकनीक को जांचने का अवसर मिला, और उसका नतीजा संतोषजनक निकला। ब्रुअर कहते हैं, ‘‘जब हमने केप कॉड कैनाल में हमारे सेकेंड प्रोटोटाइप (जूल) को लांच किया, तो ब्रेक छोड़ने के समय काफी रोमांचक क्षण बन गया था। वह उपकरण उसी तरह स्टार्ट हुआ, जिस तरह सोचा था, और हम बिजली पैदा कर रहे थे! हमारी योजनाओं पर अमल होते हुए देखना, और उसका उसी तरह काम करना, जैसा कि हमने सोचा था, फैकल्टी, स्टाफ और खासकर विद्यार्थियों सहित हमारी पूरी टीम के लिए बहुत रोमांचक अनुभव था।’’

इस परियोजना की शुरुआती सफलता को देखते हुए टीम अब अगले चरण के जरूरी कदम उठाने के लिए फंडिंग का प्रयास कर रही है।

‘‘इस तकनीक में औद्योगिक क्षेत्र की ओर से अनौपचारिक तौर पर दिलचस्पी जाहिर की गई है। लेकिन हमें विश्वसनीयता और बड़े पैमाने पर उत्पादन से संबंधित कुछ अतिरिक्त पहलुओं का प्रदर्शन करना होगा, ताकि कंपनियां इसमें निवेश करें। हम फिलहाल इस तरह के प्रदर्शन के लिए फंडिंग की प्रतीक्षा में हैं। लेकिन इसी बीच प्रोफेसर जेनिफर फ्रेंक ने, जो पहले ब्राउन यूनिवर्सिटी में थे और अब विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी, मैडिसन की फैकल्टी में हैं, छोटे स्तर पर कुछ प्रयोग और गणनाएं की हैं, जिनका उद्देश्य इस तकनीक और इससे जुड़े विज्ञान को बढ़ावा देना है।’’

ब्रुअर को उम्मीद है कि यह जो प्रक्रिया शुरू हुई है, एक बार नतीजे तक पहुंच जाए, तो स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच और उसके महत्व, दोनों में वृद्धि होगी। ‘‘मेरा लक्ष्य यह है कि यह तकनीक भविष्य में टिकाऊ  ऊर्जा स्रोतों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटक साबित हो।’’

कैरी लोवन्थॅल मैसी स्वतंत्र लेखिका हैं। वह न्यू यॉर्क सिटी में रहती हैं।



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